झारखंड में स्थानीय शासन – पंचायती राज और ग्रामीण प्रशासन (2001-2024)

“झारखंड की त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था, नगर निकाय प्रशासन, अनुसूचित क्षेत्रों की संरचना और भारतीय संविधान के प्रासंगिक अनुच्छेदों से जुड़ी यह विस्तृत हिंदी गाइड – UPSC, JPSC, JSSC सहित सभी राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय शासन की संपूर्ण और अद्यतन जानकारी प्रदान करती है।”

झारखंड में स्थानीय शासन का परिचय

झारखंड में स्थानीय शासन दो भागों में विभाजित है:

  • ग्रामीण प्रशासन (पंचायती राज)
  • शहरी प्रशासन (नगर निकाय शासन)

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख ढांचे:

  • ग्राम पंचायत (गांव स्तर)
  • पंचायत समिति (प्रखंड स्तर)
  • जिला परिषद (जिला स्तर)

झारखंड पंचायती राज अधिनियम, 2001

2001 में लागू, इस अधिनियम ने झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत की।

आरक्षण प्रावधान

🟊 अधिसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के लिए 80% आरक्षण
🟊 गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 50% आरक्षण
🟊 सभी श्रेणियों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण

झारखंड में अधिसूचित अनुसूचित क्षेत्र (2007 के राष्ट्रपति आदेश के अनुसार)

कुल 16 जिले अधिसूचित हैं:

पूरी तरह अधिसूचित (13 जिले):

रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज, पाकुड़, सरायकेला-खरसावां

आंशिक रूप से अधिसूचित (3 जिले):

  1. पलामू – सतबरवा प्रखंड
  2. गढ़वा – भंडरिया प्रखंड
  3. गोड्डा – सुंदरपहाड़ी व बोआरीजोर प्रखंड

🟊 कुल अधिसूचित प्रखंड – 131

त्रिस्तरीय पंचायती राज का ढांचा

ग्राम पंचायत (गांव स्तर)

  • पंचायती राज की प्राथमिक एवं सबसे निचली इकाई
  • प्रत्येक 5,000 ग्रामीण जनसंख्या पर एक ग्राम पंचायत
  • वर्तमान में 4,345 ग्राम पंचायतें झारखंड में हैं
  • इनमें से 2,074 अधिसूचित पंचायतें, जिनमें सभी सीटें ST के लिए आरक्षित हैं

रचना और चुनाव

🟊 प्रत्येक 500 जनसंख्या पर एक सदस्य
🟊 चुनाव में SC, ST एवं महिलाओं को आरक्षण
🟊 मुखिया – पंचायत का प्रमुख
🟊 उप-मुखिया – अनुपस्थिति में जिम्मेदारी संभालते हैं

चुनाव और कार्यकाल

🟊 मुखिया का सीधा चुनाव ग्रामीण मतदाताओं द्वारा
🟊 कार्यकाल – 5 वर्ष
🟊 2/3 बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाया जा सकता है
🟊 अनुपस्थिति में उप-मुखिया अधिकतम 6 माह तक कार्य कर सकते हैं
🟊 इसके बाद नया चुनाव अनिवार्य है

पंचायत सेवक (सचिव) – राज्य द्वारा नियुक्त, राज्य और गांव के बीच समन्वय करता है

ग्राम पंचायत के कार्य

  1. प्रशासनिक कार्य
  2. विधि व्यवस्था बनाए रखना
  3. विकास कार्य
  4. कल्याणकारी गतिविधियाँ
  5. व्यापारिक सेवाएं
  6. नागरिक उपयोगिता सेवाएं

ग्राम पंचायत की आय के स्रोत

🟊 स्थानीय कर और शुल्क
🟊 राज्य सरकार से अनुदान
🟊 दान (व्यक्तिगत / संस्थागत)

ग्राम पंचायत की 4 प्रमुख इकाइयाँ

घटकभूमिका
ग्राम सभाविधायिका (जन प्रतिनिधि मंडल)
ग्राम पंचायतकार्यपालिका (नीति क्रियान्वयन)
ग्राम कचहरीन्यायपालिका (गांव स्तर की अदालत)
ग्राम रक्षा दलपुलिस व सुरक्षा तंत्र

ग्राम सभा

गांव के सभी वयस्क मतदाताओं से गठित
एक पंचायत में कई गांव हों तब भी एक ग्राम सभा

सामर्थ्य और कर्तव्य:

🟊 पंचायत के प्रस्तावों की मंजूरी
🟊 पंचायत चुनाव
🟊 पंचायत के कार्यों की निगरानी (Watchdog की भूमिका)*

ग्राम कचहरी (Village Court)

  • सिविल व आपराधिक मामलों का निपटारा
  • सरपंच – प्रत्यक्ष निर्वाचित
  • कुल 9 सदस्य – सरपंच सहित
  • उप-सरपंच आंतरिक रूप से चयनित
  • मुखिया या कार्यकारी सदस्य कचहरी में नहीं हो सकते
  • कार्यकाल – 5 वर्ष

अधिकार क्षेत्र:

🟊 ₹10,000 तक के मामलों का निपटारा
🟊 अधिकतम 1 माह की सादी सजा या ₹1,000 का जुर्माना
🟊 जुर्माना न देने पर 15 दिन अतिरिक्त सजा

ग्राम रक्षा दल

गांव स्तर की पुलिस सेवा
18–30 वर्ष के युवाओं से गठित
दलपति – मुखिया और कार्यकारिणी की संस्तुति पर नियुक्त

कार्य:

🟊 शांति व्यवस्था
🟊 आपातकाल में सहायता

पंचायत समिति (प्रखंड स्तर)

  • पंचायती राज की दूसरी (मध्यवर्ती) इकाई
  • झारखंड में 264 प्रखंड, सभी में कार्यशील समिति
  • 131 अधिसूचित प्रखंडों में 100% ST आरक्षण

संरचना

  • प्रति 5,000 जनसंख्या पर एक निर्वाचित सदस्य
  • पदेन सदस्य – क्षेत्र के सभी मुखिया
  • सहायक सदस्य – क्षेत्र के विधायक, सांसद

नेतृत्व और कार्यकाल

🟊 प्रमुख – समिति के मुखिया
🟊 उप-प्रमुख – सहायक
🟊 दोनों का कार्यकाल – 5 वर्ष
🟊 2/3 बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है
🟊 प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) – पदेन सचिव, निर्णय लागू करता है

प्रमुख कार्य:

  • राज्य योजनाओं का क्रियान्वयन
  • कृषि, पशुपालन, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि
  • ग्राम पंचायतों का निरीक्षण
  • करों की सिफारिश

राजस्व स्रोत

🟊 राज्य सरकार से अनुदान
🟊 भूमि कर व अन्य कर

जिला परिषद (Zila Parishad)

  • पंचायती राज की तृतीय व शीर्ष इकाई
  • झारखंड के सभी 24 जिलों में कार्यशील
  • 13 जिले पूर्ण रूप से अधिसूचित, 3 आंशिक

संरचना

  • प्रति 50,000 जनसंख्या पर एक निर्वाचित सदस्य
  • सभी प्रमुख (प्रमुख) पदेन सदस्य
  • विधायक व सांसद सहायक सदस्य

नेतृत्व और कार्यकाल

🟊 अध्यक्ष – जिला परिषद प्रमुख
🟊 उपाध्यक्ष – सहायक
🟊 कार्यकाल – 5 वर्ष
🟊 2/3 बहुमत या राज्य सरकार द्वारा हटाया जा सकता है
🟊 उप-विकास आयुक्त (DDC) – पदेन सचिव

प्रमुख कार्य:

  • योजनाओं की निगरानी
  • बजट स्वीकृति
  • अनुदान वितरण
  • नागरिक सेवाएं व विकास

राजस्व स्रोत

🟊 राज्य व केंद्र सरकार से अनुदान
🟊 स्थानीय कर व भूमि राजस्व से भागीदारी

झारखंड पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश – 2021

नगरपालिका क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में लागू
आपदा/महामारी के समय पंचायत चुनाव स्थगित होने पर:

🟊 निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल 6 माह तक बढ़ाया जा सकता है
🟊 पंचायत और जिला परिषद दोनों पर लागू

झारखंड में शहरी स्थानीय शासन

नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत एवं कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा संचालित

नगर निगम (Municipal Corporations)

9 नगर निगम वर्तमान में सक्रिय हैं:

  1. रांची (1979)
  2. धनबाद
  3. देवघर
  4. आदित्यपुर (2015)
  5. चास (2015)
  6. मेदिनीनगर
  7. हजारीबाग
  8. मानगो
  9. गिरिडीह

प्रशासनिक ढांचा

  • महापौर एवं उपमहापौर का प्रत्यक्ष चुनाव (2001 अधिनियम के तहत)
  • नगर आयुक्त – वास्तविक प्रशासक (राज्य द्वारा नियुक्त)

अन्य शहरी निकाय (ULBs)

  • 20 नगर परिषद
  • 20 नगर पंचायत
  • 1 अधिसूचित क्षेत्र समिति (Jamshedpur)
    कुल शहरी निकाय – 50
    🟊 गोमिया नगर परिषद – 31 दिसंबर 2020 को भंग

कैंटोनमेंट बोर्ड – रामगढ़

  • झारखंड का एकमात्र कैंटोनमेंट बोर्ड
  • रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत
  • कमांडिंग ऑफिसर – पदेन अध्यक्ष
  • 50% सदस्य निर्वाचित, 50% नामित

नगर पंचायत – जिला अनुसार

(सभी 18 सूचीबद्ध नगर पंचायतों की सूची यथावत दी गई है)

नगर परिषद – जिला अनुसार

(सभी 20 सूचीबद्ध नगर परिषदों की सूची यथावत दी गई है)

शहरी शासन पर परीक्षा केंद्रित प्रमुख तथ्य

🟊 झारखंड की पहली नगरपालिका – रांची (1869) → 1979 में नगर निगम बनी
🟊 केवल एक कैंटोनमेंट बोर्ड – रामगढ़
🟊 कुल 9 नगर निगम, 20 नगर परिषद, 20 नगर पंचायत, 1 NAC
🟊 TAC – मुख्यमंत्री अध्यक्ष, जनजातीय मंत्री उपाध्यक्ष

संविधानिक प्रावधान: झारखंड के शासन से संबंधित

राज्यपाल एवं कार्यपालिका से संबंधित अनुच्छेद

153 से 167, 161, 163, 165, 166

विधानमंडल व वित्तीय अनुच्छेद

196–200, 202–206, 212, 213

उच्च न्यायालय संबंधित अनुच्छेद

214–226, 222, 223, 225

जनजातीय संरक्षण संबंधी संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेदप्रावधान
15(4), 16(4)पिछड़े वर्गों/जनजातियों के हित
19(5), 23अधिकारों पर प्रतिबंध, बलात् श्रम निषेध
29, 46अल्पसंख्यक संरक्षण, ST/SC का विकास
164(1), 330–332जनजातीय कल्याण मंत्री, ST हेतु आरक्षण
335, 338(A), 339ST का सेवा में दावा, राष्ट्रीय आयोग, प्रशासनिक नियंत्रण

🟊 अनुसूचित क्षेत्र और जनजातीय प्रशासन – संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत

जनजातीय सलाहकार परिषद (TAC) – झारखंड

नई संरचना:

  • अध्यक्ष – मुख्यमंत्री
  • उपाध्यक्ष – जनजातीय कल्याण मंत्री
  • सदस्य संख्या – 20
    🟊 15 ST विधायक
    🟊 3 विषय विशेषज्ञ
    🟊 1 सरकारी सचिव
  • कार्यकाल – विधानसभा के समकालिक
  • बैठक – साल में न्यूनतम दो बार
  • कोरम – 7 सदस्य

🟊 कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाता

अंतिम परीक्षा-केंद्रित विशेष बिंदु

🟊 ग्राम कचहरी – ₹1,000 जुर्माना, 1 माह कारावास
🟊 सभी पंचायती राज निकायों का कार्यकाल – 5 वर्ष
🟊 131 अधिसूचित प्रखंड – 100% ST आरक्षण
🟊 24 जिला परिषदों में से 13 पूर्णतः अधिसूचित
🟊 नगर निगम – 9, कुल शहरी निकाय – 50
🟊 केवल एक कैंटोनमेंट बोर्ड – रामगढ़
🟊 आपदा स्थिति में चुनाव टालने का प्रावधान (2021 अध्यादेश)

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