Tag: झारखंड की खनिज संपदा

  • “झारखंड के खनिज संसाधन: कोयला, यूरेनियम और रणनीतिक भंडार [इन्फोग्राफिक]”

    झारखंड, जिसे अक्सर भारत का खनिज हृदय स्थल कहा जाता है, देश के औद्योगिक और ऊर्जा क्षेत्र को शक्ति प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के कुल खनिज भंडार का 40% से अधिक हिस्सा इस पूर्वी राज्य में स्थित है। यहां के प्राकृतिक संसाधनों की श्रृंखला चौंकाने वाली है—झरिया और उत्तर करमपारा जैसे विशाल कोयला क्षेत्र से लेकर पूर्वी सिंहभूम और रांची पठार में उच्च-मूल्य वाले यूरेनियम और थोरियम के भंडार तक।

    झारखंड भारत का एकमात्र राज्य है जो उच्च गुणवत्ता वाला कोकिंग कोयला (Prime Coking Coal) उत्पन्न करता है, जो इसे इस्पात उद्योग के लिए अनिवार्य बनाता है।

    इस विस्तृत इन्फोग्राफिक का उद्देश्य

    यह झारखंड के खनिज खजाने की एक दृश्यात्मक प्रस्तुति प्रदान करता है। इसमें मुख्य कोयला भंडार (2021 के आंकड़ों) को उनके आयतन के अनुसार दर्शाया गया है, यूरेनियम और थोरियम के महत्वपूर्ण खनन क्षेत्रों को इंगित किया गया है, और झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (JSMDC) के अंतर्गत प्रमुख खनन परियोजनाओं का विवरण दिया गया है—जैसे ग्रेफाइट, चूना पत्थर, क्यानाइट और ग्रेनाइट पॉलिशिंग।

    इसके अलावा, यह भारत के खनिज भंडारों में झारखंड की राज्य-वार हिस्सेदारी को पाई चार्ट्स के माध्यम से दर्शाता है, और दुर्लभ तथा रणनीतिक खनिजों जैसे बेरीलियम, इल्मेनाइट, ज़िरकोन, और एपेटाइट को स्थान-विशिष्ट चिह्नों के साथ प्रस्तुत करता है।

    विश्वसनीय स्रोत: Indian Mineral Yearbook 2021 और Jharkhand Economic Survey 2022–23।

    उपयोगी संदर्भ—शोधकर्ता, नीति निर्माता, उद्योग विशेषज्ञ और विद्यार्थी।

    मुख्य विशेषताएं (Key Highlights)

    • कोयला, प्राइम कोकिंग कोयला, मीडियम कोकिंग कोयला, पन्ना (Emerald), और रॉक फॉस्फेट के भंडार में देश में प्रथम स्थान
    • लौह अयस्क, निकल, एंडालुसाइट, कोबाल्ट, सेमी-कोकिंग कोयला, एपेटाइट के भंडार में दूसरा स्थान
    • तांबा, ग्रेनाइट, एस्बेस्टस, नॉन-कोकिंग कोयला, ग्रेफाइट, यूरेनियम, चांदी के भंडार में तीसरा स्थान
    • बॉक्साइट, क्रोमाइट, अभ्रक, क्वार्ट्ज, फेल्सपार, मैंगनीज, सोना आदि में चौथे से सातवें स्थान पर।

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    कोकिंग कोयला, यूरेनियम और पाइराइट का एकमात्र उत्पादक राज्य — आर्थिक सर्वेक्षण 2022–23

    खनिजों से राजस्व (2022–23)

    • कुल रॉयल्टी राजस्व: ₹4492.22 करोड़
    • शीर्ष 3 ज़िले (रॉयल्टी योगदान में):
      1. पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा)
      2. धनबाद
      3. चतरा

    धात्विक खनिज (Metallic Minerals)

    (A) फेरस धात्विक खनिज (Ferrous Metallic Minerals)

    1. लौह अयस्क (Iron Ore)
      • झारखंड के पास भारत के 26% लौह अयस्क भंडार हैं।
      • पश्चिम सिंहभूम में हेमेटाइट अयस्क सर्वाधिक।
      • नोआमुंडीएशिया की सबसे बड़ी लौह अयस्क खान
      • चिरिया—भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क खदान।
      • 99% अयस्क हेमेटाइट ग्रेड (60–68% लोहा)।
      • चुंबकीय लौह अयस्क (Magnetite): पूर्वी सिंहभूम, पलामू, गुमला, हजारीबाग, लातेहार।
      • प्रारंभिक खनन: 1924 में सिंहभूम में।
      • मुख्य उत्पादक कंपनियां: SAIL, Tata Steel, Rungta Mines Pvt. Ltd.
    2. क्रोमाइट (Chromite)
      • प्रमुख भंडार: जोजोहाटु, पश्चिम सिंहभूम
      • लगभग 7.36 लाख टन भंडार
      • स्टेनलेस स्टील और रसायन उद्योग में उपयोग।
    3. मैंगनीज (Manganese)
      • मुख्यतः सिंहभूम क्षेत्र में।
      • अनुमानित भंडार: 13.7 मिलियन टन
      • उपयोग: इस्पात निर्माण, ड्राई सेल, रसायन उद्योग।
    4. जिंक (Zinc)
      • स्थान: संथाल परगना, हजारीबाग, पलामू, रांची, सिंहभूम
    5. टिन (Tin)
      • स्रोत: कैसिटराइट, आग्नेय शैलों में।
      • स्थान: हजारीबाग, रांची, सिंहभूम, संथाल परगना, पलामू
    6. निकल (Nickel)
      • उत्पादन: घाटशिला कॉपर स्मेल्टिंग प्लांट (HCL)।
      • यूरेनियम के साथ पाया जाता है—जादूगुड़ा।
    7. सोना (Gold)
      • प्रमुख क्षेत्र: कुंदरकोचा (पूर्वी सिंहभूम)
      • भारत की पहली निजी सोना खदान—Manmohan Mineral Industries Pvt. Ltd.
      • झारखंड कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर।
      • नदियाँ: सुवर्णरेखा और सोन में कण मौजूद।
      • नए स्रोत: हरजा, शिवपहाड़ी, लावा, कुचाई, परासी, पहाड़िहा
    8. चांदी (Silver)
      • स्थान: रांची और मौभंडार (घाटशिला)
      • भारत के कुल चांदी भंडार का लगभग 5%
    9. मोलिब्डेनम (Molybdenum)
      • उपयोग: इस्पात एवं ढलाई उद्योग।
      • स्रोत: जादूगुड़ा में यूरेनियम के साथ, 40–45 ppm तक।

    (B) नॉन-फेरस धात्विक खनिज (Non-Ferrous Metallic Minerals)

    1. तांबा (Copper)
      • भारत के कुल भंडार का 18.5% झारखंड में।
      • मुख्य क्षेत्र: पूर्वी सिंहभूम—मोसाबनी, धोबनी, सुरदा, केंदाडीह, रक्खा, घाटशिला आदि।
      • ऐतिहासिक खान: 1930, Indian Copper Corporation Ltd.
      • वर्तमान: India Resources Ltd. द्वारा सुरदा खदान संचालन
      • स्मेल्टिंग केंद्र: हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, घाटशिला।
    2. बॉक्साइट (Bauxite)
      • उच्च गुणवत्ता (52–55% एल्यूमिनियम)।
      • मुख्य क्षेत्र: लोहरदगा, गुमला, लातेहार, गोड्डा, साहिबगंज
      • प्रमुख कंपनी: Hindalco Industries Ltd.
      • मूरी में रिफाइनिंग प्लांट
    3. टंगस्टन (Tungsten)
      • स्थान: पूर्वी सिंहभूम (कालामाटी), हजारीबाग
      • उपयोग: विद्युत उपकरण, मिश्र धातु निर्माण।

    अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals)

    1. अभ्रक (Mica)
      • प्रमुख क्षेत्र: कोडरमा (झुमरी तिलैया), गिरिडीह, हजारीबाग
      • कोडरमा को कहा जाता है—भारत की अभ्रक राजधानी
      • रूबी मिका—उच्च गुणवत्ता, निर्यात में 90% योगदान।
      • उपयोग: इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सजावट, औषधि।
    2. क्यानाइट (Kyanite)
      • प्रमुख स्थान: लिप्साबुरु (पूर्वी सिंहभूम)
      • अन्य क्षेत्र: पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां
      • उपयोग: अग्नि रोधक ईंट, चीनी मिट्टी के उत्पाद।
    3. ग्रेफाइट (Graphite)
      • सबसे अधिक भंडार: पलामू, अन्य क्षेत्र: लातेहार, गढ़वा
      • उपयोग: अग्नि रोधक उद्योग
      • प्रमुख कंपनियाँ:
        • Tamil Nadu Minerals Ltd (Palamu)
        • Parijat Mining Industries Pvt. Ltd (Latehar)
        • Krishna Kumar Poddar (Palamu)
    4. चूना पत्थर (Limestone)
      • क्षेत्र: हजारीबाग, रांची, पलामू, बोकारो, गढ़वा आदि
      • उपयोग: सीमेंट, लोहा-इस्पात उद्योग
      • मुख्य उत्पादक: ACC Limited
    5. डोलोमाइट (Dolomite)
      • प्रमुख क्षेत्र: डाल्टनगंज (पलामू), गढ़वा
      • उपयोग: कागज़, सीसा, सीमेंट, इस्पात।
    6. एस्बेस्टस (Asbestos)
      • क्षेत्र: पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां
      • उपयोग: छत की चादरें।
    7. बेंटोनाइट (Bentonite)
      • झारखंड में इसे मुल्तानी मिट्टी कहा जाता है
      • स्थान: साहिबगंज (बरहरवा, तालझारी), पाकुड़
      • उपयोग: कॉस्मेटिक, डिटर्जेंट, पेपर, इंजीनियरिंग।
    8. ग्रेनाइट (Granite)
      • स्थान: तुपुदाना (रांची)
      • किस्में: Tiger Skin, Mayurakshi Blue, Sawan Rose, English Teak, Black Zebra
      • अभी व्यापक खनन नहीं
    9. सोपस्टोन और क्वार्ट्ज (Soapstone & Quartz)
      • क्षेत्र: पूरा छोटानागपुर पठार और अन्य जिले।

    झारखंड में ऊर्जा खनिज (Energy Minerals in Jharkhand)

    कोयला (Coal)

    झारखंड में भारत का सबसे अधिक कोयला भंडार है।

    • झारखंड सरकार के आंकड़ों के अनुसार, भारत के कुल कोयले का लगभग 27.3% झारखंड में पाया जाता है।
    • Indian Minerals Yearbook 2021 के अनुसार, भारत के कुल कोयला उत्पादन का 16.66% झारखंड से आता है।
    • कोयला भंडार के मामले में झारखंड का पहला स्थान है; उत्पादन में यह छत्तीसगढ़ (22.12%), ओडिशा (21.53%), और मध्य प्रदेश (18.51%) के बाद आता है।
    • झारखंड में कुल 113 कोयला खदानें हैं – जो देश में सबसे अधिक हैं।
    • झारखंड के कुल कोयला उत्पादन का 95% दामोदर घाटी कोलफील्ड क्षेत्र से आता है।
    • दामोदर घाटी भारत में 100% कोकिंग कोयला उत्पादन करती है – झारखंड ही एकमात्र राज्य है जो इसका उत्पादन करता है।

    दामोदर घाटी की प्रमुख खदानें – पिपरवार, सरधू, मगध, अशोक, संगमित्रा, अमरपाली, चंद्रगुप्त (हजारीबाग के बड़कागांव क्षेत्र में, उत्तर करमपारा कोलफील्ड)।

    • कोयले की पहली खदान झरिया (धनबाद) में शुरू हुई थी।
    • झरिया से झारखंड के कुल कोयले का 60% उत्पादन होता है।
    • झरिया बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के अंतर्गत आता है।
    • बोकारो से राउरकेला स्टील प्लांट को कोयले की आपूर्ति होती है।
    • झारखंड में बिटुमिनस (78-86% कार्बन) और एन्थ्रेसाइट (94-98% कार्बन) कोयले की किस्में पाई जाती हैं।
    • राज्य के खनिज राजस्व का 75% कोयले से आता है।
    • भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादन क्षेत्र – झरिया,
    • सबसे बड़ा कोलफील्ड (क्षेत्रफल अनुसार) – करमपारा।

    विदेश-सहायता प्राप्त कोयला परियोजनाएं

    • रूस-सहायता प्राप्त परियोजनाएं:
      • झरिया से कुमारी ओपन कास्ट परियोजना
      • झरिया से सितनाला कोलफील्ड परियोजना
    • विश्व बैंक सहायता प्राप्त परियोजनाएं:
      • झरिया कोकिंग कोल परियोजना
      • राजरप्पा परियोजना
      • दामोदर परियोजना
      • राजमहल परियोजना
      • कतरास परियोजना

    झारखंड में कोयले के प्रकार

    1. कोकिंग
    2. सेमी-कोकिंग
    3. नॉन-कोकिंग
    • कोकिंग व सेमी-कोकिंग का उपयोग ब्लास्ट फर्नेस में होता है।
    • नॉन-कोकिंग कोयले का उपयोग स्पंज आयरन, थर्मल पावर, रेलवे, सीमेंट, उर्वरक, ईंट भट्ठी, और घरेलू ईंधन में होता है।

    सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) संचालन

    • जिले: बोकारो, गिरिडीह, रामगढ़, उत्तर व दक्षिण करमपारा
    • कोल वॉशरीज़:
      • कथारा व स्वांग (बोकारो)
      • राजरप्पा व केदला (रामगढ़)

    झारखंड में प्रमुख कोलफील्ड्स एवं कोयला भंडार (01-04-2021 तक)

    (स्रोत: Indian Mineral Yearbook 2021 और झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23)

    क्रम.कोलफील्डकुल भंडार (मिलियन टन)
    1.झरिया19531
    2.उत्तर करमपारा18967
    3.राजमहल18852
    4.पूर्वी बोकारो8284
    5.दक्षिण करमपारा7632
    6.पश्चिमी बोकारो5218
    7.औरंगाबाद2997
    8.रानीगंज2036
    9.रामगढ़1906
    10.देवघर400
    11.हुतार250
    12.डालटनगंज144

    प्राइम कोकिंग कोल (Prime Coking Coal)

    • झारखंड भारत का एकमात्र राज्य है जो Prime Coking Coal का उत्पादन करता है।
    • झरिया (धनबाद) इस उत्पादन का मुख्य क्षेत्र है।
    • भंडार: लगभग 5313 मिलियन टन – जो भारत का 100% है।
    • झारखंड का योगदान:
      • मध्यम कोकिंग कोल – 90%
      • सेमी कोकिंग कोल – 44%
      • नॉन-कोकिंग कोल – 18.4%
    • उपयोग – मुख्यतः धातु उद्योगों में।

    यूरेनियम (Uranium)

    • यूरेनियम एक परमाणु खनिज है।
    • प्रमुख क्षेत्र: जादूगुड़ा, बगजाता, नारवापहाड़, केरुआ डुमरी, धालभूमगढ़, तुरामडीह, मोहुलडीह, भाटिन, बंदुहुरंग।
    • जादूगुड़ा (पूर्वी सिंहभूम) – भारत की पहली यूरेनियम खदान (UCIL द्वारा 1967 में चालू)।
    • भारत के कुल यूरेनियम उत्पादन का 100% झारखंड में होता है।

    थोरियम (Thorium)

    • एक अन्य परमाणु खनिज
    • स्थान: रांची पठार और धनबाद क्षेत्र

    इल्मेनाइट (Ilmenite)

    • परमाणु संबंधी खनिज,
    • रांची में पाया जाता है।
    • भारत का मात्र 0.12% इल्मेनाइट झारखंड में है।
    • उपयोग: अंतरिक्ष यानों और टाइटेनियम के उत्पादन में।

    बेरिलियम (Beryllium)

    • बेरील पत्थरों से निकाला जाता है।
    • क्षेत्र: कोडरमा, गिरिडीह

    जिरकॉन (Zircon)

    • क्षेत्र: रांची और हजारीबाग

    झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (JSMDC)

    • उद्देश्य: खनिज संसाधनों का दोहन व प्रबंधन
    • स्थापना वर्ष: 2002

    प्रमुख परियोजनाएं:

    क्रम.परियोजना नामस्थानजिला
    1.सिकनी कोयला परियोजनासिकनीलातेहार
    2.बेंती-बंगरा चूना पत्थर परियोजनापतरातूरांची
    3.कयानाइट परियोजनाबहरागोड़ापूर्वी सिंहभूम
    4.सेमरा-सलटुआ चूना पत्थर परियोजनाडालटनगंजपलामू
    5.बिश्रामपुर ग्रेफाइट परियोजनाबिश्रामपुरपलामू
    6.चांदुला-सिमलगोड़ा स्टोन चिप्स परियोजनाबरहरवासाहेबगंज
    7.ग्रेनाइट पॉलिशिंग इकाईटुपुदानारांची

    झारखंड के खनिज भंडार (Mineral Reserves of Jharkhand)

    (प्रमुख खनिज, कुल भंडार, भारत में हिस्सेदारी और जिले):

    खनिजकुल भंडार (MT)भारत में हिस्सेदारी (%)प्रमुख जिले
    कोयला80356.227.37%धनबाद, बोकारो, चतरा, हजारीबाग, दुमका आदि
    हेमेटाइट लौह अयस्क4596.6225.70%पश्चिमी सिंहभूम
    मैग्नेटाइट लौह अयस्क10.5420.10%पलामू, पूर्वी सिंहभूम
    एपेटाइट/फॉस्फेट7.2727.70%पश्चिमी सिंहभूम
    कोबाल्ट920.04%पूर्वी सिंहभूम
    चांदी अयस्क23.845.10%रांची, पूर्वी सिंहभूम
    तांबा अयस्क288.1218.48%पूर्वी सिंहभूम
    कयानाइट6.035.84%पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, पूर्वी सिंहभूम
    ग्रेफाइट12.917.38%पलामू
    एस्बेस्टस0.1540.69%पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां
    फायरक्ले66.6199.33%धनबाद, बोकारो, हजारीबाग, पलामू
    क्वार्ट्ज/सिलिका156.5214.47%ई/प. सिंहभूम, देवघर, पलामू
    बेंटोनाइट0.980.17%साहेबगंज
    बॉक्साइट146.3234.20%लोहरदगा, लातेहार, गुमला, गोड्डा, साहेबगंज
    चाइना क्ले/कैओलिन198.697.33%लोहरदगा, रांची, दुमका
    फेल्डस्पार1.6341.23%दुमका, हजारीबाग, देवघर
    गार्नेट0.110.19%कोडरमा, चतरा
    बेराइट0.0350.04%रांची, पलामू, पूर्वी सिंहभूम
    सोपस्टोन0.3381.25%पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, पलामू
    डोलोमाइट41.430.53%गढ़वा, पलामू, रांची
    चूना पत्थर634.410.37%रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो
    क्रोमाइट0.730.35%पश्चिमी सिंहभूम
    मैंगनीज13.73.18%पश्चिमी सिंहभूम
    निकेल94.76%पूर्वी सिंहभूम
    सोना अयस्क8.150.09%रांची, सिंहभूम
    गेरूआ (ओकर)0.2150.14%रांची, पलामू, सिमडेगा
    वर्मीकुलाइट0.031.23%सिंहभूम, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां
    माइका (अभ्रक)0.0020.30%कोडरमा, गिरिडीह, हजारीबाग
    ग्रेनाइट887534019.36%दुमका, कोडरमा, रांची, पलामू, सिमडेगा, गढ़वा

  • झारखंड की भौगोलिक एवं आर्थिक स्थिति: एक विस्तृत विश्लेषण

    आर्थिक विशेषताएँ

    • प्राकृतिक संसाधनों का अर्द्धविकसित उपयोग
      • झारखंड खनिज संपदा से भरपूर राज्य है लेकिन इसका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है।
      • 28.8% क्षेत्रफल ही खेती योग्य है।
      • 30.22% भूमि बंजर, परती या अनुपजाऊ है।
      • खनिज और जल संसाधन होने के बावजूद संस्थागत रुकावटें और नीतिगत खामियाँ विकास में बाधक हैं।
      • विनिर्माण क्षेत्र में असंतुलन है।
      • राज्य की GDP में हिस्सेदारी 2015-16 में 1.84% थी जो 2018-19 में घटकर 1.61% हो गई।
    • कृषि पर अत्यधिक निर्भरता
      • 70% से 85% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
      • कृषि में आधुनिक तकनीकों की कमी है, जिससे उत्पादकता कम है।
      • कृषि का GSDP में योगदान:
        • 2016–17: 14.97%
        • 2017–18: 15%
        • 2022–23: 22%
    • पूंजी की कमी
      • पूंजी की दोहरी कमी — प्रति व्यक्ति पूंजी और पूंजी निर्माण दर दोनों ही कम हैं।
      • कम बचत दर के कारण निवेश कम है।
      • प्रति एक लाख जनसंख्या पर केवल 10 बैंक (2020-21 के अनुसार)।
      • 2018 में कृषि ऋण कुल बैंक ऋण का मात्र 15.55% था।
      • एनपीए 5.87% तक पहुंच गया।
    • औद्योगीकरण में गिरावट
      • आधुनिक और बड़े उद्योगों की कमी है।
      • उद्योगों का GSDP में योगदान:
        • 2011–12: 41.9%
        • 2018–19: 34.93%
        • 2021–22: 33.6%
      • सेवा क्षेत्र का योगदान: 44.1%
    • कम प्रति व्यक्ति आय और जीवन स्तर
      • प्रति व्यक्ति आय:
        • 2001–02: ₹10,129
        • 2018–19: ₹76,806
        • 2020–21: ₹51,365
      • राष्ट्रीय औसत (2020–21): ₹1,12,835
      • झारखंड की रैंकिंग: 26वाँ
      • 70% परिवारों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध नहीं।
    • आर्थिक असमानता
      • आय और संपत्ति की असमानता विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक।
      • पूँजी और संसाधनों पर मुट्ठीभर वर्ग का नियंत्रण है।
    • बेरोजगारी एवं छिपी बेरोजगारी
      • 2018–19 में बेरोजगारी दर:
        • राष्ट्रीय: 3.6%
        • झारखंड: 7.7%
      • कृषि में छिपी बेरोजगारी उच्च है।
    • गरीबी का दुष्चक्र
      • गरीबी → कम आय → कुपोषण → कार्यक्षमता में कमी → फिर से कम आय।
    • बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान
      • बैंक शाखाएँ: 3,008
      • एटीएम: 3,473
      • सीमित वित्तीय पहुँच; विशेषकर सिमडेगा, लातेहार, लोहरदगा, खूंटी में।
      • बैंकों द्वारा ऋण वितरण में झिझक।

    जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियाँ

    • (i) उच्च जन्म एवं मृत्यु दर
      • 2015: जन्म दर – 23.5 प्रति हजार
      • 2016: शिशु मृत्यु दर – 29
      • 2020: जन्म दर – 16.66, मृत्यु दर – 3.06
    • (ii) जनसंख्या में तीव्र वृद्धि
      • दशक दर वृद्धि (2001–2011): 22.34%
      • राष्ट्रीय औसत: 17.70%
      • उच्च वृद्धि वाले जिले: कोडरमा, लातेहार, चतरा, गिरिडीह, पाकुड़, देवघर
      • कम वृद्धि वाले जिले: धनबाद, रामगढ़, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, सिमडेगा, दुमका
    • (iii) ग्रामीण जनसंख्या का प्रभुत्व
      • कुल जनसंख्या: 3.29 करोड़
      • ग्रामीण: 76%, शहरी: 24%
    • (iv) आश्रित जनसंख्या का भार
      • 5 वर्ष से कम आयु: 16%
      • 60+ वृद्ध जनसंख्या में वृद्धि
    • (v) पोषण की कमी
      • शारीरिक क्षमता और उत्पादकता प्रभावित
      • सरकार द्वारा ICDS योजना लागू

    सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक पहलू

    • (i) निम्न साक्षरता दर
      • झारखंड: 54.13%
      • राष्ट्रीय औसत: 64.2%
      • महिला साक्षरता: 39.38%
      • छत्तीसगढ़: 65.2%, उत्तराखंड: 72.3%
    • (ii) सामाजिक दृष्टिकोण और प्रेरणा की कमी
      • सामाजिक पिछड़ापन, रूढ़िवादिता और आत्मबल की कमी विकास में बाधा।
    • (iii) विधि-व्यवस्था की स्थिति
      • 2021 में दर्ज अपराध: 1,792
      • हत्या के मामले: 1,606
      • आर्थिक गतिविधियों और निवेश पर नकारात्मक प्रभाव।

    तकनीकी एवं अवसंरचनात्मक समस्याएँ

    • (i) तकनीकी ज्ञान की कमी
      • पारंपरिक तरीके प्रचलित; आधुनिक तकनीक का अभाव।
      • कुशल श्रमिकों की भारी कमी।
    • (ii) परिवहन एवं संचार का अभाव
      • अविकसित नेटवर्क, जिससे बाजार और सेवाओं तक पहुँच सीमित।
      • सेवा और उद्योग क्षेत्रों के विस्तार में बाधा।

    कृषि एवं औद्योगिक विकास

    • कृषि की स्थिति
      • 2014–15 में चावल उत्पादन: 20,07,881 मीट्रिक टन
      • 2019–20 में: 34,02,173 मीट्रिक टन
      • गेहूँ उत्पादन: 93,253 → 1,86,903 मीट्रिक टन
      • खाद्यान्न उत्पादन में 37% की वृद्धि
      • दलहन उत्पादन में 33.6% की वृद्धि
      • बेहतर बीज, सिंचाई और वैज्ञानिक खेती का योगदान
    • औद्योगिक विकास के संकेत
      • आधारभूत उद्योगों का धीरे-धीरे विकास हो रहा है।
      • पूंजी निर्माण और निवेश दरों में सुधार।
      • निवेश दर 25.9% तक पहुँची।

    झारखंड की भूमि, मिट्टी, सिंचाई और कृषि

    • भूमि व मिट्टी संबंधी समस्याएँ
      • 29.76% वनाच्छादित क्षेत्र (2021 तक)।
      • 72% भूमि पठारी और कठोर; कृषि के लिए अनुपयुक्त।
      • 23.22 लाख हेक्टेयर जंगल, 5.66 लाख हेक्टेयर बंजर।
      • केवल 7.24 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य।
    • भूमि उपयोग (प्रतिशत में) भूमि उपयोग प्रकारप्रतिशतशुद्ध बोया क्षेत्र18.12%वर्तमान परती16.13%वन क्षेत्र28.09%अन्य परती13.86%कृषि अयोग्य16.07%गैर-कृषि कार्य8.6%बंजर भूमि4.62%चरागाह1.59%वृक्षाच्छादित1.52%कृषि योग्य परती3.44%
    • कृषि में सिंचाई की स्थिति
      • 92% खेती वर्षा पर निर्भर
      • सिंचाई:
        • खरीफ: 8%, रबी: 6%
      • सिंचित क्षेत्र में वृद्धि का आंकड़ा (2010–15):
        • 2010–11: 210 (हजार हेक्टेयर), कुल बोया: 1384 → 15.2%
        • 2014–15: 153, कुल बोया: 1250 → 12.2%
    • मिट्टी का वर्गीकरण
      • टांड़-I, II, III (ऊँची जमीन)
      • डोन-III, II, डोन (मध्यम से नीची जमीन)
      • उच्च भूमि: लाल-भूरी, अम्लीय, पोषक तत्वों की कमी
      • मध्यम भूमि: पीली-लाल, संतुलित अम्लीयता
      • नीची भूमि: भारी, क्षारीय, जैविक कार्बन युक्त
    • मृदा अपरदन
      • 23 लाख हेक्टेयर भूमि प्रतिवर्ष कटाव का शिकार
      • कुल भूमि का 40% हल्के से गंभीर कटाव से प्रभावित
      • उर्वरता में गिरावट
    • मिट्टी की अम्लीयता
      • 16 लाख हेक्टेयर अत्यधिक अम्लीय
      • प्रभावित फसलें: दालें, तिलहन, मक्का, गेहूं, सब्जियाँ
    • प्रमुख फसलें और क्षेत्रवार विवरण
      • धान:
        • मुख्य फसल, 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र
        • प्रमुख जिले: रांची, दुमका, सिंहभूम
      • गेहूं:
        • चौथी प्रमुख फसल
        • प्रमुख जिले: पलामू (25%), हजारीबाग, गोड्डा
      • मक्का:
        • दूसरा महत्वपूर्ण अनाज
        • प्रमुख जिले: दुमका, हजारीबाग, गिरिडीह
      • चना:
        • प्रमुख जिले: पलामू, गोड्डा, गुमला
      • सब्जियाँ:
        • क्षेत्र: 2.89 लाख हेक्टेयर
        • प्रमुख सब्जियाँ: आलू, मटर, मूली, गाजर, टमाटर
        • जिले: रांची, हजारीबाग, दुमका

    झारखंड: वन, वन्यजीव, पर्यावरण संरक्षण, खनिज संपदा, कृषि, निर्यात व कुटीर उद्योगों की समग्र तस्वीर

    झारखंड प्राकृतिक संसाधनों, जैव विविधता, खनिजों और पारंपरिक उद्योगों से समृद्ध राज्य है। यहां वन संरक्षण, वन्यजीव संवर्धन, कृषि उत्पादन, कुटीर उद्योग और खनिज उत्पादन जैसे कई क्षेत्रों में निरंतर प्रगति हो रही है। नीचे झारखंड से संबंधित विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी जा रही है:

    वन और पर्यावरण संरक्षण

    • राष्ट्रीय वन नीति (1988) के अंतर्गत पर्यावरणीय संतुलन, वन संरक्षण, जन भागीदारी और पुनर्वनीकरण पर बल दिया गया है।
    • मुख्य उद्देश्य:
      • पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना।
      • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और पुनर्वनीकरण।
      • मृदा कटाव रोकना, बालू के टीलों का विस्तार रोकना।
      • सामाजिक वनीकरण और जन-सहभागिता बढ़ाना।
      • ग्रामीण व आदिवासी समुदायों की ईंधन, चारा व लघु वनोपज की आवश्यकताओं की पूर्ति।
    • वन सर्वेक्षण 2021 के अनुसार झारखंड की वन स्थिति:
      • अत्यंत घना वन: 2601.05 वर्ग किमी (3.26%)
      • मध्यम घना वन: 9688.91 वर्ग किमी (12.16%)
      • खुला वन क्षेत्र: 11,431.18 वर्ग किमी (14.34%)
      • झाड़-झंखाड़ वन: 584.20 वर्ग किमी (0.73%)
    • प्रमुख वृक्ष प्रजातियाँ:
      • साल, असन, गम्हार, बिजा साल, करम, सालई, खैर, धावड़ा, सेमल, बांस, महुआ, करंज, पलाश, कुसुम, बेर, अमलतास, केंद आदि।
      • झाड़ियाँ और घास: पुटुश और सवाई घास।
    • वन संरक्षण कानून 1980 के तहत केंद्र की अनुमति के बिना वन भूमि का गैर-वन कार्यों में प्रयोग नहीं किया जा सकता।
    • जनजातीय क्षेत्र में degraded forest के पुनरुत्थान हेतु योजना:
      • “उपभोगाधिकार के आधार पर आदिवासियों और ग्रामीण गरीबों द्वारा वन पुनरुत्थान”
      • रोजगार व वन अधिकारों की व्यवस्था।

    वन्यजीव और संरक्षित क्षेत्र

    • प्रमुख वन्यजीव: भालू, लंगूर, बंदर, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, हाथी, बाघ, तेंदुआ, गौर (बाइसन), भेड़िया, लकड़बग्घा, पक्षी, सरीसृप, कीट आदि।
    • राष्ट्रीय उद्यान:
      • बेतला राष्ट्रीय उद्यान (पलामू) – 1986
    • वन्यजीव अभयारण्य:
      • पलामू टाइगर रिजर्व – 1129.93 वर्ग किमी (1973)
      • हजारीबाग अभयारण्य – 186.25 वर्ग किमी (1976)
      • महुआडांड़ वुल्फ अभयारण्य – 63.25 वर्ग किमी
      • दलमा अभयारण्य – 193.22 वर्ग किमी
      • टोपचांची (धनबाद) – 12.82 वर्ग किमी
      • लवालौंग (चतरा) – 211.03 वर्ग किमी
      • कोडरमा – 177.35 वर्ग किमी
      • पारसनाथ (गिरिडीह) – 39.33 वर्ग किमी
      • पलाकोट (गुमला) – 183.18 वर्ग किमी
      • उधवा पक्षी अभयारण्य (साहेबगंज) – 1991
    • विशेष संरक्षित क्षेत्र:
      • सिंहभूम हाथी रिज़र्व – 23,440 वर्ग किमी
      • राजमहल जीवाश्म अभयारण्य – 5.65 वर्ग किमी
      • गिद्ध प्रजनन केंद्र, ओरमांझी
      • मगरमच्छ प्रजनन केंद्र, मूत (ओरमांझी)
      • बिरसा डियर पार्क, खूँटी
      • भगवान बिरसा जैविक उद्यान, ओरमांझी – 6.65 वर्ग किमी
    • वन्यजीव जनगणना 2002:
      • बाघ – 34
      • तेंदुआ – 164
      • हाथी – 758
      • चीतल – 16,384
      • सांभर – 3,052
      • नीलगाय – 1,262
      • गौर – 256
      • भालू – 1,808
      • जंगली सूअर – 18,550

    झारखंड में सब्जी उत्पादन और निर्यात

    • कुल सब्जी उत्पादन: 34.75 लाख मीट्रिक टन
    • निर्यात राज्य: ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश
    • मुख्य बढ़ते उत्पादन: बैंगन, फूलगोभी, प्याज, मटर, आलू, टमाटर
    • 2021–22 अनुमानित उत्पादन: 38.18 लाख मीट्रिक टन
      • आलू – 4.29 लाख मीट्रिक टन
      • टमाटर – 4.29 लाख मीट्रिक टन
      • बंदगोभी – 3.20 लाख मीट्रिक टन
    • कुछ वर्षों में हल्की गिरावट भी देखी गई है।
    • प्रति व्यक्ति आवश्यक सब्जी मात्रा: 280 ग्राम/दिन
    • झारखंड की उपलब्धता: 246 ग्राम/दिन
    • राष्ट्रीय औसत: 230 ग्राम/दिन
    • निष्कर्ष: झारखंड राष्ट्रीय औसत से बेहतर उत्पादन करता है, परन्तु आंतरिक मांग का केवल 80% ही पूरा कर पाता है।

    खनिज संपदा

    • राष्ट्रीय हिस्सेदारी:
      • कोयला – 29%
      • तांबा – 18%
      • लोहा – 29%
      • बॉक्साइट – 105% (विविध स्रोतों से)
      • पाइराइट – 95%
      • एपाटाइट – 30%
    • अन्य खनिज: मैंगनीज, क्रोमियम, चूना पत्थर, चीन मिट्टी, फायर क्ले, चांदी, डोलोमाइट, यूरेनियम, सल्फर आदि।
    • भारत में योगदान:
      • कुल खनिज उत्पादन मूल्य का 26%
      • खनिज उत्पादन मात्रा का 36%
    • 2013–14 में खनिज उत्पादन मूल्य: ₹20,685.41 करोड़
    • रॉयल्टी: ₹645 करोड़
    • 2022–23 में गौण खनिज उत्पादन (रेत, बजरी, मौरंग): 32.72 लाख मीट्रिक टन
    • शीर्ष रॉयल्टी प्राप्त जिले:
      • पश्चिम सिंहभूम – ₹1865.96 करोड़
      • धनबाद – ₹871.18 करोड़
      • रामगढ़ – ₹277.18 करोड़

    पर्यावरणीय संस्थान

    • झारखंड जैव विविधता बोर्ड (2007):
      • जैव विविधता का संरक्षण व सतत उपयोग।
      • व्यवसायिक उपयोग पर नियंत्रण।
      • लाभ का न्यायसंगत वितरण।
    • झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड:
      • जल, वायु, पर्यावरण और बायोमेडिकल अपशिष्ट अधिनियमों का अनुपालन।
      • NOC जारी करना।
      • राँची, धनबाद, जमशेदपुर, हजारीबाग में जल और ध्वनि प्रदूषण की निगरानी।
    • जलवायु परिवर्तन प्रकोष्ठ:
      • UNDP और राज्य सरकार द्वारा स्थापित।
      • जलवायु से संबंधित जानकारी, नीति समर्थन, और जन-जागरूकता।
    • झारखंड स्टेट फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (2002):
      • नक्शत्र वन और कान्हा पार्क का रखरखाव।
      • केन्दु पत्तों का संग्रहण व विपणन।
      • वन उत्पादों की नीलामी।
      • 3 क्षेत्रीय कार्यालय: राँची, हजारीबाग, देवघर
      • 6 प्रमंडलीय कार्यालय: राँची, जमशेदपुर, हजारीबाग, गिरिडीह, डाल्टनगंज, गढ़वा

    कुटीर एवं लघु उद्योग

    • परंपरागत ग्रामीण उद्योग: खादी, हस्तशिल्प, हथकरघा, रस्सी निर्माण।
    • आधुनिक लघु उद्योग: पॉवरलूम, शहरी क्षेत्रों के विद्युत आधारित उद्योग।

    मुख्य कुटीर उद्योग:

    1. कृषि आधारित उद्योग:
      • चावल, दाल मिलिंग, तेल पेराई, गुड़ निर्माण।
      • अचार, चटनी, मुरब्बा।
      • बीड़ी, तंबाकू उद्योग।
      • डेयरी, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन।
      • वस्त्र रंगाई-सिलाई।
    2. वस्त्र उद्योग:
      • कपास धुनाई, कताई, बुनाई, छपाई।
    3. लकड़ी उद्योग:
      • आरा मशीन, फर्नीचर निर्माण, खिलौने व औजार।
    4. धातु उद्योग:
      • लोहे, तांबे का परिष्करण, ताले, चाकू, पीतल बर्तन।
    5. चमड़ा उद्योग:
      • चमड़ा परिष्करण, जूते, बेल्ट, हड्डियों से खाद, बटन।
    6. मिट्टी उद्योग:
      • मिट्टी के बर्तन, ईंट, छत की खपरेल, चूना।
    7. अन्य कारीगरी:
      • लाख कारीगरी, चूड़ी, साबुन, रंग, वार्निश।

    रेशम उद्योग (तसर उत्पादन)

    • झारखंड भारत का तसर रेशम का अग्रणी उत्पादक है।
    • मुख्य क्षेत्र: राँची, हजारीबाग, संथाल परगना, पलामू, धनबाद
    • प्रसिद्ध गांव: गेंगैया, सावनी (गोड्डा)
    • मगईया तसर सहकारी समिति – 98 सदस्य, 1000 गज/माह उत्पादन
    • तसर अनुसंधान केंद्र: राँची (रातू के निकट)
    • उत्पादन वितरण:
      • सिंहभूम – 40%
      • दुमका – 25%
      • हजारीबाग – 13%
    • राष्ट्रीय योगदान: भारत के कुल तसर रेशम का 63% झारखंड से आता है।

    बीड़ी और तंबाकू उद्योग

    • मुख्य केंद्र: पाकुड़, सरायकेला, चाईबासा, जमशेदपुर, चक्रधरपुर
    • प्रत्यक्ष रोजगार: 3,13,442 लोग
    • आंशिक/अंशकालिक कार्य: 28,383 लोग
    • भारत में बीड़ी उद्योग के अन्य प्रमुख राज्य: आंध्र प्रदेश (7.5 लाख), मध्य प्रदेश (6.25 लाख)

    लाख उद्योग

    • भारत का प्रमुख लाख उत्पादक राज्य – झारखंड
    • लाख उत्पादन वाले वृक्ष: पलाश, बेर, कुसुम
    • मुख्य क्षेत्र: राँची, हजारीबाग, संथाल परगना, कोडरमा
    • प्रमुख केंद्र: बुंडू, गढ़वा, मुरहू, खूंटी, पाकुड़, डाल्टनगंज, चाईबासा
    • लाख अनुसंधान केंद्र: नामकुम (राँची)
    • लाख के प्रकार:
      • कुसुमी लाख – उच्च गुणवत्ता, कुसुम वृक्ष से।
      • रंगीनी लाख – गहरा लाल रंग, पलाश व बेर से।

    माचिस उद्योग

    • वन उत्पाद आधारित छोटा उद्योग
    • मुख्य केंद्र: कोडरमा जिला

    Also read in English:-
    https://jharkhandexam.in/economic-condition-and-geography-of-jharkhand-a-detailed-overview/