Tag: Udhwa Bird Sanctuary Jharkhand

  • “झारखंड वन्यजीव अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान और जैव विविधता पार्क – तथ्यों के साथ पूरी सूची (2025 के लिए अद्यतन)”

    झारखंड, जो जंगलों और खनिजों की भूमि है, केवल प्राकृतिक संसाधनों में ही समृद्ध नहीं है, बल्कि इसकी विविध वन्यजीव और पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए भी प्रसिद्ध है। बाघ अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों से लेकर पक्षी अभयारण्यों और जैव विविधता पार्कों तक, राज्य में कई संरक्षित क्षेत्र हैं जो पारिस्थितिक संतुलन, वन्यजीव संरक्षण और सतत पर्यटन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह समग्र मार्गदर्शिका झारखंड के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों, पक्षी संरक्षण स्थलों, ईको-टूरिज्म स्थलों और संरक्षण केंद्रों जैसे बेतला राष्ट्रीय उद्यान, पलामू टाइगर रिजर्व, उधवा पक्षी अभयारण्य, दलमा वन्यजीव अभयारण्य, और रांची जैव विविधता पार्क की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करती है।

    यह ब्लॉग छात्रों, शोधकर्ताओं, प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवारों (JPSC, JSSC, UPSC), और पर्यटकों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें इचागढ़ पक्षी अभयारण्य, पारसनाथ अभयारण्य, और मगरमच्छ प्रजनन केंद्र जैसे कम चर्चित इको-साइट्स की भी जानकारी दी गई है, जो राज्य के सभी 24 जिलों में फैली भौगोलिक स्थिति और तथ्यात्मक डेटा के साथ प्रस्तुत है। चाहे आप सरकार परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हों या झारखंड के पारिस्थितिक चमत्कारों को जानना चाहते हों, यह लेख आपके लिए एक भरोसेमंद और अद्यतन संदर्भ है।

    झारखंड में वन प्रबंधन का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

    • झारखंड में वन प्रबंधन का पहला औपचारिक प्रयास 1882–85 के बीच J.F. Habbitt द्वारा किया गया।
    • 1909 में बंगाल सरकार ने वन संरक्षण के लिए एक वन समिति का गठन किया।
    • स्वतंत्रता से पहले, झारखंड के लगभग 95% वन निजी स्वामित्व में थे, जिन्हें बाद में राष्ट्रीयकरण किया गया।

    वन क्षेत्र में गिरावट:

    • 1985–86 में: वन क्षेत्र लगभग 42% था।
    • वर्तमान (ISFR 2021): केवल 29.76% रह गया है।

    सरकारी लक्ष्य और वन क्षेत्र

    भारत सरकार का लक्ष्य: कुल क्षेत्रफल का 33% वनाच्छादित होना चाहिए।
    झारखंड अब भी इस लक्ष्य से पीछे है और वनरोपण एवं संरक्षण के लिए तेजी से प्रयासों की आवश्यकता है।

    वन प्रबंधन के लिए झारखंड द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम

    संयुक्त वन प्रबंधन संकल्प (2001):

    10,000 से अधिक वन प्रबंधन समितियाँ बनाई गईं।
    ये समितियाँ 21,860 वर्ग किमी वन क्षेत्र में कार्यरत हैं।

    वन विकास एजेंसियाँ (FDAs):

    राज्य के सभी क्षेत्रीय वन प्रभागों में वन विकास और संरक्षण हेतु स्थापित की गईं।

    बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (रांची) में वानिकी संकाय:

    वन प्रशासन में सुधार हेतु प्रशिक्षण और औपचारिक शिक्षा प्रदान करता है।

    वनरोपण लक्ष्य:

    • 3,424 वर्ग किमी क्षेत्र में वृक्षारोपण का लक्ष्य
    • 9 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि पर पहले ही वनरोपण आरंभ हो चुका है
    • सामाजिक और नगरीय वानिकी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि ग्रामीणों की जंगल पर निर्भरता कम हो सके

    मुख्यमंत्री जन वन योजना:

    निजी भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देती है
    100 से अधिक स्थायी नर्सरियों को तकनीकी रूप से उन्नत किया गया है
    SHGs और ग्राम वन समितियों को लाख उत्पादन हेतु नि:शुल्क प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान किए जाते हैं, जिससे ग्रामीणों की आय में वृद्धि होती है

    जागरूकता अभियान:

    प्रकृति के प्रति प्रेम और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं

    ईको-पर्यटन नीति (2015):

    पर्यावरण के अनुकूल तरीकों और समुदाय की भागीदारी से ईको-पर्यटन को बढ़ावा देती है

    वित्तीय और तकनीकी सहायता:

    वर्ष 2015–16 में ₹6900 लाख आवंटित किए गए थे:

    • स्थल-विशिष्ट वृक्षारोपण योजनाओं के लिए
    • मृदा संरक्षण योजना
    • तेजी से बढ़ने वाली प्रजातियों का वृक्षारोपण
    • तसर और शीशम के वृक्षारोपण

    बीज उद्यान और स्थायी नर्सरी कार्यक्रम:

    5 से 8 फीट ऊंचे वृक्ष विकसित किए जा रहे हैं, विशेषकर बांस गेबियन वृक्षारोपण के लिए

    डिजिटल पहल:

    वन अभिलेखों और सीमाओं का डिजिटलीकरण किया जा रहा है

    नगरीय वानिकी समर्थन:

    • झारखंड पार्क प्राधिकरण (Jharkhand Parks Authority) का गठन किया गया है ताकि शहरी हरियाली को बढ़ावा मिले

    नव महोत्सव और मेगा वृक्षारोपण अभियान (2019):

    2 जुलाई से 2 अगस्त 2019 तक आयोजित
    15,66,660 पौधे 24 जिलों की 24 नदियों के किनारे 140 किमी क्षेत्र में लगाए गए

    • ज्यादा वृक्षारोपण:
      • जमशेदपुर और रांची वन प्रमंडल: 1,35,000 पौधे
      • धनबाद प्रमंडल: 1,09,140 पौधे

    वन अधिकार अधिनियम, 2006 और नियम, 2008

    यह अधिनियम वनवासियों को भूमि और निवास के अधिकार प्रदान करता है:

    1. परिभाषाएं:

    • अनुसूचित जनजातियाँ (STs): 13 दिसंबर 2005 से पहले से वन पर निर्भर लोग
    • अन्य परंपरागत वनवासी (OTFDs): कम से कम 3 पीढ़ियों (75 वर्ष) से वन पर निर्भर

    2. भूमि अधिकार पात्रता:

    • भूमि पर अधिकार तब ही मिलेगा जब:
      • भूमि 13 दिसंबर 2005 से पहले अधिग्रहण में रही हो
      • 13 दिसंबर 2007 तक उपयोग में रही हो

    3. “वन ग्राम” की परिभाषा:

    पूर्व-स्थापित वन ग्रामों में रहने वाले लोगों को खेती और आवास की जमीन पर वैध अधिकार मिलते हैं

    4. प्रक्रिया आरंभ करने का अधिकार:

    ग्राम सभा को अधिकार है कि वह वन अधिकार की मान्यता की प्रक्रिया आरंभ करे
    वही वन संरक्षण समिति भी गठित कर सकती है

    5. ग्राम सभा की दो मुख्य भूमिकाएं:

    • व्यक्तिगत/सामूहिक अधिकारों की पहचान
    • वन संसाधनों के संरक्षण हेतु वन सुरक्षा समिति का गठन

    6. महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण:

    • झारखंड के 85% वन 13,000 राजस्व गांवों के अंतर्गत आते हैं
    • सभी ग्रामीणों को लघु वन उत्पाद (MFP) पर सामूहिक अधिकार प्राप्त हैं
    • जो लोग वन पर आश्रित नहीं हैं या 2005 से पहले वहाँ नहीं रहते थे, उन्हें भूमि अधिकार नहीं मिलेंगे

    7. संरक्षण उपाय:

    • बिना वन सुरक्षा समिति की स्वीकृति के कोई भी वन अपराध दर्ज नहीं किया जाएगा
    • वन अपराधों के निपटारे में समिति की अनुशंसा आवश्यक

    CAMPA – झारखंड में प्रतिपूरक वनीकरण

    • झारखंड CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) को अक्टूबर 2009 में अधिसूचित किया गया
    • मूल रूप से जुलाई 2004 में भारत सरकार द्वारा गठित

    CAMPA के उद्देश्य:

    • मौजूदा प्राकृतिक वनों का संरक्षण और पुनर्जनन
    • वन्यजीव आवासों का प्रबंधन
    • परिवर्तित वन भूमि के बदले प्रतिपूरक वनीकरण
    • पारिस्थितिक सेवाओं का वितरण
    • शोध, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का संवर्धन
    • सतत वन प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा

    Google टूल्स से CAMPA प्रोजेक्ट्स की निगरानी की जाती है
    वर्तमान में CAMPA के तहत 1,605 वृक्षारोपण परियोजनाएं झारखंड में कार्यरत हैं

    परीक्षा हेतु आवश्यक तथ्य (Must Remember):

    • झारखंड में प्रथम वन प्रबंधन प्रयास: J.F. Habbitt (1882–85)
    • वन क्षेत्र में गिरावट: 1985–86 में 42% → 2021 में 29.76%
    • संयुक्त वन प्रबंधन संकल्प: 2001
    • वन अधिकार अधिनियम: 2006, नियम: 2008
    • ईको-पर्यटन नीति: 2015 में लागू
    • CAMPA का गठन (झारखंड): अक्टूबर 2009 में अधिसूचित

    झारखण्ड के प्रमुख वन्यजीव क्षेत्र

    • 1 राष्ट्रीय उद्यान
    • 11 वन्यजीव अभयारण्य
    • कई जैविक उद्यान
    • राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 2.63% भाग
    • 9% संरक्षित वन क्षेत्र

    हाथी अभयारण्य

    • 2001 में भारत का पहला हाथी अभयारण्य झारखण्ड के पूर्वी सिंहभूम में स्थापित किया गया।
    • नाम: सिंहभूम हाथी अभयारण्य
    • क्षेत्रफल: 13,440 वर्ग किमी, जो निम्न जिलों में फैला है:
      • पूर्वी सिंहभूम
      • पश्चिमी सिंहभूम
      • सरायकेला-खरसावां

    राजमहल जीवाश्म उद्यान (फॉसिल अभयारण्य)

    • स्थान: साहिबगंज, राजमहल पहाड़ियों के पास
    • विकसितकर्ता: नेचर क्लब
    • उद्देश्य: प्रागैतिहासिक पौधों और जीवाश्म रिकॉर्ड का संरक्षण

    वन्यजीव प्रबंधन प्रयास

    • 10-वर्षीय वन्यजीव प्रबंधन योजना लागू
    • राज्य वन्यजीव बोर्ड का गठन
      • अध्यक्ष: झारखण्ड के मुख्यमंत्री (पदेन)
      • कुल सदस्य: 10

    राष्ट्रीय उद्यान

    1. बेतला राष्ट्रीय उद्यान (झारखण्ड का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान)

    • स्थान: लातेहार जिला
    • स्थापना: 10 सितम्बर 1986
    • क्षेत्रफल: 226.32 वर्ग किमी
    • 1932 में विश्व की पहली बाघ गणना यहीं हुई थी
    • प्रोजेक्ट टाइगर (1973–74) के अंतर्गत घोषित
    • पालामू टाइगर रिज़र्व का भाग
    • प्रमुख वन्यजीव: बाघ, तेंदुआ, शेर, जंगली सूअर, चीतल, सांभर, गौर, चिंकारा, नीलगाय, भालू, बंदर, मोर, जंगल मुर्गा
    • BETLA का पूर्ण रूप:
      Bison, Elephant, Tiger, Leopard, Axis-axis

    पालामू टाइगर रिज़र्व (⭐ झारखण्ड का एकमात्र बाघ अभयारण्य)

    • स्थापना: नवम्बर 1973
    • क्षेत्रफल: 1,130 वर्ग किमी
    • जैव विविधता:
      • 47 स्तनधारी प्रजातियाँ
      • 174 पक्षी प्रजातियाँ
      • 970 पौधे, 25 लता, 46 झाड़ी, 17 घास, 139 औषधीय पौधे
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में दर्ज 16 प्रजातियाँ
    • भारत का एकमात्र टाइगर कॉरिडोर:
      गुरु घासीदास–पालामू–लावलौंग कॉरिडोर (छत्तीसगढ़ से साझा)
    • भारत का सबसे अंधकारमय आकाश निरीक्षण केंद्र – अब एस्ट्रो-फोटोग्राफी हब के रूप में विकसित

    झारखण्ड में वन्यजीव अभयारण्य (⭐ कुल 11)

    क्र.सं.अभयारण्यजिलाक्षेत्रफल (वर्ग किमी)वर्षप्रमुख जीव-जंतु
    1.पालामू अभयारण्य ⭐पालामू752.941976हाथी, सांभर
    2.हजारीबाग अभयारण्य ⭐हजारीबाग186.251976तेंदुआ, हिरण
    3.महुआडांड़ भेड़िया ⭐लातेहार63.251976भेड़िया, हिरण
    4.दलमा अभयारण्यपूर्वी सिंहभूम193.221976हाथी, तेंदुआ, हिरण
    5.गौतम बुद्ध अभयारण्य ⭐कोडरमा121.141976चीतल, सांभर, नीलगाय
    6.टोपचांची अभयारण्य ⭐धनबाद12.821978“हरी पहाड़ी” झील के कारण प्रसिद्ध
    7.लावलौंग अभयारण्य ⭐चतरा211.001978तेंदुआ, भालू
    8.पारसनाथ अभयारण्यगिरिडीह49.33बाघ, नीलगाय, हिरण
    9.कोडरमा अभयारण्यकोडरमा177.351984तेंदुआ, सांभर, हिरण
    10.पालकोट अभयारण्य ⭐गुमला182.831990तेंदुआ, हिरण
    11.उधवा झील पक्षी अभयारण्य ⭐साहिबगंज5.651991किंगफिशर, साइबेरियन पक्षी

    गौतम बुद्ध अभयारण्य का विस्तार गया (बिहार) तक भी है (138.36 वर्ग किमी)

    झारखण्ड के प्रमुख पक्षी अभयारण्य

    क्र.सं.पक्षी अभयारण्यजिला
    1.तिलैया पक्षी अभयारण्यकोडरमा
    2.तेनुघाट पक्षी अभयारण्यबोकारो
    3.चंद्रपुरा पक्षी अभयारण्यबोकारो
    4.इचागढ़ पक्षी अभयारण्यसरायकेला-खरसावां
    5.उधवा पक्षी अभयारण्य ⭐साहिबगंज

    जैविक उद्यान – Ex-situ संरक्षण के लिए

    1. बिरसा मुंडा प्राणी उद्यान (ऊर्मांझी, रांची)

    • स्थापना: 1994
    • स्थिति: सपाही नदी के किनारे
    • 2013 में मीडियम ज़ू का दर्जा मिला
    • भारत का चौथा चिड़ियाघर जिसकी खुद की वेबसाइट है:
      www.birsazoojharkhand.in
    • 2017 में भारत का सबसे बड़ा एक्वेरियम परिसर के अंदर शुरू किया गया
    • विशेषताएँ:
      • सांभर और चीतल का प्राकृतिक प्रजनन
      • पर्यटकों के लिए टॉय ट्रेन
      • Eco-tourism का प्रमुख केंद्र

    2. बटरफ्लाई पार्क (ऊर्मांझी, रांची)
    3. बिरसा विहार मृग विहार (कालिमाटी, खूंटी)

    प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष बिंदु

    • केवल राष्ट्रीय उद्यान: बेतला राष्ट्रीय उद्यान
    • केवल टाइगर रिजर्व: पालामू टाइगर रिजर्व
    • केवल हाथी अभयारण्य: सिंहभूम हाथी अभयारण्य (2001)
    • एकमात्र टाइगर कॉरिडोर वाला राज्य: गुरु घासीदास–पालामू–लावलौंग
    • प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध अभयारण्य: उधवा झील पक्षी अभयारण्य
    • अंधकारमय आकाश निरीक्षण स्थल: पालामू टाइगर रिजर्व – एस्ट्रो फोटोग्राफी हब के रूप में

    प्रमुख वन्यजीव क्षेत्र – झारखण्ड मानचित्र अवलोकन

    झारखण्ड के सभी जिलों में वन्यजीव और जैव विविधता केंद्र फैले हुए हैं, विशेषकर पालामू, रांची, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो

    राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और टाइगर रिज़र्व

    1. पालामू वन्यजीव अभयारण्य

    • स्थान: पालामू जिला
    • पालामू टाइगर रिज़र्व का भाग
    • बेतला राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा

    2. बेतला राष्ट्रीय उद्यान

    • स्थान: लातेहार जिला
    • घने जंगल, झरने, विविध जीव-जंतु
    • Project Tiger योजना के अंतर्गत

    3. पालामू टाइगर रिज़र्व

    • भारत का प्राचीनतम टाइगर रिज़र्व
    • गुरु घासीदास–पालामू–लावलौंग कॉरिडोर का भाग

    4. लावलौंग अभयारण्य

    • स्थान: चतरा
    • तेंदुआ, हिरण, जंगली भालू

    5. हजारीबाग अभयारण्य

    • स्थान: हजारीबाग
    • तेंदुआ और सांभर के लिए प्रसिद्ध

    6. महुआडांड़ भेड़िया अभयारण्य

    • स्थान: लातेहार
    • झारखण्ड का एकमात्र भेड़िया अभयारण्य

    7. गौतम बुद्ध अभयारण्य

    • स्थान: कोडरमा (झारखण्ड) और गया (बिहार)
    • जैव विविधता से भरपूर

    8. पारसनाथ अभयारण्य

    • स्थान: गिरिडीह
    • पारसनाथ पर्वत के पास (जैन तीर्थस्थल)

    9. दलमा अभयारण्य

    • स्थान: पूर्वी सिंहभूम
    • हाथियों के लिए प्रसिद्ध
    • जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान (जमशेदपुर) शामिल

    10. टोपचांची अभयारण्य

    • स्थान: धनबाद
    • “हरी पहाड़ी” झील के पास

    11. कोडरमा अभयारण्य

    • स्थान: कोडरमा

    12. पालकोट अभयारण्य

    • स्थान: गुमला व सिमडेगा

    पक्षी अभयारण्य

    1. उधवा झील पक्षी अभयारण्य – साहिबगंज
    2. तिलैया – कोडरमा
    3. इचागढ़ – सरायकेला-खरसावां
    4. चंद्रपुरा – बोकारो
    5. तेनुघाट – बोकारो
    6. इचागढ़ पक्षी विहार – सरायकेला
    7. एचागढ़ पक्षी अभयारण्य – सरायकेला-खरसावां

    जैव विविधता व थीम पार्क (Ex-situ संरक्षण)

    बिरसा मुंडा जैविक पार्क – ऊर्मांझी, रांची
    झारपार्क (Jharkhand Parks Authority)

    • झारखण्ड सरकार की Parks Management Authority द्वारा संचालित
    • शहर आधारित उद्यानों का प्रबंधन और हरियाली का संवर्धन

    Jharpark के अंतर्गत शामिल पार्क:

    क्रम संख्यापार्क का नामस्थान
    1.बिरसा मुंडा जैविक उद्यानरांची
    2.दीनदयाल पार्करांची
    3.नक्षत्र वनरांची
    4.सिद्धो-कान्हू पार्करांची
    5.ऑक्सीजन पार्करांची
    6.⭐ शहीद निर्मल महतो पार्कहजारीबाग
    7.⭐ श्रीकृष्ण पार्करांची
    8.अंबेडकर पार्कसिल्ली (रांची)
    9.मोहबांधा थीम पार्कजमशेदपुर
    10.सिद्धो-कान्हू पार्कदुमका

    घड़ियाल प्रजनन केंद्र (विदेशी प्रजाति प्रजनन हेतु)

    मगर प्रजनन केंद्र

    • स्थान: मूटा (रूक्का), रांची
    • उद्देश्य: मगरमच्छ (मगर) प्रजातियों का वैज्ञानिक एवं पार्यटन आधारित संरक्षण व प्रजनन
    • उपयोग: वैज्ञानिक शोध एवं ईको-पर्यटन हेतु

    जैव विविधता पहल

    जैव विविधता पार्क – लाल खटंगा, नामकुम (रांची)

    • स्थापना वर्ष: 2012
    • उद्देश्य: ईको-पर्यटन को बढ़ावा देना
    • विशेषता: दुर्लभ औषधीय पौधों का संरक्षण

    झारखण्ड जैव विविधता बोर्ड

    • गठन तिथि: 20 दिसम्बर 2007
    • अधिनियम: जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के अंतर्गत
    • भूमिकाएं:
      • जैव विविधता का संरक्षण
      • लाभों का समान वितरण
      • आजीविका आधारित जैव विविधता उपयोग के लिए प्रशिक्षण

    अन्य उल्लेखनीय पार्क एवं उद्यान

    • बिरसा मुंडा स्मृति पार्क, रांची – बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊँची प्रतिमा
    • जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान – जमशेदपुर
    • बारवे (ओरमांझी) – ⭐ झारखण्ड का पहला पशु बचाव केंद्र
    • हर्बल डेमोंस्ट्रेशन नर्सरी, पेटरवार (बोकारो) – प्रशिक्षण एवं जागरूकता हेतु
    • खंडोली पार्क, गिरिडीह
    • शहीद पार्क, खरसावां
    • रॉक गार्डन, रांची
    • रामदयाल मुंडा पार्क, रांची
    • स्वामी विवेकानंद पार्क, रांची
    • मुरी टुंगरी पार्क, मुरी
    • मुरी ढंगुरहा पार्क, सिल्ली
    • सृष्टि पार्क, दुमका
    • उपाध्याय उद्यान, पूर्वी सिंहभूम

    प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्त्वपूर्ण तथ्य (⭐ अक्सर पूछे जाने वाले MCQs)

    • केवल राष्ट्रीय उद्यान: बेतला राष्ट्रीय उद्यान
    • केवल बाघ अभयारण्य: पलामू टाइगर रिजर्व
    • केवल हाथी अभयारण्य: सिंहभूम हाथी रिजर्व (2001)
    • उधवा झील पक्षी अभयारण्य: केवल प्रवासी पक्षियों वाला अभयारण्य
    • Jharpark: राज्य के सभी प्रमुख पार्कों का प्रबंधन करने वाली इकाई
    • मगरमच्छ प्रजनन केंद्र: मूटा (रूक्का), रांची में स्थित
    • गौतम बुद्ध अभयारण्य: बिहार के साथ साझा
    • जैव विविधता पार्क: 2012 में लाल खटंगा (रांची) में स्थापित
    • बारवे (ओरमांझी): राज्य का पहला पशु बचाव केंद्र
    • शहीद निर्मल महतो पार्क और श्रीकृष्ण पार्क: राज्य परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं