
झारखंड के महान व्यक्तित्वों की प्रेरणादायक कहानियाँ – जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों, राजनीतिक अग्रदूतों से लेकर पद्म पुरस्कार विजेता कलाकारों, खिलाड़ियों और समाज सुधारकों तक, जिन्होंने राज्य की गौरवशाली विरासत को आकार दिया।
1. बिरसा मुंडा – महान जनजातीय योद्धा
- जन्म: 15 नवम्बर 1875, उलिहातू गाँव (खूँटी जिला), मुंडा जनजाति
- भारत सरकार द्वारा 2021 से “आदिवासी गौरव दिवस” के रूप में मनाया जाता है
- जन्म सोमवार को हुआ, पर बृहस्पतिवार परंपरा के आधार पर नाम “बिरसा” रखा गया
- जन्म नाम: दाऊद मुंडा
- पिता: सुगना मुंडा (उलिहातू के बटाईदार)
- माता: कर्मी हातू मुंडा
- बड़ा भाई: कुन्ता मुंडा
- प्रथम शिक्षक: जयपाल नाग
- आध्यात्मिक गुरु: आनंद पांडे (वैष्णव संत)
- शिक्षा: जर्मन इवेंजेलिकल मिशन स्कूल
- छात्र जीवन में चाईबासा के भूमि संघर्षों से प्रभावित, 18 वर्ष की उम्र में चक्रधरपुर के जंगल आंदोलन से जुड़े
- वन और भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष
- जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया
- 1895 में स्वयं को सिंहबोंगा का दूत घोषित किया
- “बिरसाइट पंथ” नामक नये धार्मिक संप्रदाय की स्थापना
- एकेश्वरवाद (केवल सिंहबोंगा की पूजा) का प्रचार
- सरहना (पवित्र उपवन) को मुख्य पूजा स्थल घोषित किया
- बलि प्रथा और हड़िया (शराब) का विरोध
- जनेऊ पहनने का समर्थन
- 1895–1900 तक उलगुलान (महाविद्रोह) का नेतृत्व किया
- इसे मुंडा विद्रोह/बिरसा आंदोलन भी कहा जाता है
- डोंबारी बुरु पहाड़ी आंदोलन का मुख्य केन्द्र था
- 1895 में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र के आरोप में गिरफ्तार
- 2 वर्ष की सजा और ₹50 का जुर्माना
- गिरफ्तारी: डी.एस.पी. जी.आर.के. मायर्स द्वारा
- जुर्माना न देने पर 6 महीने की अतिरिक्त सजा
- ₹500 का इनाम घोषित; वीर सिंह महली मुखबिरों में से एक
- 3 फरवरी 1900 को पुनः गिरफ्तार, 9 जून 1900 को रांची जेल में हैजा से मृत्यु
- 15 नवम्बर 2000 को झारखंड राज्य का गठन उनके जन्मदिवस पर हुआ
- “धरती आबा” (धरती के पिता) के रूप में प्रसिद्ध
- उनका चित्र संसद के सेंट्रल हॉल में प्रदर्शित एकमात्र जनजातीय नेता का चित्र
- महाश्वेता देवी द्वारा 1975 में लिखा गया उपन्यास: “अरण्येर अधिकार”
- 2021 में “भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय” की स्थापना, रांची जेल परिसर में – उद्घाटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
2. सिदो और कान्हू मुर्मू – संथाल विद्रोह के नायक
- 1855–56 के संथाल विद्रोह (हुल) के नेता, साथ में चाँद और भैरव मुर्मू
- सिदो का जन्म: 1815
- कान्हू का जन्म: 1820
- चाँद: 1825, भैरव: 1835
- ब्रिटिश, जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ विद्रोह
- सिदो को बोंगा देवता से दिव्य प्रेरणा मिली
- भोगनाडीह में दिया नारा:
“करो या मरो – अंग्रेज़ो, हमारी भूमि छोड़ो!” - चाँद और भैरव युद्ध में वीरगति को प्राप्त; सिदो और कान्हू को ब्रिटिशों ने फाँसी दी
- पिता: चुन्नी मांझी
- सिदो की पत्नी: सुमी
3. तिलका मांझी – प्रथम जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी
- वास्तविक नाम: जाबरा पहाड़िया
- जन्म: 11 फरवरी 1750, तिलकपुर गाँव (सुल्तानगंज, भागलपुर)
- पिता: सुंदरा मुर्मू
- “आदि विद्रोही” के रूप में प्रसिद्ध
- विद्रोह का आरंभ: वनचरिजोर (भागलपुर) से
- संदेश के प्रसार हेतु साल पत्तों का प्रयोग
- ब्रिटिश अधिकारी क्लीवलैंड को तीर से मार गिराया
- 1785 में भागलपुर में बरगद के पेड़ से फाँसी
- झारखंड के पहले जनजातीय शहीद
- 1991 में भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम “तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय” रखा गया
4. भगिरथ मांझी – खरवार सुधारक
- जन्म: तालडीह (गोड्डा), खरवार जनजाति
- “बाबाजी” के नाम से प्रसिद्ध
- 1874 में खरवार आंदोलन की शुरुआत
- प्रारंभ में एकेश्वरवाद और सामाजिक सुधारों पर जोर
- बाद में यह आंदोलन भूमि कर विरोधी आंदोलन बन गया
- स्वयं को बोसी गाँव का राजा घोषित किया, लगान न देने का आह्वान
- 1875 में गिरफ्तार, 1877 में रिहा, 1879 में निधन
5. वीर बुधु भगत – लरका विद्रोह के नायक
- जन्म: 18 फरवरी 1792, सिली गाँव (रांची), उरांव जनजाति
- 1828–32 के लरका महाविद्रोह और 1831–32 के कोल विद्रोह के प्रमुख नेता
- छोटानागपुर के पहले क्रांतिकारी, जिन पर ब्रिटिशों ने ₹1000 का इनाम रखा
- 14 फरवरी 1832 को कैप्टन इम्पे के नेतृत्व में कार्रवाई में वीरगति
- उनके साथ भाई, पुत्र (हलधर और गिरधर), भतीजा और 150 अन्य क्रांतिकारी मारे गए
- 13 अक्टूबर 2021 को डाक विभाग द्वारा विशेष कवर जारी किया गया
6. जातरा भगत – टाना भगत आंदोलन के संस्थापक
- जन्म: 2 अक्टूबर 1888, छिंगरी नवाटोली गाँव (बिशुनपुर, गुमला), उरांव जनजाति
- पिता: कोहरा भगत, माता: लिबरी भगत
- पत्नी: बुधनी भगत (बुधनी उरांव)
- 1914 में हेसराग गाँव में तुरिया भगत से दीक्षा प्राप्त, आत्मज्ञान हुआ
- “टाना भगत आंदोलन” की स्थापना – गांधीवादी विचारों से प्रेरित
- 1916 में सात साथियों सहित गिरफ्तार, 1.5 वर्ष की सजा, जेल में अमानवीय यातना
- रिहाई के दो माह बाद ही 1916 में मृत्यु
- 1948 में “टाना भगत रायत भूमि बहाली अधिनियम” लागू
7. रघुनाथ महतो – चुआर विद्रोह के पहले चरण के नायक
- जन्म: घुटियाडीह गाँव (सरायकेला-खरसावां जिला)
- चुआर विद्रोह के पहले चरण का नेतृत्व
- प्रसिद्ध नारा:
“अपना गाँव अपना राज, दूर भगाओ विदेशी राज” - ब्रिटिशों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध पद्धति का प्रयोग
- 5 अप्रैल 1778 को सिली (रांची) के कीता-लोटागाँव में हत्या
- उनके जीवन पर बनी लघु फिल्म “माटी के सपूत” – पालाश फिल्म प्रोडक्शन द्वारा
8. चानक्य महतो – कुड़मी विद्रोह की आवाज़
- कुड़मी समाज के परगनैत
- ब्रिटिश शोषण के विरुद्ध लोगों को संगठित किया, संथाल विद्रोह से भी जुड़ा
- नारा:
“अपन माटी, अपन दाना, पेट काटी नहीं देबू खजाना” - 1856 में धोखे से पकड़े गए (टैप नारायण द्वारा), ब्रिटिशों ने कशिया नदी (गोड्डा) के पास फाँसी दी
9. गंगा नारायण सिंह – भूमिज विद्रोह (1832–33) के नायक
- जन्म: बराभूम के शाही परिवार (बीरभूम)
- पिता: लक्ष्मण नारायण सिंह (जमींदार); माता: ममता देवी
- 1832–33 में भूमिज विद्रोह का नेतृत्व (ब्रिटिश इसे “गंगा नारायण का उत्पात” कहते थे)
- विद्रोह के कारण कई काले कानून रद्द किए गए:
- भूमि बिक्री कानून
- उत्तराधिकार कानून
- लाख उत्पाद शुल्क
- नमक कानून
- वन कानून
- पोढ़ाहाट, चाईबासा के हो जनजातियों को भी संगठित किया
- 1832 में दीवान माधव सिंह की हत्या
- 3 फरवरी 1833 को हिंदशहर पुलिस स्टेशन पर हमला
- 7 फरवरी 1833 को ठाकुर चेतन सिंह के सैनिकों द्वारा हत्या
10. तेलंगा खड़िया – ज्यूरी पंचायत के संस्थापक और गुरिल्ला योद्धा
जन्म: 9 फरवरी 1806, मुरमु गाँव (गुमला), खड़िया कृषक परिवार
पिता: दूइया खड़िया | माता: पेटो खड़िया
- “ज्यूरी पंचायत” नामक ग्राम-स्तरीय आदिवासी प्रशासनिक प्रणाली की स्थापना की
- 1849–50 में ब्रिटिशों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया
- 21 मार्च 1852 को कुम्हरी गाँव में एक पंचायत बैठक के दौरान गिरफ़्तार किए गए और कलकत्ता जेल भेजे गए
- 22 अप्रैल 1880 को रिहा हुए, लेकिन अगले दिन 23 अप्रैल को बोधन सिंह द्वारा हत्या कर दी गई
- समाधि स्थल: गुमला में “तेलंगा तोपा टांड” के नाम से प्रसिद्ध
मुख्य योगदान:
कर भुगतान से इंकार किया
समानांतर सेना बनाई और आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षण दिया
गुरिल्ला युद्ध नीति अपनाई
भूमि की पुनः प्राप्ति के लिए संघर्ष किया
विभिन्न गाँवों में ज्यूरी पंचायत की स्थापना की
11. रानी सर्वेश्वरी – संथाल परगना की विद्रोही रानी
- सुलतानाबाद (संथाल परगना) की रानी
- 1781–82 में पहाड़िया सरदारों की मदद से विद्रोह का नेतृत्व किया
- 6 मई 1807 को भागलपुर जेल में निधन हुआ
12. पोतो सरदार / पोतो हो – सेरेंगसिया घाटी युद्ध के नायक
- जन्म: राजबासा गाँव (पूर्वी सिंहभूम), हो जनजाति
- 18 नवंबर 1837 को सेरेंगसिया घाटी में ब्रिटिशों के खिलाफ युद्ध का आयोजन किया
- इस युद्ध में 26 हो योद्धा शहीद, कई अंग्रेज सैनिक मारे गए
- प्रतीकात्मक तीर मंगी नायक द्वारा दिया गया, जिससे गाँवों में समर्थन जुटाया
- 1 जनवरी 1838 को जगन्नाथपुर (पूर्वी सिंहभूम) में ब्रिटिशों द्वारा फांसी दी गई
- 2 जनवरी 1838 को कई अन्य आदिवासियों को भी फांसी दी गई
- राजबासा गाँव को शहीद ग्राम विकास योजना में शामिल किया गया
- 2020 में झारखंड सरकार ने पोतो हो खेल विकास योजना शुरू की
- डच शोधकर्ता डॉ. पॉल स्टूमर ने अपनी पुस्तक “A Land of Their Own” में पोतो हो का उल्लेख किया
1857 की क्रांति के प्रमुख झारखंडी योद्धा
13. जमादार माधव सिंह, सुबेदार नादिर अली खान, और सुबेदार जयमंगल पांडे
- ब्रिटिश भारतीय सेना में कार्यरत थे, हजारीबाग जाते समय रामगढ़ में विद्रोह कर दिया
- 3 अक्टूबर 1857 को नादिर अली खान और जयमंगल पांडे गिरफ़्तार हुए
- 4 अक्टूबर 1857 को दोनों को फांसी दे दी गई
- माधव सिंह भाग निकले और गिरफ़्तारी से बच गए
14. पांडेय गणपत राय
- 1857 के हजारीबाग विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
- नगास राजा विश्वनाथ शाहदेव से समन्वय किया
- 21 अप्रैल 1858 को रांची कमिश्नर कार्यालय परिसर (अब जिला स्कूल) में फांसी दी गई
15. ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव – 1857 के विद्रोह के रांची से नेतृत्वकर्ता
- 1857 की क्रांति में हजारीबाग विद्रोहियों का नेतृत्व किया
- विश्वनाथ दुबे और महेश नारायण शाही द्वारा विश्वासघात किया गया, जिसके कारण उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ़्तार कर लिया
- 16 अप्रैल 1858 को रांची में कमिश्नर कार्यालय परिसर (अब जिला स्कूल) के एक वृक्ष से फांसी दे दी गई
16. टिकैत उमराव सिंह – ओरमांझी के ज़मींदार
- ओरमांझी के 12 गाँवों के ज़मींदार
- 6 जनवरी 1858 को ब्रिटिश सैनिक कप्तान मैकडोनाल्ड द्वारा मद्रास रेजीमेंट की मदद से गिरफ़्तार किए गए
- उनके दीवान शेख भिखारी और भाई घासी सिंह भी साथ में गिरफ़्तार हुए
- 8 जनवरी 1858 को चुटुपालु घाटी में “फांसीयाही वट” नामक वटवृक्ष से फांसी दी गई
17. शेख भिखारी – दीवान और विद्रोह के संयोजक
- जन्म: 1831, होकटे गाँव (ओरमांझी, रांची)
- ठाकुर विश्वनाथ राय के दीवान के रूप में कार्यरत
- रांची और चाईबासा के युवाओं की भर्ती कर बरकागांव विद्रोही दल तैयार किया
- टिकैत उमराव सिंह के साथ 8 जनवरी 1858 को चुटुपालु घाटी में फांसी दी गई
18. नीलांबर–पीतांबर – पलामू के आदिवासी वीर भाई
- पिता: चेमो सिंह, जिन्होंने चेमो और सन्या गाँवों की स्थापना की
- 1857 के पलामू विद्रोह का नेतृत्व किया
- परिवार के साथ छुपे हुए थे, लेकिन मुखबिरों के कारण गिरफ़्तार हुए
- अप्रैल 1859 में लेस्लीगंज (पलामू) में फांसी दे दी गई
- नीलांबर–पीतांबर विश्वविद्यालय, 2009 में मेदिनीनगर में उनकी स्मृति में स्थापित
19. राजा नीलमणि सिंह – पंचेत के राजा
- 1857 में संथालों को ब्रिटिशों के विरुद्ध उकसाया
- नवंबर 1857 में कैप्टन माउंट गोमरी द्वारा गिरफ़्तार कर अलीपुर जेल (कोलकाता) भेजा गया
20. राजा अर्जुन सिंह – पोरहाट के राजा और विद्रोह समर्थक
- पोरहाट के राजा, 1857 के विद्रोह के दौरान
- चाईबासा के विद्रोही सैनिकों को शरण दी
- सिंहभूम क्षेत्र में मुख्य विद्रोही नेता के रूप में उभरे
- मृत्यु वाराणसी में हुई
21. जहांगीर रतनजी दादाभाई (जे. आर. डी.) टाटा – भारतीय नागरिक उड्डयन के जनक
- जन्म: 29 जुलाई 1904, पेरिस (फ्रांस)
- पिता: जे. एन. टाटा, माता: सूनी टाटा (फ्रांसीसी मूल की)
- 1929 में भारत का पहला पायलट लाइसेंस प्राप्त करने वाले व्यक्ति
- 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की, जो बाद में एयर इंडिया बनी
- 1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया
- बॉम्बे प्लान (1944–45) के सह-लेखक – भारत के आर्थिक विकास के लिए
- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) की स्थापना 1945 में मुंबई में
- टाटा समूह के अध्यक्ष रहे (1938–1991)
- 1992 में भारत रत्न प्राप्त करने वाले पहले उद्योगपति
22. सरस्वती देवी – झारखंड की प्रथम महिला क्रांतिकारी
- जन्म: 5 फरवरी 1901, हजारीबाग
- पिता: श्री विष्णु दयाल लाल सिन्हा, उर्दू, फ़ारसी, अरबी के प्रोफेसर (सेंट कोलंबा कॉलेज)
- 1925 में महात्मा गांधी को हजारीबाग आमंत्रित किया
- 1929 में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ़्तार होकर भागलपुर जेल भेजी गई
- 1947–1952 तक भागलपुर से विधायक रहीं
- 10 दिसंबर 1958 को निधन
- महत्वपूर्ण तथ्य: झारखंड की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी, जिन्हें जेल भेजा गया
23. चुन्नू महतो – 1918 के आंदोलन के नेता (बोकारो)
- 1918 के जनआंदोलन में प्रमुख भूमिका
- हजारीबाग से चतरा तक तिरंगा लेकर पदयात्रा की, ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों को प्रेरित किया
- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गोमिया थाना में पुलिस द्वारा बुरी तरह पीटा गया
- हजारीबाग सेंट्रल जेल में कैद रहे
- महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित, रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान नंगे पांव उनसे मिलने गए
- उनके पुत्र रतीलाल महतो को गांधी महतो कहा जाता है
24. जमशेदजी नुसरवानजी टाटा (जे. एन. टाटा) – टाटा समूह के संस्थापक
- जन्म: 3 मार्च 1839, नवसारी (गुजरात)
- पिता: नुसरवानजी, माता: जीवनबाई
- 1887 में इम्प्रेस कॉटन मिल, नागपुर में स्थापित की
- टाटा स्वदेशी मिल की स्थापना – सूती वस्त्र उद्योग हेतु
- टाटा स्टील (TISCO) की कल्पना स्वयं की, स्थापना 1907 में दोराबजी टाटा द्वारा
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), बेंगलुरु, और ताज होटल, मुंबई की स्थापना
- निधन: 19 मई 1904, जर्मनी में
25. सखाराम गणेश देउसकर – लेखक और राष्ट्रवादी विचारक
- जन्म: मराठा परिवार, देवघर
- प्रमुख बंगाली लेखक
- उल्लेखनीय कृतियाँ:
- तिलकर मुकदमा
- देशेर कथा (1904) – ब्रिटिश शासन के आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण
- देशेर कथा को 1910 में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया
- बंगाली दैनिक “हितवादी” के सह-संपादक रहे
26. नगरमल मोदी – स्वदेशी आंदोलन के सहयोगी
- स्वदेशी आंदोलन के प्रमुख नेता
- 1935 में अबला आश्रम की स्थापना – विधवाओं और असहाय महिलाओं के लिए
27. रामनारायण सिंह – “छोटानागपुर केसरी”
- जन्म: टेतरिया (चतरा), पेशा: वकील
- महात्मा गांधी से प्रेरित होकर राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए
- 1940 में रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में गांधीजी द्वारा “छोटानागपुर केसरी” की उपाधि दी गई
- “स्वराज लुट गया” – इनकी प्रमुख रचना
28. जयपाल सिंह मुंडा – आदिवासी अस्मिता के प्रतीक व झारखंड पार्टी के संस्थापक
- जन्म: 3 जनवरी 1903, टकरा गाँव (खूँटी)
- जनजाति: मुंडा; मूल नाम: वेन्हन पाह
- ईसाई धर्म अपनाने के बाद नाम हुआ: ईश्वर दास, फिर एक पादरी ने रखा जयपाल सिंह
- विवाह:
- प्रथम – तारा मजूमदार (INC के पहले अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी की बेटी)
- द्वितीय – जहांआरा (ब्रिटिश कर्नल रोनाल्ड कार्टिश की पत्नी)
- इंग्लैंड में पढ़ाई के लिए चयनित हुए – St. Paul’s के प्राचार्य Canon Cosgrave द्वारा प्रायोजित
- 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे; भारत ने पहला स्वर्ण जीता
- 1939 में आदिवासी महासभा की स्थापना की
- 1950 में झारखंड पार्टी की स्थापना – अलग राज्य की मांग करने वाले प्रथम नेता
- 1952 व 1957 में पार्टी बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्ष बनी
- 1963 में झारखंड पार्टी का कांग्रेस में विलय
- निधन: 20 मार्च 1970 (ब्रेन हैमरेज)
- सम्मानजनक उपनाम: “मुंडा राजा” व “मरांग गोमके”
29. जुएल लकड़ा – झारखंड के पहले पद्मश्री आदिवासी
- जन्म: मुर्गू गाँव (राँची), उराँव जनजाति
- 1915 में छोटानागपुर उन्नति समाज की स्थापना की
- हॉकी और फुटबॉल के लिए यंग छोटानागपुर टीम की शुरुआत
- अक्टूबर 1947 में पद्मश्री से सम्मानित
- निधन: 13 सितंबर 1994
30. बिनोद बिहारी महतो – जननायक व JMM के प्रथम अध्यक्ष
- जन्म: 23 सितंबर 1923
- 1941 में मैट्रिक, 1955 में कानून की डिग्री
- 1956 में अधिवक्ता बने (अवनींद्रनाथ सिन्हा के अधीन कार्य शुरू)
- BCCL, SAIL, मैथन विस्थापितों के मुकदमे मुफ्त में लड़े
- 1969 में शिवाजी समाज की स्थापना – कुर्मी समाज सुधार हेतु
- 1971 लोकसभा चुनाव (CPI-M) से लड़े – द्वितीय स्थान
- 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक अध्यक्ष बने
- आपातकाल (1974) में MISA के तहत गिरफ्तार हुए, भागलपुर व पटना जेल में बंद
- तुण्डी और सिंदरी से विधायक चुने गए, 1991 में गिरिडीह से सांसद बने
- निधन: 18 दिसंबर 1991, दिल का दौरा
- प्रसिद्ध उपनाम: “बाबू”
31. शिबू सोरेन – “दिशोम गुरु” व झारखंड आंदोलन के मुख्य नेता
- जन्म: 1942, नेमरा गाँव (रामगढ़)
- मूल नाम: शिवचरण लाल मांझी
- पिता: सोबरन मांझी, माता: सोना मनी
- जयपाल सिंह की मृत्यु के बाद झारखंड आंदोलन का नेतृत्व संभाला
- 1970 में सोनोत संथाल समाज की स्थापना – नशा और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ
- कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए और फिर 1973 में JMM की सह-स्थापना की
- 1975 में चिरुडीह (जामताड़ा) में हिंसक आंदोलन का नेतृत्व किया (11 लोग मारे गए)
- 1978 में “जंगल काटो अभियान” चलाया – केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा
- 1980 में दुमका से सांसद चुने गए
- 1986 में AJSU (अखिल झारखंड छात्र संघ) की स्थापना – निर्मल महतो के साथ
- इनके प्रयास से:
- 1989 – झारखंड एरिया कमेटी
- 1995 – झारखंड एरिया ऑटोनॉमस काउंसिल बनी
- तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं
- वर्तमान: राज्यसभा सांसद
- उपनाम: “दिशोम गुरु” व “गुरुजी”
32. निर्मल महतो – AJSU के संस्थापक व शहीद
- जन्म: 25 दिसंबर 1950
- प्रारंभिक राजनीति: झारखंड पार्टी से
- 1980 में JMM में शामिल हुए (शैलेन्द्र महतो के प्रभाव से)
- 1984 में JMM के अध्यक्ष बने
- 1986 में AJSU की स्थापना – युवाओं को आंदोलन से जोड़ने हेतु
- 8 अगस्त 1987 को जमशेदपुर में गोली मारकर हत्या
33. शक्तिनाथ महतो – किसान आंदोलन के शहीद
- जन्म: 2 अगस्त 1948, धनबाद
- पिता: श्री गणेश महतो, माता: सधवा देवी
- किसानों व मजदूरों के अधिकारों के लिए आंदोलन
- आपातकाल के दौरान 22 महीने जेल में रहे
- उनका प्रसिद्ध कथन: “हमारा संघर्ष लम्बा और कठिन होगा। पहली पीढ़ी मरेगी, दूसरी जेल जाएगी, तीसरी राज करेगी – और अंततः हम जीतेंगे।”
- 28 नवंबर 1977 को गोली लगने से शहीद
34. शैलेन्द्र महतो – JMM सांसद व झारखंड इतिहासकार
- जन्म: 11 अक्टूबर 1953, चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम)
- 20 वर्ष की आयु में राजनीति में प्रवेश
- 1978 में JMM में शामिल हुए, जल-जंगल-जमीन के लिए आंदोलन किया
- जमशेदपुर से सांसद बने
- प्रमुख पुस्तकें:
- झारखंड की समग्रता
- झारखंड विद्रोह का इतिहास
- आदिवासी-कुर्मी संग्राम
35. द्रौपदी मुर्मू – भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति
- जन्म: 30 जून 1958, उपरबेड़ा गाँव, मयूरभंज, ओडिशा
- पिता: बिरंची नारायण टुडू, पति: श्याम मुर्मू
- भाजपा विधायक और ओडिशा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं
- झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं
- भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं
36. बोनिफेस लकड़ा – कैथोलिक समाज सुधारक
- 1933 में छोटानागपुर कैथोलिक सभा की स्थापना की
- पहले महासचिव: इग्नेस बेक
- मुण्डारी पत्रिका ‘जगर सारा’ के संपादक रहे
37. सुशील कुमार बाघ बाघुन सुम्बेई – झारखंड पार्टी नेता
- 1967 में अखिल भारतीय झारखंड पार्टी की स्थापना की
- 1968 में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की स्थापना
- ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण का विरोध किया
38. ए. के. रॉय (अजीत कुमार राय) – वामपंथी श्रमिक नेता
- धनबाद के कोयला मजदूरों का संगठनकर्ता
- 1971 में मार्क्सवादी समन्वय समिति (MCC) की स्थापना
- झारखंड के लिए “लालखंड” राज्य का नारा दिया
- बिहार सरकार ने देशद्रोही घोषित किया
39. के. सी. हेम्ब्रम – आदिवासी चित्रकार
- अंतरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकार
- 1989 में कला श्री पुरस्कार से सम्मानित
- आदिवासी जीवन और संस्कृति पर आधारित चित्र बनाए
40. फादर कैमीले बुल्के – हिंदी के विदेशी साधक
- जन्म: बेल्जियम, बाद में झारखंड निवासी
- हिंदी में भारत का पहला पीएचडी शोध: “रामकथा: उद्भव और विकास”
- हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दकोश का निर्माण किया
- पद्म भूषण सम्मानित
41. डॉ. गैब्रिएल हेम्ब्रम – आदिवासी हर्बल विशेषज्ञ
- गुमला निवासी, कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों का हर्बल इलाज
- जनजातीय हर्बल चिकित्सा में विशेषज्ञता
42. करिया मुंडा – वरिष्ठ भाजपा नेता
- लोकसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं
- 2019 में पद्म भूषण से सम्मानित (सामाजिक सेवा हेतु)
43. भीष्म नारायण सिंह – राज्यपाल एवं केंद्रीय मंत्री
- जन्म: पलामू
- केंद्रीय मंत्री, असम व तमिलनाडु के राज्यपाल
44. श्रीनिवास पनुरी – खोरठा साहित्य के जनक
- जन्म: बरवड्डा (धनबाद)
- “खोरठा भाषा के भीष्म पितामह” के रूप में प्रसिद्ध
- प्रमुख रचनाएँ: रामकथामृत, बाल किरण, मेघदूत, पारिजात, अपराजिता
45. अल्बर्ट एक्का – परमवीर चक्र विजेता
- जन्म: गुमला जिला
- 1971 भारत-पाक युद्ध में ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स के लांस नायक
- झारखंड के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता
46. एम. एस. धोनी – क्रिकेट के महारथी
- जन्म: 7 जुलाई 1981, रांची
- भारत के पूर्व कप्तान, प्रमुख उपलब्धियाँ:
- 2007 – T20 वर्ल्ड कप विजेता
- 2011 – वनडे वर्ल्ड कप विजेता
- 2013 – चैंपियंस ट्रॉफी विजेता
- पुरस्कार: पद्म श्री (2009), पद्म भूषण (2018), राजीव गांधी खेल रत्न
- IPL: चेन्नई सुपर किंग्स को 5 बार जिताया
47. दीपिका कुमारी – विश्व प्रसिद्ध तीरंदाज
- टाटा आर्चरी अकादमी (जमशेदपुर) में प्रशिक्षित
- पुरस्कार: अर्जुन अवार्ड (2012), पद्म श्री (2016)
- 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स, 2021 वर्ल्ड कप में गोल्ड
48. सुजीत मुंडा – ब्लाइंड क्रिकेट स्टार
- भारतीय दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम के वर्ल्ड कप विजेता सदस्य
- उपनाम: “झारखंड का बुमराह”
49. होपन मांझी – स्वतंत्रता सेनानी व विधान परिषद सदस्य
- निवासी: गोमिया (बोकारो)
- 1930 में जेल गए, गांधीजी से 1934 में मिले
- 1942 आंदोलन में घोड़े पर सवार होकर जनजागरण
- बाद में विधान परिषद सदस्य बने, 1990 में निधन
50. जीत राम बेड़िया – 1857 के क्रांतिकारी शहीद
- जन्म: 30 दिसंबर 1802, गगरो गांव (ओरमांझी, रांची)
- चुटूपालु घाटी में फांसीयों का विरोध किया
- 23 अप्रैल 1858 को ब्रिटिश से युद्ध में शहीद
- समाधि स्थल: घोड़ागढ़ा (बांसरगढ़ा)
- 2016 में शहीदों की सूची में शामिल
51. थेबल उराँव – संविधान सभा सदस्य
- जन्म: 25 नवंबर 1863, गुड्डू वाजपुर (रांची)
- 1920 में कांग्रेस में शामिल, कई आंदोलनों में भागीदारी
- संगठन संबंध:
- छोटानागपुर उन्नति समाज
- उराँव-मुंडा शिक्षा समाज
- सनातन महासभा
- किसान सभा (1930)
- लोकसभा में कुड़ुख भाषा में भाषण देने वाले पहले सदस्य
52. बुलू इमाम – जनजातीय कला संरक्षक
- सोहराय व कोहबर जनजातीय कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई
- 2019 में पद्म श्री से सम्मानित
53. जमुना टुडू – वन संरक्षण की योद्धा
- उपनाम: “लेडी टार्जन”
- वन माफिया के विरुद्ध संघर्ष किया
- 2019 में पद्म श्री से सम्मानित
54. दिगंबर हांसदा – विद्वान व लेखक
- शिक्षा व साहित्य में योगदान
- 2018 में पद्म श्री सम्मानित
55. राजकुमार सुधेन्द्र नारायण सिंह देव – छऊ नृत्य के नायक
- सरायकेला छऊ नृत्य के अंतरराष्ट्रीय कलाकार और कोरियोग्राफर
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित
56. केदारनाथ साहू – छऊ नृत्य के पुरोधा
- विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त छऊ नृत्य कलाकार
- पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त
57. श्रीप्रकाश – डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता
- झारखंड के गंभीर मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाईं
- “बुद्धा वीप्स इन जाडूगोड़ा” – यूरेनियम खान के खतरों पर बनी डॉक्यूमेंट्री
- अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त
58. महावीर महतो – जनजातीय लोक चित्रकार
- मिट्टी चित्रकला और छऊ नृत्य चित्रण के विशेषज्ञ
- 2021 में थाईलैंड अंतरराष्ट्रीय कला महोत्सव में भागदारी
- छोटानागपुर लोक कला संस्कृति संस्थान की स्थापना
59. अनुज कुमार सिन्हा – वरिष्ठ पत्रकार और लेखक
- प्रभात खबर के वरिष्ठ संपादक
- प्रमुख सम्मान:
- शंकर नियोगी पत्रकारिता पुरस्कार
- झारखंड रत्न, सरस्वतर हिरक सम्मान
- प्रमुख पुस्तकें:
- झारखंड आंदोलन का इतिहास
- शोषित संघर्ष शहादत
- दिशोम गुरु: शिबू सोरेन
- बरगद बाबा का दर्द
- महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा
- झारखंड: राजनीति और परिदृश्य
60. चामी मुर्मू – पर्यावरण कार्यकर्ता
- भारत सरकार का इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार प्राप्त
61. दयामनी बरला – पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता
- “झारखंड की आयरन लेडी” के रूप में प्रसिद्ध
- ग्रासरूट पत्रकारिता के लिए काउंटर मीडिया अवार्ड प्राप्त
62. सावित्री पूती – हॉकी की अग्रणी महिला खिलाड़ी
- झारखंड की पहली अंतरराष्ट्रीय आदिवासी महिला हॉकी खिलाड़ी
63. झानो हांसदा – चैंपियन तीरंदाज
- एशियाई चैंपियनशिप, वर्ल्ड कप आर्चरी व अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक
64. सुबोध कुमार – फुटबॉलर
- SAFF फुटबॉल चैंपियनशिप विजेता भारतीय टीम के सदस्य
65. सुमराई टेटे – अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी
- भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान
66. अंसूया लकड़ा – महिला हॉकी खिलाड़ी
- भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य
67. विमल लकड़ा – प्रमुख हॉकी खिलाड़ी
- झारखंड से राष्ट्रीय हॉकी में योगदान
68. राहुल बनर्जी – तीरंदाज
- टाटा आर्चरी अकादमी से प्रशिक्षित
- कॉमनवेल्थ गेम्स स्वर्ण पदक विजेता
69. अरुणा मिश्रा – मुक्केबाज
- 2004 व 2005 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता
70. चंचला कुमारी – महिला पहलवान
- झारखंड की पहली खिलाड़ी जिसने सब-जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भाग लिया
71. अष्टम उरांव – U-17 महिला फुटबॉल टीम की कप्तान
- 2022 FIFA U-17 महिला वर्ल्ड कप में भारत की कप्तान
- उनके नेतृत्व में झारखंड की अन्य खिलाड़ी:
- नीतू लिंडा
- अनीता कुमारी
- पूर्णिमा कुमारी
- अंजलि मुंडा
- सुधा अंकिता तिर्की
72. इम्तियाज अली – फिल्म निर्देशक
- जन्म: जमशेदपुर
- बॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक
73. तनुश्री दत्ता – अभिनेत्री
- फेमिना मिस इंडिया 2004, बॉलीवुड अभिनेत्री
74. आर. माधवन – अभिनेता
- बचपन: जमशेदपुर में बीता, भारतीय सिनेमा में प्रसिद्ध अभिनेता
75. मधु मंसूरी हँसमुख – लोकगायक
- नागपुरी लोकगीतों के लिए प्रसिद्ध
- झारखंड आंदोलन के दौरान आंदोलन गीतों की रचना
- पद्म श्री (2020), झारखंड रत्न (2011) से सम्मानित
76. शशधर आचार्य – छऊ नृत्य विशेषज्ञ
- 2020 में पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त
77. छुटनी महतो – सामाजिक कार्यकर्ता
- डायन प्रथा (विच हंटिंग) के खिलाफ संघर्ष
- 2021 में पद्म श्री से सम्मानित
78. गिरीधारी राम गोंझू – नागपुरी लेखक
- मरणोपरांत 2022 में साहित्य हेतु पद्म श्री
79. डॉ. जनुम सिंह सोय – हो भाषा लेखक
- 2023 में साहित्य व शिक्षा हेतु पद्म श्री प्राप्त
80. नंदलाल नायक – लोक संगीतकार और निर्देशक
- राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘अमू’ (2005) के संगीतकार
- संगीत नाटक अकादमी के सदस्य (2011)
81. यशवंत सिन्हा – राजनीतिज्ञ
- भारत के पूर्व वित्त व विदेश मंत्री
- 2001 में 11 बजे बजट पेश करने की परंपरा शुरू की (पहले 5 बजे होती थी)
82. बाबूलाल मरांडी – झारखंड के पहले मुख्यमंत्री
- पूर्व केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री
- झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) की स्थापना की (बाद में भाजपा में विलय)
- बेटे अनुप मरांडी की नक्सली हमले में मृत्यु (2007)
83. सिमोन उरांव – जल संरक्षण योद्धा
- अशिक्षित होते हुए भी प्रसिद्ध पर्यावरणविद
- उपनाम: “पानी बाबा”
- जंगल सुरक्षा समिति की स्थापना
- 2016 में पद्म श्री प्राप्त
- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्र ने उनके कार्य पर PhD की
84. डॉ. राम दयाल मुंडा – विद्वान एवं सांस्कृतिक प्रतीक
- राज्यसभा के पहले नामित सदस्य (झारखंड से)
- पुरस्कार:
- पद्म श्री (2010)
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2007)
- 30 सितंबर 2011 को निधन
85. पं. रघुनाथ मुर्मू – लिपि आविष्कारक
- संथाली भाषा के लिए ‘ओल चिकी’ लिपि का आविष्कार किया
86. सचिन दा – फोटोग्राफर
- संयुक्त राष्ट्र शांति पदक पाने वाले पहले भारतीय
87. हरेंद्र ठाकुर – चित्रकार
- “बिजूका” (काकभगोड़ा) विषय पर आधारित चित्रों के लिए प्रसिद्ध
88. मुकुंद नायक – लोकगायक व नर्तक
- नागपुरी लोक संगीत के लिए प्रसिद्ध
- ‘कुंजवन’ संस्था की स्थापना (रांची में)
- पुरस्कार:
- पद्म श्री (2017)
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2019)
89. विनोद महतो रसलीन – लोक कलाकार
- झारखंड में घोड़ा नृत्य परंपरा को पुनर्जीवित किया
- पुरस्कार:
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2021)
- उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान युवा पुरस्कार (2021)
- 2017 में ‘जागो जगाओ सांस्कृतिक मंच’ की स्थापना
90. सुभाषिश दास – इतिहासकार और लेखक
- निवासी: हजारीबाग
- मेगालिथ शोधकर्ता
- पैलियोलिथिक युग और पुरातात्विक ज्योतिर्विज्ञान पर खोज
- उनकी शोध झारखंड के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल
91. रिया टिर्की – मॉडल
- निवासी: सिमडेगा
- फेमिना मिस इंडिया 2022 की ग्रैंड फिनाले प्रतिभागी
92. प्रभात कुमार महतो – छऊ एवं पैका नर्तक
- निवासी: इचागढ़ (सरायकेला-खरसावाँ)
- नटराज कला केंद्र, चौग के सचिव
- IPL कार्यक्रमों में छऊ नृत्य प्रदर्शन किया