टिकैत उमराव सिंह – झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी

जन्म, परिवार और प्रारंभिक जीवन

  • जन्म स्थान: खटंगा गाँव, ओरमाँझी प्रखंड (कुछ लोग गंगा पातर को भी जन्मस्थान मानते हैं)
  • दो भाई थे: टिकैत उमराव सिंह और टिकैत घासी सिंह
  • कुशल घुड़सवार और सफल तलवारबाज थे

🇮🇳 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और योगदान

  • 1857 के विद्रोह में उन्होंने महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाई
  • अपने छोटे भाई और दीवान शेख भिखारी के साथ स्वतंत्रता संग्राम के लिए संगठित हुए
  • उस समय:
    • रामगढ़ बटालियन का मुख्यालय राँची में था
    • हजारीबाग में भी सेना की टुकड़ी तैनात थी

हजारीबाग और राँची का विद्रोह

  • हजारीबाग की सेना में कुछ हलचल हुई जिसे दबाने लेफ्टिनेंट ग्राहम के नेतृत्व में सेना 1 अगस्त 1857 को राँची से हजारीबाग भेजी गई
  • हजारीबाग के कुछ विद्रोही राँची की ओर चले गए
  • यह सुनकर ग्राहम की सेना में भी विद्रोह भड़क उठा
  • विद्रोह का नेतृत्व जमादार माधव सिंह ने किया
  • विद्रोहियों ने अंग्रेजों के हाथी और हथियार जब्त कर लिए
  • इस विद्रोह में टिकैत उमराव सिंह और शेख भिखारी ने खुलकर विद्रोहियों का समर्थन किया

राँची में स्वतंत्रता की घोषणा

  • 2 अगस्त 1857 को विद्रोही राँची पहुँचे
  • कर्नल डाल्टन और लेफ्टिनेंट ग्राहम ने डोरंडा छोड़कर कांके–पिठोरिया मार्ग होते हुए हजारीबाग की ओर पलायन किया
  • इस पलायन में पिठोरिया के परगने जगतपाल सिंह ने अंग्रेजों की मदद की
  • विद्रोहियों का नेतृत्व अब बड़कागढ़ के ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने संभाल लिया
  • सेनापति नियुक्त किए गए: पाण्डेय गणपत राय

रक्षा उपाय और आगे की रणनीति

  • टिकैत उमराव सिंह ने अंग्रेजों के प्रवेश को रोकने के लिए चुटूपालू घाटी मार्ग को ध्वस्त कर अवरुद्ध कर दिया
  • वीर कुंवर सिंह के बुलावे पर ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, पाण्डेय गणपत राय आदि विद्रोही सेनाएँ चतरा होकर रोहतासगढ़ जाने लगीं
  • चतरा में अंग्रेज सेना से युद्ध हुआ

अंग्रेजी दमन और गिरफ्तारी

  • जयमंगल पांडे और नादिर अली खान को पकड़कर फाँसी दे दी गई
  • इस सफलता से उत्साहित होकर अंग्रेज फिर से राँची लौटने लगे
  • 23 सितम्बर 1857 को कर्नल डाल्टन राँची लौट आया
  • राँची में स्वतंत्रता आंदोलन कमजोर पड़ने लगा

गिरफ्तारी, मृत्यु और संपत्ति जब्ती

  • अंग्रेज अधिकारियों ने प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों की तलाश शुरू की
  • टिकैत घासी सिंह को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया जहाँ उनकी मृत्यु हो गई
  • टिकैत उमराव सिंह और शेख भिखारी को भी गिरफ्तार कर 8 जनवरी 1858 को फाँसी दे दी गई

जमींदारी जब्ती

  • टिकैत उमराव सिंह के 12 गाँवों की जमींदारी जब्त कर ली गई
  • ये 12 गाँव इस प्रकार हैं:
    खटंगा, हरचन्दा, कुटे, सिलदीरी, झीरी, हेसातू,
    कोवालु, गगारी, डहु, चापावाइर, बरवे और (एक गाँव का नाम अधूरा है)

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