बुधु भगत – कोल विद्रोह के महान जननायक (1792–1832)
- पूरा नाम: बुधु भगत
- जन्म: 17 फरवरी 1792, सिलागाई गाँव, चान्हों प्रखंड, राँची जिला, झारखंड
- जाति: उराँव (Oraon)
- स्थान: कोयल नदी के तट पर बसा हुआ गाँव
व्यक्तित्व और प्रारंभिक जीवन
- बचपन से ही तीरंदाजी और तलवारबाजी में रुचि
- ग्रामीणों में लोकप्रियता — उन्हें एक दैविक शक्ति सम्पन्न जननायक माना जाने लगा
- निडर, वीर और नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण
- अंग्रेजों और जमींदारों के शोषण के विरुद्ध प्रतिरोध का चेहरा
कोल विद्रोह का नेतृत्व
- बुधु भगत ने कोल विद्रोह (Kol Rebellion) का नेतृत्व किया
- यह विद्रोह ब्रिटिश शासन और उनके समर्थक ज़मींदारों के खिलाफ था
- उन्होंने आदिवासियों को संगठित किया और जंगलों में गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई
- सैनिक कार्रवाई के दौरान, अंग्रेजों पर तीरों की वर्षा की जाती थी
मुख्य संघर्ष
- 1832 में, अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए सेना भेजी
- पिठौरिया, बुण्डू, तमाड़ जैसे स्थानों पर अंग्रेजों और विद्रोहियों के बीच भीषण युद्ध हुआ
- बुधु भगत लंबे समय तक पकड़ से बाहर रहे
शहादत
- 13 फरवरी 1832 को, कप्तान इम्पे की अगुवाई में अंग्रेजी सेना ने सिलागाई पर हमला किया
- अंग्रेजों के गोला-बारूद के सामने आदिवासी तीरों की ताकत कम पड़ गई
- 14 फरवरी 1832 को, बुधु भगत वीरगति को प्राप्त हुए
- अंग्रेजों ने बुधु भगत, उनके भाई और भतीजों के कटे हुए सिरों को शिविर में प्रदर्शित कर ग्रामीणों में दहशत फैलाने का प्रयास किया
इतिहास में स्थान
- बुधु भगत को माना जाता है – प्रथम जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम का महानायक
- उनका उद्देश्य सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि अंग्रेजों को हटाकर स्वशासन की स्थापना था
- यहां तक कि अंग्रेज अफसर भी उनकी संगठन क्षमता और उद्देश्य को मान्यता देते थे
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