तिलका माँझी (1750–1785)

तिलका माँझी – झारखण्ड के पहले स्वतंत्रता सेनानी (1780–1785)

  • पूरा नाम: तिलका माँझी (जिन्हें जाबरा पहाड़िया के नाम से भी जाना जाता है)
  • जन्म: 11 फरवरी 1750, तिलकपुर गाँव, सुलतानगंज थाना, भागलपुर जिला
  • जाति: संताल (सांथाल) जनजाति
  • पिता का नाम: सुंदरा मुर्मू

व्यक्तित्व और कौशल

  • तीरंदाजी और जंगली जानवरों के शिकार में माहिर
  • दूरदर्शी, मिलनसार, कर्मठ और देशभक्त
  • एक कुशल योद्धा, जिन्होंने अपने साहस और नेतृत्व से पहचान बनाई
  • अंग्रेजी शोषण के खिलाफ पहले विद्रोहियों में से एक

अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष

  • तिलका माँझी ने संतालों को जागरूक किया:
    • अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियों के बारे में
    • फूट डालो और राज करो की नीति से सावधान किया
  • मुगल शासन में संतालों की स्वतन्त्रता थी, जिसे अंग्रेजों ने खत्म कर दिया

विद्रोह के कारण

  • अंग्रेजी कर नीति के खिलाफ आवाज़ उठाई — पहाड़ियों से कर नहीं लिया जाता था, पर अन्य लोगों से लिया जाता था
  • इस भेदभावपूर्ण नीति के कारण सभी वर्ग तिलका माँझी के नेतृत्व में एकजुट हो गए

प्रारंभिक संघर्ष

  • 1771 में वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल का मिलिट्री गवर्नर नियुक्त किया गया
  • 1773 में अगस्टस क्लीवलैंड को राजमहल क्षेत्र का अधीक्षक बनाया गया
  • 1779 तक, क्लीवलैंड ने 47 पहाड़िया सरदारों को अंग्रेजों का समर्थक बना लिया
  • फिर भी जन असंतोष बढ़ता गया और तिलका माँझी ने विद्रोह का नेतृत्व किया

संथाल विद्रोह की शुरुआत

  • 1781 में, तिलका माँझी के नेतृत्व में संथाल विद्रोह प्रारंभ हुआ
  • भागलपुर के पास वनचरीजोर नामक स्थान से आंदोलन शुरू किया गया
  • गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाकर अंग्रेजों को कठिनाई में डाल दिया

मुख्य घटना

  • 13 जनवरी 1784 को, तिलका माँझी ने तीर मारकर अगस्टस क्लीवलैंड की हत्या कर दी
  • यह घटना जनजातीय प्रतिरोध का प्रतीक बन गई

गिरफ्तारी और बलिदान

  • अंग्रेजों ने बड़ा हमला किया, पर तिलका माँझी पहाड़ों में छिपकर लड़ते रहे
  • अंततः सरदार जौराह ने उन्हें धोखे से पकड़वा दिया
  • तिलका माँझी को पकड़कर अत्यंत क्रूरता से फांसी दे दी गई
  • वे जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले शहीद माने जाते हैं

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