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  • “झारखंड आपदा प्रबंधन प्रणाली और प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियों की व्याख्या”

    झारखंड: आपदा प्रबंधन प्रणाली और पर्यावरणीय चुनौतियों का विश्लेषण

    झारखंड, भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित एक खनिज-समृद्ध और वनाच्छादित राज्य है, जो प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं की एक जटिल श्रृंखला का सामना करता है — जैसे कि बार-बार हाथी हमला, जंगल की आग, सूखा, बाढ़ और खनन से जुड़ी दुर्घटनाएं। बढ़ती जनसंख्या और जंगलों में मानव दखल के कारण, झारखंड में एक सशक्त और उत्तरदायी आपदा प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक हो गई है।

    यह ब्लॉग झारखंड की बहु-स्तरीय आपदा तैयारी रणनीति, झारखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (JSDMA) की संरचना और कार्यों, तथा जिला और ग्राम स्तर की प्रतिक्रिया प्रणाली की गहराई से जानकारी प्रदान करता है। साथ ही इसमें विभिन्न आपदाओं से प्रभावित जिलों, जैसे कि आकाशीय बिजली, भूकंप क्षेत्र, औद्योगिक दुर्घटनाएं, और ठंडी लहर तथा चक्रवात जैसी मौसमी आपदाओं का विश्लेषण शामिल है — जो JPSC, JSSC, UPSC और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।

    मॉक ड्रिल, GIS सिस्टम, स्कूल सुरक्षा कार्यक्रमों और सामुदायिक जागरूकता अभियानों से लेकर इस गहन अवलोकन में झारखंड की आपदा लचीलापन क्षमता की सम्पूर्ण जानकारी शामिल है।

    आपदाओं का वर्गीकरण

    प्राकृतिक आपदाएँ: प्रकृति की घटनाओं से उत्पन्न होती हैं जैसे भूकंप, चक्रवात, बाढ़, सुनामी, सूखा आदि।
    मानवजनित आपदाएँ: मानव गतिविधियों से उत्पन्न होती हैं, जैसे युद्ध, परमाणु दुर्घटनाएं, रासायनिक विस्फोट आदि — जिन्हें अक्सर सामाजिक आपदाएं भी कहा जाता है।

    झारखंड में भूकंप

    • झारखंड को कम जोखिम वाला भूकंप क्षेत्र माना जाता है।
    • भूकंपीय संवेदनशीलता के अनुसार राज्य को Zone II, III और IV में विभाजित किया गया है।
    जोनजिलों की संख्याजिले
    Zone II07रांची, लोहरदगा, खूंटी, रामगढ़, गुमला, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम
    Zone III15पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, कोडरमा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज
    Zone IV02गोड्डा और साहिबगंज के उत्तरी हिस्से

    यह वर्गीकरण कई प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जा चुका है।

    झारखंड में बाढ़

    • 11 जिले बाढ़ प्रवण हैं: साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़, दुमका, धनबाद, देवघर, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, पलामू, गढ़वा, लातेहार (सोन और उत्तर कोयल नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण)।
    • मुख्य कारण: मानसूनी वर्षा से नदियों में जल स्तर का बढ़ना।

    प्रभाव:

    • धान की फसल को नुकसान और खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव।
    • घरों, सड़कों, पुलों का विनाश
    • परिवहन ठप और जलजनित बीमारियों का प्रसार, विशेषकर रांची और जमशेदपुर में।

    झारखंड में सूखा

    वर्षा की कमी के आधार पर श्रेणीबद्ध किया गया है:

    • सामान्य सूखा: 25% कम वर्षा
    • मध्यम सूखा: 25–50% कम
    • गंभीर सूखा: >50% कम
    • विनाशकारी सूखा: सामान्य वर्षा का <75%

    प्रभावित क्षेत्र: उत्तर-पश्चिम झारखंड — विशेष रूप से पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, लोहरदगा
    पलामू: झारखंड का सबसे सूखा-प्रवण जिला
    2010 में 24 में से 12 जिले गंभीर रूप से प्रभावित हुए (महत्वपूर्ण परीक्षा तथ्य)

    निवारण उपाय:

    • बांध, तालाब, डोबा और वॉटरशेड निर्माण
    • फसल योजना, मृदा संरक्षण, वनीकरण
    • स्थानीयों के बीच प्रशिक्षण और जागरूकता

    आकाशीय बिजली (ताड़ित)

    • वर्षा के दौरान बिजली गिरने से हर साल मानव और पशुधन की मौतें होती हैं
    • प्रमुख प्रभावित जिले: पलामू, चतरा, लातेहार, गुमला, रांची, गिरिडीह, कोडरमा

    सुरक्षा प्रशिक्षण (श्रीकृष्ण प्रशासन संस्थान द्वारा तैयार):

    • तूफान के दौरान घर के अंदर रहें
    • पेड़ों, पोल और खुले क्षेत्रों से बचें

    खनन दुर्घटनाएँ

    • झारखंड में भारत के 40% खनिज भंडार हैं
    • खनन राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है, परंतु निम्न आपदाओं का कारण बनता है:
      • खदान धंसना
      • श्रमिकों का फँसना
      • प्रदूषण से स्वास्थ्य समस्याएं
      • झरिया और रामगढ़ में कोयले की आग

    रोकथाम उपाय:

    • खनिकों का प्रशिक्षण
    • आपातकालीन त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली
    • मास्क जैसे सुरक्षा उपकरणों का उपयोग
    • व्यावसायिक खतरों पर जागरूकता अभियान

    जंगल की आग

    • झारखंड के सूखे पर्णपाती जंगल गर्मी में अग्नि प्रवण होते हैं
    • कारण:
      • तेज़ हवा में सूखी लकड़ियों का रगड़ना
      • महुआ संग्रह के लिए स्थानीयों द्वारा आग का प्रयोग
      • पर्यटकों की लापरवाही (जली हुई तीली फेंकना)
    • उच्चतम आग की घटनाएँ मार्च–अप्रैल में होती हैं

    प्रमुख प्रभावित क्षेत्र: पलामू, लातेहार, गढ़वा, चतरा, हजारीबाग, सिमडेगा, गुमला

    रोकथाम रणनीति:

    • पर्यटन पर कड़े नियम और जुर्माना
    • आग बुझाकर जंगल से लौटने की चेतना
    • पुराने पेड़ों की कटाई, नए वृक्षारोपण
    • वॉच टावर और जंगल सड़कों का निर्माण

    हाथियों का हमला

    • हाथी झारखंड का राज्य पशु है
    • मुख्य निवास स्थान: पलामू, दुमका, सारंडा (पश्चिमी सिंहभूम), हजारीबाग, दलमा वन
    • मानव बस्तियों और फसलों पर बार-बार हमले होते हैं
    • यह एक गंभीर मानव-वन्यजीव संघर्ष बन चुका है

    मुख्य कारण:

    • प्राकृतिक आवासों में मानवीय हस्तक्षेप और वनों की कटाई
    • महुआ फूल की सुगंध से आकर्षण

    अधिक प्रभावित जिले: खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लातेहार, पलामू, चतरा, हजारीबाग

    निवारण व सामुदायिक प्रतिक्रिया:

    • जागरूकता अभियान
    • हाथियों को भगाने के सामान्य उपाय:
      • ड्रम बजाना और तेज़ आवाजें करना
      • आग जलाना
      • मिर्ची धुएं का प्रयोग

    झारखंड में आपदा प्रबंधन प्रणाली

    आपदा प्रबंधन को तीन चरणों में विभाजित किया गया है:

    1. पूर्व-आपदा तैयारी:

    • योजना, शमन, रोकथाम
    • आपदा की प्रकृति और स्तर की समझ
    • पूर्व चेतावनी प्रणाली
    • जनजागरूकता फैलाना

    2. आपदा के समय:

    • बचाव कार्य, लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना
    • खाद्य, पानी, दवाइयाँ, कपड़े जैसी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति

    3. आपदा के बाद पुनर्प्राप्ति:

    • प्रभावित लोगों का पुनर्वास
    • नष्ट हुई संरचनाओं का पुनर्निर्माण
    • सामान्य जीवन की बहाली

    मुख्य परीक्षा बिंदु (Key Exam Highlights)

    • पलामू: सबसे सूखा और आकाशीय बिजली प्रभावित जिला
    • 2010: 12 जिले गंभीर सूखे से प्रभावित
    • Zone II, III, IV: झारखंड के भूकंप संवेदनशील क्षेत्र
    • झरिया और रामगढ़: कोयले की आग के लिए प्रसिद्ध
    • मार्च–अप्रैल: जंगल की आग का चरम समय
    • हाथी हमला: मानव-हस्तक्षेप और महुआ मुख्य कारण

    आपदा प्रबंधन हेतु संस्थागत ढांचा

    राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) — अध्यक्षता करते हैं प्रधानमंत्री

    राज्य स्तर पर (At the State Level)

    झारखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (JSDMA)

    • स्थापना तिथि: 28 मई 2010
    • गठन: आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 14(1) के तहत
    • अध्यक्ष: झारखंड के मुख्यमंत्री
    • सदस्य संख्या: अधिकतम 9 सदस्य

    JSDMA के प्रमुख उद्देश्य

    • बहु-स्तरीय आपदा प्रतिक्रिया की योजना एवं रणनीति बनाना
    • पुनर्निर्माण एवं पुनर्वास हेतु परियोजनाओं का निर्माण
    • राज्य, जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर अवसंरचना और संचार नेटवर्क का विकास
    • GIS (भौगोलिक सूचना प्रणाली) का उपयोग कर आपदा न्यूनीकरण
    • जनजागरूकता को बढ़ावा देना, दिशा-निर्देश जारी करना एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना

    झारखंड आपदा प्रबंधन योजना (2009)

    • आपदा प्रबंधन विभाग की स्थापना: अक्टूबर 2004
    • प्राथमिक उद्देश्य: आपदा से प्रभावित लोगों को त्वरित राहत देना

    राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (State Disaster Response Fund)

    • वित्तीय हिस्सेदारी: 75% केंद्र सरकार, 25% राज्य सरकार
    • सभी जिलों में आपातकालीन संचालन केंद्र (EOCs) की स्थापना — NDMA के अंतर्गत
    • V-SAT (उपग्रह संचार) से रीयल-टाइम समन्वय सुनिश्चित किया गया

    राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF & SDRF)

    • NDRF की स्थापना: 2006 — राष्ट्रीय स्तर पर बचाव एवं राहत कार्यों हेतु
    • SDRF — राज्य स्तर पर त्वरित तैनाती के लिए गठित
    • प्रशिक्षण प्रदाता संस्था: श्रीकृष्ण लोक प्रशासन संस्थान (SKIPA), रांची — 2005 से
    • ‘स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम’: 2015 में प्रारंभ — राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के सहयोग से

    तकनीकी सहयोग (Technology Support)

    झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (JSAC)

    • आपदा के दौरान रिमोट सेंसिंग एवं मैपिंग सूचना प्रदान करता है

    आपदा ज्ञान-कम-प्रदर्शन केंद्र (‘सृजन’)

    • विभिन्न आपदाओं पर जनजागरूकता फैलाना
    • नई तकनीकों एवं उपकरणों से आमजन को परिचित कराना
    • फोकस क्षेत्र: बाढ़, सूखा, खनन दुर्घटनाएं, वनाग्नि, आदि

    झारखंड की आपदा संबंधित प्रमुख संस्थाएं

    आपदा प्रकारसंबंधित संस्थान
    सूखाबिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची
    खनन दुर्घटनाएंइंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
    भूकंपबिट (BIT), मेसरा
    बाढ़, सूखा, वनाग्निJSAC, रांची
    औद्योगिक आपदाएंमेकॉन (MECON), रांची
    जनजागरूकता‘सृजन’ नॉलेज सेंटर

    जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMAs)

    • सभी 24 जिलों में गठित
    • अध्यक्ष: जिला दंडाधिकारी / उपायुक्त
    • सदस्य:
      • मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी
      • जल एवं सिंचाई विभागों के प्रमुख अभियंता
      • पशुपालन अधिकारी
      • NGO प्रतिनिधि

    प्रमुख कार्य:

    • जिला स्तर की आपदा योजनाओं का निर्माण
    • आपदा प्रतिक्रिया दलों का प्रशिक्षण समन्वय
    • आपदा न्यूनीकरण पर जनजागरूकता बढ़ाना

    प्रखंड एवं ग्राम स्तर पर आपदा प्रबंधन

    प्रखंड स्तर (Block Level)

    • अध्यक्ष: प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO)
    • सदस्य: स्वास्थ्य अधिकारी, अग्निशमन सेवा, NGOs, स्थानीय नेता
    • कार्य: मॉक ड्रिल, स्थानीय योजना बनाना

    ग्राम स्तर (Village Level)

    • अध्यक्ष: ग्राम सभा के मुखिया
    • उत्तरदायित्व:
      • ग्राम-स्तरीय आपदा योजना तैयार करना और लागू करना
      • प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूकता फैलाना

    झारखंड के आपदा-प्रवण क्षेत्र (Disaster-Vulnerable Zones)

    आपदा प्रकारप्रभावित जिले / क्षेत्र
    भूकंप
    • Zone II – रांची, खूंटी, रामगढ़, लोहरदगा, गुमला, पूर्व व पश्चिम सिंहभूम (7 जिले)
    • Zone III – पलामू, चतरा, हजारीबाग, धनबाद, गिरिडीह आदि (15 जिले)
    • Zone IV – गोड्डा व साहिबगंज का उत्तरी भाग (2 जिले)
      | सूखा | सभी 24 जिले; गंभीर रूप से प्रभावित – गढ़वा, पलामू, चतरा, सिमडेगा आदि
      | बाढ़ | प्रमुख जिले – पूर्व व पश्चिम सिंहभूम, रांची, कोडरमा, धनबाद, दुमका
      | आकाशीय बिजली | सभी जिले प्रभावित; विशेष रूप से – चतरा, पलामू, सिमडेगा, गुमला आदि
      | वनाग्नि | गढ़वा, पलामू, चतरा, गुमला, सिंहभूम, सिमडेगा आदि
      | खनन आपदाएं | धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम आदि
      | औद्योगिक आपदाएं | रांची, हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, रामगढ़, गिरिडीह
      | चक्रवात | पूर्वी जिले – सिंहभूम, रांची, सिमडेगा आदि
      | शीत लहर | सभी 24 जिले प्रभावित
      | आगजनी घटनाएं | सभी जिलों में रिपोर्ट की गईं
      | भीड़ दुर्घटनाएं | देवघर (विशेष रूप से तीर्थ के दौरान)

    परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु (Key Exam Highlights):

    • JSDMA का गठन: 2010
    • वित्तीय सहायता अनुपात: केंद्र 75%, राज्य 25%
    • प्रशिक्षण संस्था: SKIPA, रांची
    • GIS आधारित योजना: JSAC
    • ‘सृजन’ केंद्र: आपदा जागरूकता हेतु
    • भूकंप जोन: II, III, IV
    • प्रत्येक जिले में DDMAs
    • ग्राम स्तर पर मुखिया द्वारा योजना क्रियान्वयन


    Also read in English: https://jharkhandexam.in/jharkhand-disaster-management-system-key-environmental-challenges-explained/