सिनगी दई – उरांव वीरांगना और रोहतासगढ़ की राजकुमारी

परिचय और पृष्ठभूमि

  • सिनगी दई रोहतासगढ़ की राजकुमारी थीं।
  • वह उरांव समाज की एक वीरांगना थीं।
  • उन्होंने नारी सेना का गठन कर मुगल आक्रांताओं को पराजित किया।
  • उन्हें झारखंड की “झाँसी की रानी” के रूप में याद किया जाता है — क्योंकि उन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध लड़ा और जीत हासिल की

मुगल आक्रमण की सूचना और तैयारी

  • मुगलों ने उरांवों पर आक्रमण की योजना बनाई थी।
  • सिनगी दई को यह सूचना पहले ही मिल गई कि हमला होने वाला है।
  • उन्होंने देखा कि उरांव समाज के सभी पुरुष हड़िया पीकर उत्सव मना रहे थे और उन्हें खतरे का आभास नहीं था।
  • ऐसे में सिनगी दई ने स्वयं नेतृत्व किया और अपनी नारी सेना के साथ युद्ध के लिए तैयार हो गईं।

मुगलों से मुठभेड़ और विजय

  • सिनगी दई और उनकी पुलिस बनी नारी सेना ने मुगलों से मुठभेड़ की।
  • अपने पराक्रम और साहस से सिनगी दई ने मुगलों को पराजित कर दिया।
  • यह घटना उरांवों के राजा उरगन ठाकुर के शासनकाल में घटी थी।

धोखा और दुश्मन की योजना

  • एक ग्वालिन लुंदरी ने मुगलों को नारी सेना की सच्चाई बता दी।
  • मुगल सेनापति को विश्वास नहीं हुआ कि वे वास्तव में एक महिला सेना से हार गए हैं।
  • तब लुंदरी ने कहा कि नदी में नारी सेना अपने दोनों हाथों से मुंह धो रही है, चलकर देख लो — यह दृश्य नारी सैनिकों की पहचान का संकेत था।

सहेली और वीरता की मिसाल

  • कैली दई, सिनगी दई की सहेली थीं — उनकी भूमिका ठीक वैसी ही थी जैसे झाँसी की रानी की झलकारी बाई की।
  • सिनगी दई और कैली दई ने मिलकर तीन बार मुगलों को पराजित किया।

सांस्कृतिक स्मृति और विरासत

  • उनकी वीरता की याद में, उरांव समाज की महिलाएं अपने शरीर पर तीन रेखाएं गुदवाती हैं, जो सिनगी दई और कैली दई की जीत की प्रतीक हैं।

Comments

One response to “सिनगी दई – उरांव वीरांगना और रोहतासगढ़ की राजकुमारी”

  1. […] 11. सिनगी दई (रोहतास गढ़ की वीरांगना) […]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *