
झारखंड, जो भारत के सबसे खनिज-समृद्ध राज्यों में से एक है, तेज़ी से एक मज़बूत औद्योगिक शक्ति केंद्र में बदल रहा है। यह ब्लॉग झारखंड के औद्योगिक परिदृश्य का एक व्यापक विवरण प्रस्तुत करता है, जिसमें स्टील संयंत्र, सीमेंट फैक्ट्रियाँ, उर्वरक उद्योग, कांच और सिरेमिक इकाइयाँ, और स्पंज आयरन उद्योग जैसे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की प्रमुख इकाइयों को कवर किया गया है, जो धनबाद, रांची, जमशेदपुर, बोकारो और रामगढ़ जैसे ज़िलों में फैले हैं। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स जैसे सरकारी संस्थानों से लेकर टाटा स्टील और उषा मार्टिन जैसे निजी दिग्गजों तक, झारखंड एक विविधीकृत अर्थव्यवस्था का मेज़बान है, जिसे इसकी विशाल प्राकृतिक संपदा और रणनीतिक नीति योजना से समर्थन मिला है।
इसके अतिरिक्त, यह ब्लॉग हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्रों, प्रमुख आर्थिक सर्वेक्षणों, औद्योगिक रैंकिंग, समर्पित माल गलियारों, और देवघर का प्लास्टिक पार्क व आदित्यपुर का इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर जैसे विशेष हब्स के उदय पर भी प्रकाश डालता है। चाहे आप UPSC/JPSC उम्मीदवार हों, नीति निर्माता, निवेशक, या अर्थशास्त्र के छात्र—यह विस्तृत जानकारी झारखंड के आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में मदद करेगी कि कैसे खनिज संपदा, औद्योगीकरण, और कुशल जनशक्ति राज्य के भविष्य को आकार दे रहे हैं।
1. झारखंड में लोहा और इस्पात उद्योग
(a) टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO) – अब टाटा स्टील
- स्थापना: 26 अगस्त 1907, दोराबजी टाटा द्वारा साकची (जमशेदपुर) में
- संस्थापक विचारक: जमशेदजी टाटा (1904 में निधन)
- पहला लोहा उत्पादन: 1911
- पहला स्टील उत्पादन: 1912
- नाम बदला: 2005 में टाटा स्टील
- भारत का पहला और सबसे बड़ा लोहा-इस्पात संयंत्र
- मुख्यालय: मुंबई
- स्थिति: सुवर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम पर, पूर्वी सिंहभूम जिला
- निर्यात मार्ग: कोलकाता पोर्ट के माध्यम से
कच्चा माल स्रोत:
- कोकिंग कोयला: रानीगंज (प.बंगाल), झरिया (धनबाद)
- मैंगनीज एवं क्रोमाइट: चाईबासा (प.सिंहभूम)
- चूना पत्थर: सुंदरगढ़ (ओडिशा)
- लोहा अयस्क: मयूरभंज (ओडिशा), नोआमुंडी (प.सिंहभूम)
टाटा की सहायक कंपनियाँ – झारखंड में:
कंपनी का नाम | वर्ष | स्थान | उत्पाद | विशेष जानकारी |
---|---|---|---|---|
द टिनप्लेट कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड | 1920 | जमशेदपुर | टिनप्लेट | टाटा स्टील की सहायक |
टाटा पिगमेंट्स | 1927 | जमशेदपुर | आयरन ऑक्साइड | पहले टाटा नगर केमिकल्स |
TELCO | 1945 | जमशेदपुर | वाहन | 2003 से टाटा मोटर्स |
TRF Ltd. | 1962 | जमशेदपुर | औद्योगिक मशीनरी | USA और UK से तकनीकी सहयोग |
TAYO रोल्स | 1968 | जमशेदपुर | कास्ट रोल्स | पहले टाटा योडोगावा |
महत्वपूर्ण तथ्य:
1945 में टाटा समूह ने जमशेदपुर में TELCO की स्थापना की।
साकची का नाम लॉर्ड चेम्सफोर्ड द्वारा जमशेदपुर और रेलवे स्टेशन का नाम टाटानगर रखा गया।
(b) बोकारो स्टील प्लांट
- स्थापना: 29 जनवरी 1964, तीसरी पंचवर्षीय योजना में
- स्थान: मराफरी, बोकारो
- संचालनकर्ता: सेल (SAIL)
- भारत का पहला स्वदेशी इस्पात संयंत्र
- प्रथम ब्लास्ट फर्नेस चालू: 2 अक्टूबर 1972
- उत्पादन प्रारंभ: 1974
- 1978 तक: 1.7 मिलियन टन इनगट स्टील का उत्पादन
- भारत का चौथा सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र
- सहयोग: सोवियत संघ (USSR)
- स्थिति: दामोदर घाटी, टेनुघाट व गर्गा डैम के समीप
कच्चा माल स्रोत:
- कोकिंग कोयला: झरिया (धनबाद)
- लोहा अयस्क: क्योंझर (ओडिशा)
- चूना पत्थर: मध्य प्रदेश
2. झारखंड में तांबा उद्योग
घाटशिला कॉपर प्लांट – भारत का पहला तांबा उद्योग
- स्थापना: 1924, घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम)
- तांबे की खदान से मौभंडार (पूर्वी सिंहभूम) तक रस्सी मार्ग द्वारा परिवहन
- प्रमुख कंपनियाँ:
- इंडियन कॉपर कॉर्पोरेशन (ICC): 1930 में घाटशिला के पास स्थापित
- हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL): राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख तांबा उत्पादन कंपनी
- इंडियन केबल कंपनी लिमिटेड: जमशेदपुर में
महत्वपूर्ण तांबा खदान स्थान:
- जादूगोड़ा (पूर्वी सिंहभूम)
- गुर माहीसानी व सुलेपट (ओडिशा)
महत्वपूर्ण तथ्य:
- Tata Steel = भारत का पहला और सबसे बड़ा लोहा-इस्पात संयंत्र
- Bokaro = भारत का पहला स्वदेशी स्टील प्लांट
- घाटशिला = भारत में तांबा उद्योग का प्रारंभिक स्थल
3. झारखंड में एल्यूमिनियम उद्योग
- झारखंड भारत के कुल एल्यूमिनियम अयस्क उत्पादन का 16% योगदान देता है
- इंडियन एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड ने 1948 में मुरी (रांची) में प्लांट स्थापित किया
- 2005 से: हिंडाल्को इंडस्ट्रीज़ (आदित्य बिड़ला समूह) का हिस्सा
- भारत का दूसरा सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा एल्यूमिनियम प्लांट
- बॉक्साइट स्रोत: लोहरदगा और पलामू
- प्रोसेसिंग के बाद एल्यूमिना भेजा जाता है: अलुपुरम, अल्वेय (केरल), बेलूर (कोलकाता), लोटे (मुंबई)
एल्यूमिनियम के उपयोग: बर्तन, विद्युत तार, मोटर, रेल कोच, हवाई जहाज
4. झारखंड में सीमेंट उद्योग
- भरपूर चूना पत्थर भंडार होने के कारण झारखंड में सीमेंट उद्योग का अच्छा विकास
- प्रथम सीमेंट प्लांट: 1921 में जपला (पलामू)
- प्रमुख सीमेंट क्षेत्र:
- जपला (पलामू)
- झिंकपानी (प.सिंहभूम)
- खलारी (रांची)
- सिंदरी (धनबाद)
- जमशेदपुर (प.सिंहभूम)
- डोमाटांड़ (हजारीबाग)
स्लैग और स्लज (लोहा-इस्पात प्लांट से बाय-प्रोडक्ट) का उपयोग
Lafarge Cement के प्लांट झिंकपानी व जमशेदपुर में इस्पात अपशिष्ट पर आधारित
प्रमुख कंपनियाँ:
- ACC लिमिटेड (चाईबासा, सिंदरी)
- बर्नपुर सीमेंट (पतरातू)
- डालमिया सीमेंट (बोकारो)
- नुवोको/लाफार्ज (जोजोबेरा)
- श्री सीमेंट (सरायकेला)
5. झारखंड में इंजीनियरिंग उद्योग
(a) HEC – हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन, हटिया (रांची)
- स्थापना: 31 दिसंबर 1958, रूस और चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से
- एशिया की सबसे बड़ी हेवी इंजीनियरिंग कंपनी
- उद्घाटन: 15 नवंबर 1963, पं. नेहरू द्वारा – इसे कहा “भारत का आधुनिक मंदिर”
- उत्पादन प्रारंभ: 1964
- 3 प्रमुख प्लांट:
- HMBP (रूसी सहयोग)
- HMTP (चेकोस्लोवाक सहयोग)
- FFP (चेकोस्लोवाक सहयोग)
(b) MECON Ltd., डोरंडा (रांची)
- स्थापना: 1959
- इस्पात मंत्रालय, भारत सरकार के तहत
- पूर्व में “सेंट्रल इंजीनियरिंग एंड डिज़ाइन ब्यूरो”
- ISO 9001:2008 प्रमाणित
- विशेषज्ञता: धातुकर्म, ऊर्जा, गैस, इन्फ्रास्ट्रक्चर, परामर्श
(c) गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), धुर्वा (रांची)
- स्थापना: 1934
- रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत PSU
- मुख्यालय: कोलकाता
- नौसेना के लिए फ्रिगेट्स और फास्ट अटैक क्राफ्ट बनाता है
(d) मरीन डीजल इंजन प्लांट, अर्गोड़ा (रांची)
- स्थापना: 6 अक्टूबर 1969
- 1988 में नाम बदला गया: मरीन डीजल इंजन परियोजना से प्लांट में
(e) इंडियन एक्सप्लोसिव्स फैक्ट्री, गोमिया (बोकारो)
- स्थापना: 17 मई 1999
- ऑरिका (ऑस्ट्रेलिया) की सहायक
- खनन और औद्योगिक उपयोग के लिए विस्फोटक निर्माण
(f) अन्य इंजीनियरिंग इकाइयाँ – झारखंड में
इकाई का नाम | स्थान | स्थापना वर्ष |
---|---|---|
इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स लिमिटेड | जमशेदपुर | 1920 |
दक्षिण-पूर्व रेलवे इंजीनियरिंग वर्कशॉप | जमशेदपुर | 1923 |
उषा मार्टिन ब्लैक वायर रोप्स | तातीसिलवाई (रांची) | 1960 |
एशियन रिफ्रैक्टरीज़ | बोकारो | 1960 |
श्रीराम नोडल बियरिंग | रांची | 1969 |
धनबाद इंजीनियरिंग वर्क्स | कुमारधुबी (धनबाद) | 1976 |
टिम्केन इंडिया लिमिटेड | जमशेदपुर | 1987 |
भारत वेस्टफालिया लिमिटेड | नामकुम (रांची) | — |
इंडियन ट्यूब कंपनी लिमिटेड | जमशेदपुर | — |
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड | धनबाद | — |
न्यू स्टैंडर्ड इंजीनियरिंग | धनबाद | — |
6. कोयला वाशरी उद्योग
कोयला वाशरियों का कार्य कोयले से शेल और फायरक्ले जैसी अशुद्धियों को हटाना होता है।
झारखंड में प्रमुख कोयला वाशरियों के स्थान:
- जमाडोबा
- बोकारो
- लोदला
- करगली
- दुग्दा
- पाथरडीह
- करमपुरा
पिपरवार कोल वाशरी (चतरा) एशिया की सबसे बड़ी वाशरी है जिसकी क्षमता 6.5 मिलियन टन है।
कोल वाशरी | स्थान | स्थापना वर्ष | सहयोग |
---|---|---|---|
संगम | बोकारो | 1970 | मैकनेली और KHD वेडाग (जर्मनी) |
राजरप्पा वाशरी | राजरप्पा, रामगढ़ | 1987 | MAMC |
कथारा वाशरी | बोकारो | 1969 | सोवियत संघ |
कांडला वाशरी | रामगढ़ | 1997 | HSCL द्वारा डिजाइन |
पिपरवार वाशरी | चतरा | 1997 | ऑस्ट्रेलियाई सहयोग |
🔴 नोट: करगली (बोकारो) और गिद्दी (रामगढ़) वाशरियां अब सुरक्षा कारणों से बंद हो चुकी हैं।
7. उर्वरक उद्योग
भारत का पहला उर्वरक संयंत्र सिंदरी (धनबाद) में 1951 में फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) द्वारा स्थापित किया गया था।
- 15 जून 2016 को इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (HURL) कर दिया गया।
- यह अब एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें भागीदारी:
- कोल इंडिया लिमिटेड, NTPC, IOCL – 89%
- FCIL, HFCL – 11%
- यह भारत का सबसे बड़ा उर्वरक संयंत्र है।
- उत्पाद: अमोनियम सल्फेट, नाइट्रेट और यूरिया।
ग्लास उद्योग (शीशा उद्योग)
- एक अत्याधुनिक शीशा कारखाना भुरकुंडा (रामगढ़) में 1964 में जापानी सहयोग से स्थापित हुआ।
- इसे इंडो-असाही ग्लास फैक्टरी के नाम से जाना जाता है।
अन्य प्रमुख क्षेत्र:
- कतरासगढ़ और अमबोना (धनबाद)
- कंद्रा (सिंहभूम)
कच्चा माल प्राप्त होता है:
- राजमहल की पहाड़ियां
- मंगल घाट
- पत्थर घाट
रिफ्रैक्टरी उद्योग
- यह उद्योग उच्च तापमान सहन करने वाले ब्लास्ट फर्नेस का निर्माण करता है, जिनका उपयोग लौह-इस्पात एवं अन्य उद्योगों में होता है।
- प्रमुख इकाइयाँ स्थित हैं:
- चिरकुंडा
- कुमारधुबी
- धनबाद
- रांची रोड
- मुगमा
🔸 डामोदर घाटी क्षेत्र में मिलने वाली फायरक्ले इस उद्योग के लिए अत्यंत आवश्यक है।
वन-आधारित उद्योग (Forest-Based Industries) – झारखंड
1. लाह उद्योग
- झारखंड भारत के कुल लाह उत्पादन का लगभग 60% उत्पादित करता है – देश में प्रथम स्थान।
- लाह कीट कुसुम, पलाश और बेर वृक्षों पर पाले जाते हैं।
- पालामू प्रमंडल लाह उत्पादन में अग्रणी है।
- रांची जिला राज्य में सर्वाधिक उत्पादन करता है।
- टोड़ी (लातेहार) विश्व की सबसे उच्च गुणवत्ता वाली लाह के लिए प्रसिद्ध है।
- झारखंड में उत्पादित 90% लाह का निर्यात किया जाता है।
- 20 सितंबर 1924 को भारतीय लाह अनुसंधान संस्थान, नामकुम (रांची) में स्थापित हुआ।
- अब इसे भारतीय प्राकृतिक रेजिन एवं गोंद संस्थान (IINRG) कहा जाता है।
- वर्तमान में यह राष्ट्रीय द्वितीयक कृषि संस्थान के रूप में जाना जाता है।
2. रेशम उद्योग (Silk Industry)
- झारखंड भारत के कुल रेशम उत्पादन में 76.4% का योगदान करता है।
(स्रोत: झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2022–23) - मुख्य उत्पादक क्षेत्र:
- सिंहभूम – 40%
- संथाल परगना – 26%
- हजारीबाग – 13%
- तसर रेशम प्रमुख रूप से निम्न क्षेत्रों में उत्पादित होता है:
- चाईबासा, खरसावां, जमशेदपुर, मेदिनीनगर, हजारीबाग, लोहरदगा, दुमका आदि।
- 1964 में नगड़ी (रांची) में तसर अनुसंधान केंद्र स्थापित हुआ।
- भगाहिया (गोड्डा जिला) में तसर सहकारी समिति स्थित है।
3. तंबाकू उद्योग
- झारखंड में तंबाकू उद्योग मुख्यतः बीड़ी उद्योग के रूप में विकसित हुआ है।
- बीड़ियाँ केन्दु पत्ते और तंबाकू से बनाई जाती हैं।
- प्रमुख बीड़ी उत्पादन क्षेत्र:
- सरायकेला
- जमशेदपुर
- चक्रधरपुर
- संथाल परगना क्षेत्र
झारखंड के औद्योगिक कॉरिडोर (Industrial Corridors of Jharkhand)
1. अभ्रक औद्योगिक बेल्ट (Mica Industrial Belt)
- भारत का सबसे बड़ा अभ्रक औद्योगिक कॉरिडोर
- क्षेत्र: कोडरमा, झुमरी तिलैया और गिरिडीह
2. दामोदर घाटी औद्योगिक बेल्ट (Damodar Valley Industrial Belt)
- इसे बोकारो-धनबाद औद्योगिक बेल्ट भी कहा जाता है।
- झारखंड का सबसे विस्तृत औद्योगिक कॉरिडोर
- विस्तार: खलारी से कुमारधुबी तक
- तुंडू में जिंक प्रसंस्करण किया जाता है।
3. रांची औद्योगिक बेल्ट (Ranchi Industrial Belt)
- इसे ऊपरी सुवर्णरेखा घाटी बेल्ट भी कहा जाता है।
- विस्तार: रांची से मूरी तक
4. जमशेदपुर औद्योगिक बेल्ट (Jamshedpur Industrial Belt)
- इसे निचली सुवर्णरेखा घाटी बेल्ट कहा जाता है।
- विस्तार: चांडिल से बहरागोड़ा तक
Also read in English- https://jharkhandexam.in/jharkhands-major-industries-economic-rankings-and-government-initiatives-explained-jpsc-jssc/