परिचय और भूमिका
- गया मुण्डा बिरसा मुण्डा के नेतृत्व में चलने वाले उलगुलान आंदोलन के मुख्य सेनापति थे।
- वे और उनका पूरा परिवार अंग्रेजों के विरुद्ध वीरता से लड़ा।
परिवार पर दमन
- गया मुण्डा के एक पुत्र को फाँसी दी गई।
- एक अन्य पुत्र को आजीवन देश निकाला मिला।
- पत्नी माकी दई, बेटियों, पुत्रवधुओं और छोटे बेटे को कठिन कारावास की सजा मिली।
घटनाक्रम – 5 जनवरी 1900
- 5 जनवरी 1900 को खूँटी थाना के कांस्टेबल सैको में गया मुण्डा को पकड़ने आया।
- प्रधान कांस्टेबल ने 2 सिपाही और 2 चौकीदार उनकी गिरफ्तारी के लिए भेजे।
- गया मुण्डा के गाँव एटकेडीह में उलगुलान योजना पर बैठक चल रही थी – जिसकी अध्यक्षता खुद गया मुण्डा कर रहे थे।
- बैठक में 80 उलगुलानी सेनानी शामिल थे।
ब्रिटिश सिपाहियों पर हमला
- गया मुण्डा और उनके साथियों ने सिपाहियों पर तीर चलाना शुरू किया।
- अंग्रेज सिपाही दो दल में बंटकर भाग गए।
- गया मुण्डा के बेटे सांभर मुण्डा ने जयराम नामक सिपाही पर तीर चलाया।
घटनाक्रम – 6 जनवरी 1900
- 6 जनवरी 1900, राँची के उपायुक्त स्ट्रीटफील्ड बंदगाँव से गया मुण्डा के घर एटकेडीह पहुँचा।
- उसने सिपाहियों के साथ मिलकर गया मुण्डा के घर को चारों ओर से घेर लिया।
गया मुण्डा का प्रतिकार
- स्ट्रीटफील्ड ने एक सिपाही को घर में भेजा — घर की महिलाओं ने उस पर लाठी से हमला किया।
- पूरा परिवार – पत्नी, बेटे, बहुएँ, बेटियाँ – हथियार लेकर लड़ने को तैयार थे।
- गया मुण्डा ने कहा: “यह घर मेरा है, उपायुक्त को मेरे घर में घुसने का कोई अधिकार नहीं है। अगर घुसे तो मार डालेंगे।”
घर जलाना और गिरफ्तारी
- उपायुक्त स्ट्रीटफील्ड ने वायसराय और कमिश्नर को घटना की जानकारी दी।
- उसने गया मुण्डा के घर में आग लगाने का आदेश दिया।
- तेज हवा के कारण पूरा घर जल गया, और परिवार बाहर आया, तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
सजा और मुकदमा
- 348 मुण्डाओं पर आपराधिक मुकदमा चलाया गया, जो दिसम्बर 1900 तक चला।
- गया मुण्डा के:
- एक बेटे को फाँसी की सजा मिली।
- बड़े बेटे डोका मुण्डा को आजीवन कारावास हुआ।
- पत्नी माकी को दो साल की कठोर कैद दी गई।
- दोनों बहुओं और बेटियों को तीन महीने की सजा मिली।
- दूसरे बेटे जयमसीह को देश निकाला दिया गया।
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