Tag: झारखंड में आदिवासी आंदोलनों का इतिहास

  • “झारखंड का इतिहास: जनजातीय आंदोलन, राज्य संघर्ष और गठन की समयरेखा”

    वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड एक स्वतंत्र राज्य बना, लेकिन इसका इतिहास हजारों साल पुराना है। यह भूमि प्रागैतिहासिक सभ्यता, आदिवासी विद्रोहों और राज्य निर्माण की जटिल प्रक्रियाओं से जुड़ी हुई है। आइए झारखंड की इस समृद्ध ऐतिहासिक यात्रा को कालखंडों के अनुसार समझें।

    प्रागैतिहासिक युग: आरंभिक मानव बस्तियाँ

    • छोटानागपुर पठार में मेसोलिथिक और नियोलिथिक युग के औजार और माइक्रोलिथ मिले हैं।
    • इस्को (हजारीबाग) में 9000-5000 ई.पू. की गुफा चित्रकला, भारत की सबसे पुरानी कलात्मक अभिव्यक्तियों में से एक है।
    • पुंकरी बरवाडीह (बड़कागांव) में 5000 वर्ष पुराने मेगालिथिक स्मारक मिले हैं।

    ताम्रपाषाण युग (चालकोलिथिक काल)

    • दूसरी सहस्राब्दी ई.पू. में तांबे के उपकरण और कॉपर होर्ड संस्कृति का उद्भव।
    • कबरा-कला (पलामू) में नवपाषाण से मध्यकाल तक की निरंतर सांस्कृतिक उपस्थिति:
      • लाल मृद्भांड
      • काले-लाल मृद्भांड
      • उत्तरी काले पॉलिशदार बर्तन (NBPW)

    लौह युग: तकनीकी प्रगति

    • बारुडीह (सिंहभूम) से लौह स्लैग और पहिए से बने बर्तन मिले।
    • रेडियोकार्बन डेटिंग अनुसार कलाकृतियाँ 1401–837 ई.पू. की हैं।

    प्राचीन काल: वैदिक से मौर्य युग

    • वैदिक युग में आर्यों का पूर्व की ओर प्रसार और कृषि विस्तार।
    • महाजनपदों और श्रमण आंदोलनों (जैन-बौद्ध) का प्रभाव क्षेत्र में देखा गया।
    • महाभारत में क्षेत्र को कर्क खंड कहा गया है।
    • मौर्य काल में यह अटाविका राज्यों के अंतर्गत आया; अशोक के शासन में मौर्य साम्राज्य में विलय।
    • ब्रह्मी लिपि के शिलालेख और पुरातात्विक खोजें सारिदकेल और कर्बकला में पाई गईं।

    गुप्त एवं पाल युग: सांस्कृतिक उत्कर्ष

    • समुद्रगुप्त ने अपने दक्षिणी अभियान में इस क्षेत्र से होकर प्रस्थान किया।
    • पाल साम्राज्य के अधीन बौद्ध संस्कृति का प्रभाव, हजारीबाग के मठ इसके प्रमाण हैं।

    मध्यकाल: नागवंशी और मुगल संपर्क

    • 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने क्षेत्र का वर्णन किया।
    • नागवंशी राजाओं का शासन, नवरत्नगढ़ किला और जगन्नाथ मंदिर (रांची, 1691) के निर्माण के लिए प्रसिद्ध।
    • अकबर ने हीरों के लिए खुखरा क्षेत्र में हस्तक्षेप किया।

    औपनिवेशिक युग: ब्रिटिश शासन और विद्रोह

    • चेरो, नागवंशी, रामगढ़, खड़गडीहा जैसे राजवंशों का शासन।
    • पलामू के राजा मेदिनी राय ने किले को सुदृढ़ किया।
    • दाउद खान (1660) और कैप्टन कैमक (1771) के हमले के बाद ब्रिटिश अधिपत्य।
    • क्षेत्र को नौ रियासतों में बाँटा गया, और समयानुसार बंगाल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पूर्वी राज्य एजेंसी में समाहित किया गया।

    जनजातीय विद्रोह: ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध संघर्ष

    • चुआर विद्रोह (1766–1809)
    • तिलका मांझी का विद्रोह (1780–1785)
    • कोल विद्रोह (1831–32) – बिंदराय मानकी और बुधु भगत
    • संथाल विद्रोह (1855–60) – सिधू-कान्हू
    • 1857 का विद्रोह – टिकैत उमराव सिंह, विश्वनाथ शाहदेव, शेख भिखारी
    • बिरसा मुंडा का उलगुलान (1895–1900) – रांची जेल में मृत्यु

    आधुनिक युग: स्वतंत्रता संग्राम और राज्य निर्माण

    • 1914: टाना भगत आंदोलन – बाद में गांधीवादी आंदोलनों से जुड़ा।
    • 1940: रामगढ़ में कांग्रेस का 53वां अधिवेशन – गांधी, नेहरू, सरोजिनी नायडू की उपस्थिति।
    • 1947: स्वतंत्रता के बाद क्षेत्र बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश में विभाजित।

    झारखंड आंदोलन और राजनीतिक विकास

    • 1928: ‘उन्नति समाज’ द्वारा अलग राज्य की माँग।
    • 1955: जयपाल सिंह मुंडा की झारखंड पार्टी का ज्ञापन – अस्वीकार।
    • 1972: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और AJSU का गठन।
    • 1988: भाजपा द्वारा वनांचल आंदोलन।
    • 1994: झारखंड क्षेत्र स्वायत्त परिषद (JAAC) की स्थापना।
    • 1998: न्यायमूर्ति एल.पी.एन. शाहदेव के नेतृत्व में आंदोलन तेज।

    झारखंड राज्य का गठन

    • 2000: संसद ने बिहार पुनर्गठन अधिनियम पारित किया।
    • 15 नवंबर 2000: झारखंड भारत का 28वां राज्य बना।
      • पहले मुख्यमंत्री: बाबूलाल मरांडी
      • क्षेत्र: छोटानागपुर पठार, संथाल परगना

    राज्य स्थापना के बाद

    • 15 नवंबर 2023: झारखंड ने 23वां स्थापना दिवस मनाया।
    • विकास, जनजातीय सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण पर निरंतर ध्यान।