Tag: Jharkhand Seasonal Climate

  • झारखण्ड जलवायु – मौसम, वर्षा एवं कृषि-जलवायु क्षेत्रों की सम्पूर्ण गाइड (JPSC/JSSC परीक्षाओं हेतु विशेष)

    झारखण्ड की जलवायु पर एक व्यापक और परीक्षा-केंद्रित गाइड पढ़ें—जिसमें उष्णकटिबंधीय मानसूनी विशेषताएँ, ऋतुओं के संक्रमण (गर्मी, वर्षा, सर्दी), वर्षा वितरण, राँची, जमशेदपुर और हजारीबाग जैसे शहरों में तापमान भिन्नता, तथा कृषि-जलवायु और क्षेत्रीय जलवायु क्षेत्रों का वर्गीकरण शामिल है—जो JPSC, JSSC और झारखण्ड भूगोल व पर्यावरण से जुड़ी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    झारखण्ड की सामान्य जलवायु प्रकृति

    • झारखण्ड में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु (Tropical Monsoon Climate / उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु) पाई जाती है।
    • यह क्षेत्र मानसूनी पवनों से प्रभावित है, जिससे स्पष्ट ऋतुएँ बनती हैं:
      ग्रीष्मकाल, वर्षाकाल, शीतकाल
    • औसत वार्षिक तापमान लगभग 25°C रहता है।

    झारखण्ड की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक

    अक्षांशीय स्थिति (Latitudinal Position)

    • कर्क रेखा झारखण्ड के मध्य से होकर गुजरती है।
    • इससे उष्णकटिबंधीय जलवायु बनती है, हालांकि उच्च पठारी क्षेत्रों में उप-उष्णकटिबंधीय प्रभाव भी देखे जाते हैं।

    समुद्र से निकटता (Proximity to Sea)

    • धनबाद और सिंहभूम जैसे दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र समुद्र के निकट हैं।
    • इससे इन जिलों में आर्द्रता (Humidity) अधिक रहती है।

    प्राकृतिक संरचना और ऊँचाई (Relief and Elevation)

    • झारखण्ड का पठारी क्षेत्र ढालदार है, जो पाट क्षेत्र से उत्तर, पूर्व और दक्षिण की ओर उतरता है।
    • बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएँ पठार की ढलानों से टकराकर अधिक वर्षा कराती हैं।
    • उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र (पलामू) वर्षा की छाया क्षेत्र (Rain Shadow Zone) में है – अतः सूखा-प्रवण (Drought-prone)

    पवन प्रवाह पट्टी (Wind Flow Belt)

    • जून से अक्टूबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून (बंगाल शाखा) दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है।
    • साथ ही, अरब सागर की हवाएँ राज्य के पश्चिमी हिस्से में वर्षा लाती हैं।

    वनस्पति आवरण (Vegetation Cover)

    • झारखण्ड के घने जंगल वाष्पोत्सर्जन (Evapotranspiration) में सहायक होते हैं, जिससे स्थानीय आर्द्र सूक्ष्म जलवायु बनती है।
    • इसके परिणामस्वरूप गर्मियों में स्थानीय वर्षा (Instability Rain) होती है।

    झारखण्ड के कृषि-जलवायु क्षेत्र (Agro-Climatic Zones of Jharkhand)

    • झारखण्ड भारत के कृषि-जलवायु क्षेत्र VII – “पूर्वी पठार एवं पहाड़ी क्षेत्र (Eastern Plateau and Hills Region)” में आता है।
    • NIDM (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान) के अनुसार, झारखण्ड को तीन कृषि-जलवायु उप-क्षेत्रों में बाँटा गया है:
    कृषि-जलवायु क्षेत्रआवृत्त जिले
    I. मध्य एवं उत्तर-पूर्वी पठारचतरा, कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, राँची, देवघर, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा, साहिबगंज, गिरिडीह
    II. पश्चिमी पठारगढ़वा, पलामू, लातेहार, गुमला
    III. दक्षिण-पूर्वी पठारलोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावाँ

    वर्षा वितरण और मृदा विशेषताएँ (क्षेत्रवार विवरण)

    मध्य एवं उत्तर-पूर्वी पठार

    • वर्षा: 140–152 सेमी (मध्यम)
    • पैटर्न: मानसून की देर से शुरुआत और जल्दी वापसी
    • मृदा प्रकार: बलुई, काली, अपरदित एवं जलोढ़ मृदा
    • विशेषताएँ:
      • जलधारण क्षमता कम
    • मुख्य फसलें: धान, गेहूँ, मक्का, मोटे अनाज
    • सिंचाई: नदियों पर आधारित

    पश्चिमी पठार

    • झारखण्ड का सर्वाधिक ऊँचाई वाला कृषि-जलवायु क्षेत्र
    • वर्षा असमान रूप से वितरित, कुछ क्षेत्र सूखा-प्रवण
    • पाट क्षेत्रों में अधिक वर्षा
    • तापमान: अधिक, पर नेतरहाट ठंडा रहता है
    • मृदा प्रकार: लेटराइट व लाल मृदा
    • विशेषताएँ:
      • मृदा अम्लीय
      • जलधारण व उर्वरता कम
    • मुख्य फसलें: धान, मक्का, गेहूँ, दालें, तिलहन

    दक्षिण-पूर्वी पठार

    • वर्षा: 142–155 सेमी
    • पूर्वी क्षेत्र में अधिक वर्षा
    • मृदा विशेषताएँ:
      • जलधारण क्षमता कम
      • उत्पादकता कम
    • वनस्पति: घने जंगलों से आच्छादित
    • जलवायु: समुद्री प्रभाव वाला, अधिक आर्द्रता
    • मुख्य फसलें: धान, ज्वार, मक्का, गेहूँ, मोटे अनाज
    • सिंचाई: नदियों पर आधारित

    झारखण्ड की ऋतु-वार जलवायु रूपरेखा

    गर्मी का मौसम (मार्च से जून मध्य तक)

    • मार्च में प्रारंभ, मई में चरम पर
    • तापमान: 29°C से 45°C
    • हजारीबाग, राँची, नेतरहाट: 2°C से 5°C तक ठंडे
    • सर्वाधिक गर्म महीना: मई
    • पठारी भूगोल के कारण हीटवेव (लू) का प्रभाव नगण्य
    • झारखण्ड का सबसे गर्म शहर: जमशेदपुर
    • जून के आसपास गर्मी की समाप्ति स्थानीय नाम से “बैशाखी” कहलाती है।
    • मई में Nor’westers से पूर्वी क्षेत्रों में आंधी-बारिश होती है—जिसे आम की बारिश (Mango Showers / आम की बारीश) कहा जाता है।

    परीक्षा केन्द्रित मुख्य बिंदु (Exam-Focused Highlights)

    • कर्क रेखा झारखण्ड से होकर गुजरती है – JPSC/JSSC में बार-बार पूछा जाता है।
    • पलामू – वर्षा छाया क्षेत्र (Rain Shadow Zone) – अक्सर परीक्षा में आता है।
    • पश्चिमी पठार – राज्य का सबसे ऊँचा कृषि-जलवायु क्षेत्र
    • “आम की बारिश” – केवल पूर्वी झारखण्ड में प्रभावी
    • झारखण्ड का सबसे गर्म स्थान – जमशेदपुर
    • मुख्य फसलें – धान, गेहूँ, मक्का, दालें, तिलहन
    • NIDM वर्गीकरण – झारखण्ड के 3 कृषि-जलवायु क्षेत्र

    झारखण्ड की सामान्य जलवायु प्रकार

    झारखण्ड की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है।
    यहाँ तीन प्रमुख ऋतुएँ होती हैं: गर्मी, मानसून और सर्दी।
    वार्षिक औसत तापमान लगभग 25°C है।
    झारखण्ड कर्क रेखा के पास स्थित है, इसलिए यहाँ उष्णकटिबंधीय जलवायु प्रमुख है, जबकि पठारी क्षेत्रों में उप-उष्णकटिबंधीय प्रभाव भी देखा जाता है।

    झारखण्ड की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक

    1. अक्षांशीय स्थिति

    कर्क रेखा झारखण्ड से होकर गुजरती है, जिससे इसे उष्णकटिबंधीय जलवायु मिलती है।
    पठारी क्षेत्रों की ऊँचाई के कारण वहाँ उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु विशेषताएँ पाई जाती हैं।

    2. समुद्र से निकटता

    झारखण्ड का दक्षिण-पूर्वी भाग बंगाल की खाड़ी के निकट है, जिससे वहाँ की आर्द्रता विशेष रूप से धनबाद और सिंहभूम क्षेत्रों में प्रभावित होती है।

    3. स्थलाकृति

    पाट क्षेत्र ऊँचा है, जबकि उत्तर-पश्चिमी मैदान (पलामू) वर्षा-वंचित क्षेत्र है, जिससे वहाँ शुष्कता रहती है।
    बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवा पठारी सीढ़ियों से टकराकर भारी वर्षा लाती है।

    4. पवन प्रणाली

    दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ जून से अक्टूबर के बीच दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर बहती हैं।
    अरब सागर शाखा झारखण्ड के पश्चिमी भागों में वर्षा देती है।

    5. वनस्पति आवरण

    घने जंगल वाष्पोत्सर्जन द्वारा स्थानीय आर्द्रता बढ़ाते हैं, जिससे गर्मियों में अस्थिर वर्षा होती है।

    झारखण्ड के कृषि-जलवायु क्षेत्र

    झारखण्ड कृषि-जलवायु क्षेत्र VII – पूर्वी पठार और पहाड़ी क्षेत्र (NIDM के अनुसार) के अंतर्गत आता है।

    1. केंद्रीय एवं उत्तर-पूर्वी पठार

    जिले: चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, रांची, देवघर, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा, साहेबगंज, गिरिडीह
    वर्षा: औसतन 140–152 सेमी
    मिट्टी: बलुई, काली, अपरदित, एवं जलोढ़ मिट्टी
    फसलें: धान, गेहूं, मक्का, मोटा अनाज
    सिंचाई: मुख्यतः नदियों पर आधारित
    जलवायु विशेषता: मानसून का देर से आगमन और जल्दी वापसी

    2. पश्चिमी पठार

    जिले: गढ़वा, पलामू, लातेहार, गुमला
    वर्षा: असामान्य; कुछ क्षेत्र सूखा-प्रवण
    मिट्टी: लेटराइट और लाल मिट्टी; अम्लीय और जल धारण क्षमता कम
    फसलें: धान, मक्का, गेहूं, दालें, तिलहन

    3. दक्षिण-पूर्वी पठार

    जिले: लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी, पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावाँ
    वर्षा: औसतन 142–155 सेमी
    मिट्टी: कम जलधारण क्षमता एवं उर्वरता
    फसलें: धान, ज्वार, मोटा अनाज, गेहूं, मक्का
    जलवायु विशेषता: तटीय प्रभाव के कारण अधिक आर्द्रता

    झारखण्ड की ऋतुएँ

    ग्रीष्म (मार्च से मध्य जून तक)

    मार्च से प्रारंभ, मई में चरम पर।
    औसत तापमान: 29°C से 45°C
    ठंडे क्षेत्र: हजारीबाग, रांची, नेतरहाट (2°C से 5°C कम)
    सबसे गर्म स्थान: जमशेदपुर (45.0°C)
    पठारी भू-आकृति के कारण प्रचंड लू नहीं चलती
    मई में स्थानीय आंधी-पानी, जिसे आम वर्षा (नॉरवेस्टर) कहा जाता है, विशेषतः पूर्वी भागों में।
    स्थानीय नाम: बैशाखी पवन प्रवाह

    मानसून (जून से अक्टूबर)

    मध्य जून से प्रारंभ, मई 25 के बाद पूर्व से पूर्व-मानसून वर्षा शुरू।
    मुख्य वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून हवाओं से:

    • बंगाल की खाड़ी शाखा: प्रमुख स्रोत
    • अरब सागर शाखा: पश्चिमी क्षेत्रों को प्रभावित करती है
      वर्षा दक्षिण से उत्तर एवं पूर्व से पश्चिम की ओर घटती है
      औसत वार्षिक वर्षा: 140 सेमी
      कुल वार्षा का 80% इसी ऋतु में
      सबसे अधिक वर्षा: नेतरहाट पठार (180+ सेमी)
      सबसे कम वर्षा: चाईबासा मैदान
      सबसे वर्षा वाला जिला: हजारीबाग

    शीतकाल (नवंबर से फरवरी)

    नवंबर से प्रारंभ, जनवरी में चरम
    औसत तापमान: 15°C से 21°C
    पठारी ऊँचाई पर अधिक ठंड (कभी-कभी 3°C तक)
    सबसे ठंडा स्थान: नेतरहाट (मैग्नोलिया पॉइंट) (न्यूनतम 7°C)
    पश्चिमी विक्षोभों के कारण हल्की वर्षा – रबी फसलों के लिए लाभदायक
    अत्यधिक सर्दी में पाला जमना आम है

    झारखण्ड के जलवायु प्रकार (आयोध्या प्रसाद के अनुसार)

    जलवायु प्रकारप्रभावित क्षेत्रवर्षा (सेमी)विशेषताएँ
    स्थलीय प्रकारउत्तर/उत्तर-पश्चिम (पलामू, गढ़वा, चतरा)114–127गर्मी अधिक, सर्दी तीव्र
    उप-स्थलीय प्रकारमध्य भाग (लातेहार, धनबाद)127–165मध्यम तापमान, अधिक वर्षा
    डेल्टा प्रकारपूर्वी संथाल परगना (साहेबगंज)लगभग 152बंगाल जैसे नॉरवेस्टर प्रभाव
    समुद्री प्रभाव वाला प्रकारपूर्वी सिंहभूम, सरायकेला140–152अधिक आर्द्रता, पूर्व-मानसून आँधी
    वर्षा प्रधान प्रकारपश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा152+दोनों मानसून शाखाएँ सक्रिय
    मनोहर एवं तीव्र प्रकाररांची, हजारीबाग पठार148ऊँचाई के कारण विशेष जलवायु
    शीतल वर्षा प्रकारपाट क्षेत्र (लोहरदगा, गुमला)203+सर्दियों में भी वर्षा, ऊँचे बादल

    यह वर्गीकरण आयोध्या प्रसाद द्वारा किया गया है, जिसमें झारखण्ड को 7 जलवायु क्षेत्रों में बाँटा गया है।

    महत्वपूर्ण परीक्षा-उन्मुख तथ्य (JPSC/JSSC में अक्सर पूछे जाते हैं)

    • वन क्षेत्र गर्मियों में स्थानीय अस्थिर वर्षा उत्पन्न करते हैं
    • सबसे गर्म शहर: जमशेदपुर (45°C)
    • सबसे ठंडा स्थान: नेतरहाट (3°C तक)
    • सबसे अधिक वर्षा: नेतरहाट पठार (180+ सेमी)
    • सबसे कम वर्षा: चाईबासा मैदान
    • रबी फसलों के लिए सर्वश्रेष्ठ: शीतकालीन वर्षा (पश्चिमी विक्षोभ से)
    • पूर्व-मानसून वर्षा: मई में आम वर्षा (नॉरवेस्टर)
    • सबसे वर्षा वाला जिला: हजारीबाग
    • मानसून की दो शाखाएँ: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर शाखा