ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव – झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी (1857 क्रांति)

जन्म, परिवार और प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: 12 अगस्त 1817
  • जन्मस्थान: सतरंजी (बरकागढ़ की राजधानी) — वर्तमान में एच०ई०सी० परिसर में समाहित
  • पिता: ठाकुर रघुनाथ शाहदेव (छोटानागपुर महाराजा द्वारा प्रदत्त 97 गाँवों के जागीरदार)
  • माता: वाणेश्वरी कुँवर
  • उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त किया
  • बचपन से ही शासन व्यवस्था और युद्ध-कला में रुचि
  • 1840 में पिता की मृत्यु के बाद जागीरदारी का कार्यभार संभाला

प्रशासनिक सुधार और ब्रिटिश विरोध

  • सबसे पहला कार्य: राजधानी को सतरंजी से हटिया स्थानांतरित किया
  • गद्दी संभालने के बाद पाया कि वास्तविक शासन अंग्रेजों के हाथ में है
  • देशी राजाओं और जागीरदारों के अधिकार नगण्य हो चुके थे
  • अंग्रेजी शासन का विरोध करने का निर्णय लिया और योग्य अवसर की तलाश करने लगे

विद्रोह और स्वतंत्रता की घोषणा

  • 1855 में, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका
  • स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया
  • कर्नल डालटन को भेजकर ठाकुर पर हमला करवाया गया
  • घमासान युद्ध में ठाकुर ने अंग्रेजों को पराजित किया

1857 की क्रांति में सक्रिय भूमिका

  • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान झारखंड में भी विद्रोह फैल गया
  • सहयोगियों में:
    • जागीरदार माधो सिंह
    • राजा टिकैत सिंह
    • शेख भिखारी
  • रामगढ़ स्थित विद्रोही सैनिकों ने उनका साथ दिया
  • कुछ तोपखाना और शस्त्र लेकर राँची लौटने में सफल हुए
  • पूर्व दीवान पाण्डेय गणपत राय के साथ मिलकर संघर्ष का नेतृत्व किया
  • विद्रोहियों ने गणपत राय को सेनापति चुना
  • छोटानागपुर के महाराजा ने अंग्रेजों का साथ दिया

कुँवर सिंह से मिलने की योजना

  • बाबू कुँवर सिंह से संपर्क और सहयोग के लिए योजना बनाई
  • मार्ग: कुडु → चन्दवा → वालुमाथ → चतरा होते हुए
  • लेकिन रास्ते में ही अंग्रेजों ने हमला किया
  • ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव भागने में सफल रहे और फिर से संघर्ष की तैयारी में जुटे

अंग्रेजों की चाल और गिरफ्तारी

  • अंग्रेजों ने “फूट डालो, राज करो” की नीति अपनाई
  • कई विश्वासघाती साथियों को खरीद लिया
  • 30 मार्च 1858 को वे विश्वासघात के कारण पकड़े गये
  • सूचना देने वाला व्यक्ति: विश्वनाथ दुबे
  • आरोप:
    • रामगढ़ के विद्रोही सैनिकों का साथ देना
    • घाटो मार्ग अवरुद्ध करना
    • सिपाहियों को भड़काना
    • व्यापारियों से अवैध वसूली करना

मुकदमा, फाँसी और संपत्ति जब्ती

  • उन पर देशद्रोह का संक्षिप्त मुकदमा चलाया गया
  • सजा: फाँसी
  • फाँसी का स्थान: वर्तमान जिला स्कूल, राँची के मुख्य गेट के पास
  • एक कदम के वृक्ष से लटकाकर फाँसी दी गई
  • सजा के साथ:
    • 97 गाँवों की जमींदारी जब्त की गई
    • जगन्नाथपुर मंदिर की संपत्ति भी जब्त की गई (बाद में पुजारी को वापस)
    • 1872 में संपत्ति वापसी के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में मुकदमा किया गया — अस्वीकृत हुआ

विरासत

  • ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव झारखंड के प्रथम संगठित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक थे
  • उन्होंने पाण्डेय गणपत राय, शेख भिखारी जैसे योद्धाओं के साथ मिलकर 1857 की क्रांति को झारखंड में सशक्त बनाया
  • उनका बलिदान झारखंड की वीरता, स्वाभिमान और स्वतंत्रता चेतना का प्रतीक है

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