
झारखंड, जो कि खनिजों से भरपूर और कृषि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण राज्य है, अपने पठारी भूगोल और चट्टानी बनावट के कारण जल संसाधन प्रबंधन में अद्वितीय चुनौतियों का सामना करता है। यह ब्लॉग झारखंड की सिंचाई प्रणाली का एक समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक सिंचाई विधियों जैसे कि खुले कुएं, तालाब, ट्यूबवेल, नहरें, और अन्य स्थानीय तकनीकों का विवरण शामिल है, जो 2021–22 के नवीनतम आंकड़ों पर आधारित है।
राज्य की केवल 15% कृषि योग्य भूमि सिंचित है, जिसमें कुएं और तालाब 32%–32% योगदान करते हैं, ट्यूबवेल 7%, नहरें 2%, और अन्य विधियाँ 34% योगदान देती हैं।
सिंचाई कवरेज में अग्रणी जिले हैं: पलामू, देवघर, गोड्डा, हजारीबाग, और दुमका।
प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ जैसे कि सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना, अजय बैराज, कोनार जलाशय, अमानत बैराज आदि कृषि स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह संसाधन प्रतियोगी परीक्षा (JPSC, JSSC, UPSC) के अभ्यर्थियों, भूगोल प्रेमियों, और झारखंड की जल-सिंचाई संरचना की गहन समझ चाहने वालों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
सामान्य अवलोकन
- केवल 23% भूमि कृषि उपयोग में है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2022–23 के अनुसार, कृषि और संबद्ध क्षेत्र राज्य के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में लगभग 14.7% का योगदान करते हैं।
- 43% कार्यबल कृषि और संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है।
- वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, 38 लाख हेक्टेयर भूमि (लगभग 47.69%) कृषि योग्य है।
झारखंड की प्रमुख फसलें
- धान (चावल) – सबसे प्रमुख फसल
- मक्का (कॉर्न) – दूसरे स्थान पर
- गेहूं – तीसरे स्थान पर
सिंचाई और खेती की तकनीक
- झारखंड की खेती मुख्यतः वर्षा पर आधारित है, क्योंकि सिंचाई व्यवस्था कमजोर है।
- सिर्फ 15% शुद्ध बोई गई भूमि सिंचित है।
- कुएं सिंचाई का प्रमुख स्रोत हैं।
- आधुनिकीकरण की बाधाएं:
- ऊबड़-खाबड़ भू-आकृति
- छोटी जोत की भूमि
- बंजर भूमि की उपस्थिति
भूमि और फसल पैटर्न
- 17.38% भूमि परती (uncultivated) है।
- प्रति व्यक्ति औसत भूमि जोत: 1.17 हेक्टेयर
- 78% बोई गई भूमि खरीफ फसलों के अधीन है।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन का दायरा
- 17 जिले राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत शामिल हैं।
रेशेदार फसलें
- जूट के अतिरिक्त, मेस्ता (Mesta) भी झारखंड में उगाई जाती है।
संस्थागत सहायता
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की स्थापना के लिए आईसीएआर, नई दिल्ली द्वारा हजारीबाग जिले के बरही में प्रस्ताव दिया गया है।
फसलों का वर्गीकरण
खरीफ फसलें
- बुवाई: जून–जुलाई
- कटाई: सितंबर–अक्टूबर
- प्रमुख फसलें: धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना
- प्रकार:
- भदई: मई–जून में बुवाई, अगस्त–सितंबर में कटाई
- अघनी: जून में बुवाई, दिसंबर में कटाई
- उत्पादन (2021–22):
- धान: 5365 हजार टन
- मक्का: 606 हजार टन
- क्षेत्रफल योगदान:
- धान: 84.7% खरीफ क्षेत्रफल (1938 हजार हेक्टेयर)
- मक्का: 14%
रबी फसलें
- बुवाई: अक्टूबर–नवंबर
- कटाई: मार्च
- अन्य नाम: ठंडी या वैसाखी फसलें
- प्रमुख फसलें: गेहूं, जौ, चना, तिलहन
- क्षेत्रफल योगदान: 16%
- 90% रबी भूमि गेहूं और चने के अधीन
- उत्पादन (2021–22):
- गेहूं: 519 हजार टन
- दलहन: 450 हजार टन
- तिलहन: 365 हजार टन
जायद फसलें
- केवल 0.17% कृषि भूमि पर बोई जाती हैं।
- उदाहरण: मडुआ (रागी)
झारखंड में भूमि जोत वितरण
जोत प्रकार | आकार | किसानों की हिस्सेदारी |
---|---|---|
सीमांत जोत | 1 हेक्टेयर से कम | 70% |
लघु जोत | 1–2 हेक्टेयर | 15% |
अर्ध-मध्यम जोत | 2–4 हेक्टेयर | 10% |
मध्यम जोत | 4–10 हेक्टेयर | 4% |
बड़े जोत | 10 हेक्टेयर से अधिक | 1% |
प्रमुख फसलें एवं उनके उत्पादन क्षेत्र
- धान (चावल)
- जिले: सिंहभूम, रांची, गुमला, दुमका
- राज्य का 50% उत्पादन इन्हीं जिलों से
- मक्का
- जिले: पलामू, हजारीबाग, दुमका, गिरिडीह, साहेबगंज
- पलामू मक्का उत्पादन में प्रथम
- गेहूं
- जिले: पलामू, हजारीबाग, गोड्डा
- गन्ना
- जिले: हजारीबाग, पलामू, दुमका, गोड्डा
- मडुआ (रागी)
- जिले: रांची, हजारीबाग, गिरिडीह
- जौ
- जिले: पलामू, साहेबगंज, हजारीबाग, सिंहभूम
- ज्वार–बाजरा
- जिले: हजारीबाग, रांची, सिंहभूम, संथाल परगना
- दलहन और तिलहन
- पलामू राज्य में सबसे अधिक उत्पादन करता है (विशेष रूप से सरसों)
झारखंड के कृषि क्षेत्र (Krishi Pradesh)
- उत्तर कोयल घाटी कृषि क्षेत्र
- जिले: गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा
- फसलें: धान, चना, मक्का, अरहर, तिलहन
- विशेषता: गोंडवाना शैल-समूह
- दामोदर घाटी कृषि क्षेत्र
- जिले: पूर्वी लातेहार, दक्षिणी चतरा, दक्षिणी हजारीबाग, बोकारो, धनबाद
- विविध कृषि गतिविधियाँ
- निम्न सुवर्णरेखा घाटी कृषि क्षेत्र
- जिले: पूर्वी सिंहभूम, पूर्वी सरायकेला
- फसलें: धान, सब्जियाँ
- विशेषता: बहुफसली खेती का विकास
- हजारीबाग पठार कृषि क्षेत्र
- जिले: चतरा, हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा
- फसलें: धान, मक्का, मडुआ
- सीमित कृषि विकास
- राजमहल पहाड़ी और सीमा क्षेत्र कृषि क्षेत्र
- जिले: दक्षिणी साहेबगंज, दक्षिणी पाकुड़, गोड्डा, दुमका, देवघर, जामताड़ा
- वर्षा: 100–130 सेमी
- प्रमुख फसल: धान
- रांची पठार कृषि क्षेत्र
- जिले: रांची, पूर्वी लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा
- वर्षा: 120–130 सेमी
- फसलें: सब्जियाँ (नकदी फसलें), धान, मडुआ, दालें, फल
- चाईबासा समभूमि एवं सन्निकट उच्चभूमि कृषि क्षेत्र
- जिले: पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सरायकेला
- वर्षा: 100–140 सेमी
- फसलें: धान, मक्का, चना
- विशेष मिट्टी: धात्विक खनिज-समृद्ध
- उत्तर–पूर्वी सीमा कृषि क्षेत्र
- जिले: उत्तरी गोड्डा, उत्तरी साहेबगंज
- वर्षा: 140–160 सेमी
- फसलें: धान, गेहूं, मक्का, दालें
- विशेषता: राज्य का सबसे अधिक कृषि-विकसित क्षेत्र
महत्वपूर्ण कृषि आँकड़े (Economic Survey 2022–23 के अनुसार)
- शुद्ध बोई गई भूमि: 17%
- वर्तमान परती भूमि: 17%
- अन्य परती भूमि: 13%
- सिंचित भूमि: केवल 15% कृषि योग्य
- प्रति व्यक्ति औसत भूमि जोत: 1.17 हेक्टेयर
- फसल तीव्रता (Cropping Intensity): 135.8%
- कृषि का राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में योगदान: 14.7%
- कृषि पर निर्भर कार्यबल: 43%
फसलवार ज़िला-आधारित फोकस (Crop-wise District Focus)
फसल | प्रमुख उत्पादक जिले |
---|---|
धान | सिंहभूम, राँची, गुमला, दुमका (राज्य उत्पादन का 50%) |
मक्का | पलामू (शीर्ष), हजारीबाग, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, साहिबगंज |
गेहूं | पलामू (शीर्ष), हजारीबाग, गोड्डा |
गन्ना | हजारीबाग, पलामू, दुमका, गोड्डा |
मडुआ (रागी) | राँची, हजारीबाग, गिरिडीह |
जौ | पलामू, साहिबगंज, हजारीबाग, सिंहभूम |
ज्वार/बाजरा | हजारीबाग, राँची, सिंहभूम, संथाल परगना |
चना (चने) | गोड्डा, साहिबगंज, राँची, हजारीबाग |
अरहर | पलामू, हजारीबाग, राँची, गुमला, संथाल परगना |
मसूर | पलामू, संथाल परगना, हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, लोहरदगा |
उड़द | राँची, गुमला, पलामू, लोहरदगा, संथाल परगना |
कुर्थी | पलामू, हजारीबाग, चतरा, बोकारो, गिरिडीह |
तेलहन फसलें | पलामू (सरसों उत्पादन में सर्वाधिक), राँची, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, दुमका |
आलू | राँची, गुमला, लोहरदगा, हजारीबाग |
फूलगोभी | राँची, लोहरदगा, हजारीबाग |
मटर | राँची, लोहरदगा, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम |
मूली | राँची, लोहरदगा, हजारीबाग |
गाजर | राँची, लोहरदगा, हजारीबाग |
टमाटर | राँची, हजारीबाग, लोहरदगा, दुमका, पश्चिमी सिंहभूम |
पपीता | सिमडेगा, लोहरदगा, राँची, हजारीबाग, पश्चिमी सिंहभूम, पाकुड़ |
सिंचाई एवं कृषि प्रणाली (Irrigation & Farming Systems)
- मुख्य सिंचाई स्रोत: कुएं, तालाब, नहरें और अन्य स्थानीय साधन
- सिंचित भूमि की उपलब्धता: केवल 15% शुद्ध कृषि क्षेत्र सिंचित है
- कृषि तकनीक: खल्ली कृषि (पारंपरिक वर्षा आधारित कृषि)
- औसत वर्षा: विभिन्न क्षेत्रों में 100 से 160 सेमी तक
प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु अंतिम टिप्स (Final Notes for Competitive Exams)
- झारखंड में 38 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि (राज्य के कुल क्षेत्रफल का 47.69%)
- सिंचाई की कमी और भूमि विखंडन के कारण वास्तविक खेती सीमित
- राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत बहु-फसली प्रणाली और बागवानी को बढ़ावा
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI-ICAR) का प्रस्ताव बरही (हजारीबाग) में
झारखंड की सामान्य सिंचाई सांख्यिकी (General Irrigation Statistics of Jharkhand)
- कुल कृषि योग्य भूमि में से केवल 15% सिंचित है
- जल सतह स्रोतों से 58% सिंचाई
- भूमिगत जल स्रोतों से 42% सिंचाई
- पुनासी जलाशय परियोजना (देवघर) पूरी हो चुकी है
- मुख्य नहर की लंबाई: 72 किमी
जिलावार सिंचाई की मांग (Irrigation Demand Across Districts)
- उच्च सिंचाई मांग वाले जिले: साहिबगंज, गोड्डा, दुमका, गुमला
- मध्यम मांग वाले जिले: देवघर, लोहरदगा, राँची, पश्चिमी सिंहभूम
- कम मांग वाले जिले: गढ़वा, पलामू, हजारीबाग, गिरिडीह
- बहुत कम मांग वाले जिले: चतरा, बोकारो, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम
झारखंड के सिंचाई स्रोत (2021–22) (Irrigation Sources in Jharkhand)
- कुएं (ट्यूबवेल सहित) – 32% योगदान
- पारंपरिक स्रोत
- 2020–21 में 37% से घटकर 2021–22 में 32%
- साहिबगंज व जामताड़ा में 44% भूमि कुओं से सिंचित
- क्षेत्रफल की दृष्टि से पलामू अव्वल, फिर लातेहार, हजारीबाग, चतरा, रामगढ़
- तालाब (तलाब) – 32% योगदान
- सबसे पुराने स्रोतों में
- 2020–21 में 30% से बढ़कर 2021–22 में 32%
- धनबाद में 66% सिंचित भूमि तालाब से
- फिर दुमका, देवघर, राँची, पाकुड़
- क्षेत्रफल अनुसार पलामू में सर्वाधिक
- ट्यूबवेल – 7% योगदान
- आधुनिक सिंचाई विधि
- साहिबगंज में सबसे अधिक (17%)
- क्षेत्रीय दृष्टि से फिर भी पलामू अग्रणी
- पठारी और पथरीली भूमि के कारण सीमित प्रयोग
- नहरें – 2% योगदान
- उपयोग नगण्य और स्थिर
- पूर्वी सिंहभूम में सर्वाधिक (28%)
- फिर सिमडेगा, जामताड़ा, खूंटी, हजारीबाग
- क्षेत्र अनुसार सिमडेगा अव्वल
- अन्य स्रोत – 34% योगदान
- छोटे लिफ्ट सिंचाई, पंप, चेक डैम आदि
- 2020–21 में 31% से बढ़कर 2021–22 में 34%
झारखंड की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ (Major Irrigation Projects in Jharkhand)
1. प्रमुख परियोजनाएँ (क्षेत्र > 10,000 हेक्टेयर)
परियोजना | ज़िला | योजना काल |
---|---|---|
स्वर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना | पूर्वी/पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला | 5वीं योजना |
- चांडिल डैम और मुख्य नहर (पूर्वी सिंहभूम)
- इचा डैम और मुख्य नहर (पश्चिमी सिंहभूम)
- गलूडीह बैराज (सरायकेला-खरसावाँ)
- खड़कई बैराज
| अजय बैराज परियोजना | देवघर, जामताड़ा | 5वीं योजना |
| गुमानी जलाशय परियोजना | साहिबगंज, पाकुड़ | 5वीं योजना |
| पुनासी जलाशय परियोजना | देवघर | 7वीं योजना |
| कोनार जलाशय परियोजना | गिरिडीह | 5वीं योजना |
| अमानत बैराज परियोजना | पलामू | 10वीं योजना |
| उत्तर कोयल जलाशय परियोजना | पलामू | 5वीं योजना |
| औरंगा जलाशय परियोजना | पलामू | 7वीं योजना |
| कांकी सिंचाई परियोजना | राँची | — |
| मयूराक्षी बायां जलाशय परियोजना | दुमका | — |
2. मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ (क्षेत्र: 2,000–10,000 हेक्टेयर)
- झारखंड में 600+ मध्यम सिंचाई योजनाएं
- प्रमुख परियोजनाएँ: नंदिनी, कंस, सलैया, भैरवा, कांटी, रायसा, पंचखेरो, बक्सर, पतरातू, सुरांगी, ताजना, कतरी, पाराश, सुआली, तपकारा, रामरेखा, कासजोर, सुकरी, सोनुआ, सातपोटका, टोरलो, मुराहीर, रोरो, सुरु, सोना, पलना, नकटि, तोरई, बटेश्वर, ब्राह्मणी, जेनसाई, काझ्या, सुंदर, हरना आदि
- जिले: राँची, हजारीबाग, कोडरमा, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, पलामू, धनबाद, गढ़वा, गोड्डा, पूर्व/पश्चिम सिंहभूम, खरसावाँ आदि
3. लघु सिंचाई परियोजनाएँ (क्षेत्र < 2,000 हेक्टेयर)
- प्रबंधन: झारखंड हिल एरिया लिफ्ट इरिगेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JHALCO)
- स्थापना: 2002
- लक्ष्य क्षेत्र: पर्वतीय व आदिवासी क्षेत्र
जिले जिनमें सिंचाई कवरेज सबसे अधिक है (% के अनुसार)
रैंक | जिला | सिंचाई कवरेज (%) |
---|---|---|
1 | पलामू | 24.25% |
2 | देवघर | 14.22% |
3 | गोड्डा | 14.21% |
4 | हजारीबाग | 10.51% |
5 | दुमका | 9.47% |
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Notable Facts)
सेंट्रल वॉटर कमीशन (CWC) भारत के 125 प्रमुख जलाशयों की निगरानी करता है
झारखंड के 6 प्रमुख जलाशय शामिल:
- गेतलसूद
- तेनुघाट
- मैथन
- तिलैया
- कोनार
- पंचेत