झारखंड ने हाल के वर्षों में समावेशी विकास, औद्योगिक प्रगति और नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत पहल की हैं। यहां वर्ष 2016 में शुरू की गई प्रमुख नीतियों का विस्तृत विवरण दिया गया है, जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछी जाती हैं।
झारखंड में CSR प्राधिकरण की संरचना
झारखंड में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) प्राधिकरण की प्रशासनिक संरचना स्पष्ट रूप से परिभाषित है, जिसमें शीर्ष राज्य अधिकारी और औद्योगिक प्रतिनिधि शामिल हैं:
- अध्यक्ष: मुख्यमंत्री
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO): उद्योग सचिव
- सदस्य:
- योजना सह वित्त सचिव
- स्कूली शिक्षा और साक्षरता सचिव
- स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण सचिव
- ग्रामीण विकास सचिव
- श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण सचिव
- उद्योग निदेशक
- सदस्य सचिव: उद्योग विभाग का नामित अधिकारी/सलाहकार
- आमंत्रित सदस्य:
- CII झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष
- FICCI झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष
- ASSOCHAM झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष
झारखंड मद्य निषेध (शराबबंदी) नीति – 2016
यह नीति 2016 में लागू की गई, जिसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- सभी शराब की बोतलों पर अनिवार्य रूप से यह चेतावनी अंकित होनी चाहिए: “शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।”
- 21 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को शराब बेचना प्रतिबंधित।
- राज्य में शराब का विज्ञापन और प्रचार पूर्णतः प्रतिबंधित है।
- अनुसूचित ग्राम पंचायतों (जहां 50% से अधिक जनसंख्या आदिवासी है) में शराब की दुकानें प्रतिबंधित हैं।
- परंपरागत शराब ‘पचवाई’ की खुदरा बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे।
- केवल आदिवासी त्योहारों और सामाजिक अवसरों पर ही सीमित अनुमति।
- Dry Days (शुष्क दिवस): 15 अगस्त, 26 जनवरी, गांधी जयंती, रामनवमी, दशहरा, होली, ईद और मुहर्रम पर शराब बिक्री पर प्रतिबंध।
झारखंड स्टार्टअप नीति – 2016
6 अक्टूबर 2016 को घोषित इस नीति का उद्देश्य 2021 तक झारखंड को देश के अग्रणी स्टार्टअप इकोसिस्टम में शामिल करना है।
- 1000 सामान्य स्टार्टअप्स और 1500 नवाचार-आधारित स्टार्टअप्स को सहायता देने का लक्ष्य।
- 1 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
- राज्य के 10 प्रतिष्ठित संस्थानों को 5 वर्षों के लिए ₹50 लाख प्रति वर्ष का अनुदान।
- आईटी विभाग 5 वर्षों में ₹250 करोड़ की राशि उपलब्ध कराएगा।
- फंड को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत भी सहयोग मिलेगा।
झारखंड वस्त्र, परिधान एवं फुटवियर नीति – 2016
यह 2016 की औद्योगिक एवं निवेश संवर्धन नीति का एक प्रमुख अंग है, जो वस्त्र उद्योग को प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में पहचान देती है।
मुख्य विशेषताएँ:
- झारखंड भारत के तसर रेशम का लगभग 40% उत्पादन करता है – देश का सबसे बड़ा उत्पादक।
- झारखंड का रेशम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है – अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस को निर्यात।
- JHARCRAFT (झारखंड सिल्क टेक्सटाइल एंड हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) – 2006 में स्थापित:
- 2 लाख से अधिक रेशम उत्पादकों, बुनकरों, कताई श्रमिकों और शिल्पकारों को समर्थन।
- 18 आउटलेट – रांची, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, अहमदाबाद, मुंबई में संचालन।
- कपास धागा और हथकरघा उत्पादन में भी अग्रणी।
प्रमुख जिले:
रांची, लातेहार, पलामू, रामगढ़, धनबाद, बोकारो, गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज, खूंटी
प्रमुख परियोजनाएँ:
- सिल्क पार्क: राजनगर (सरायकेला-खरसावां), इरबा (रांची)
- मेगा टेक्सटाइल पार्क: देवघर
- मेगा हथकरघा क्लस्टर: देवघर, दुमका, साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा
नीति के उद्देश्य:
- वस्त्र क्षेत्र में तेज और सतत विकास प्राप्त करना।
- पूरे मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना।
- सहकारी कताई मिलों को प्रोत्साहन।
- पॉवरलूम को आधुनिक बनाना ताकि उच्च गुणवत्ता के वस्त्र तैयार हों।
- डिज़ाइन, विपणन और गुणवत्ता में आईटी का उपयोग।
- आयात प्रतिस्थापन और नियमों का सरलीकरण।
- 5 लाख रोजगार सृजन और कुशल कार्यबल निर्माण।
झारखंड सस्ती आवास नीति – 2016
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत विकसित इस नीति का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में “सभी के लिए आवास” सुनिश्चित करना है।
प्रमुख विशेषताएँ:
- PPP मॉडल के माध्यम से आवास निर्माण को बढ़ावा।
- SC/ST/पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों पर विशेष ध्यान।
- निजी और PPP कॉलोनियों में:
- 4000 वर्ग मीटर क्षेत्र में 10% इकाइयाँ EWS के लिए आरक्षित।
- 3000 वर्ग मीटर कॉलोनियों में 15% आरक्षण।
- PPP परियोजनाओं के लिए सरकार भूमि उपलब्ध कराएगी।
- भूमि का 65% आवास के लिए, 35% वाणिज्यिक उपयोग के लिए।
- कुल आवास इकाइयों में से 50% EWS को आरक्षित।
वित्तीय लाभ:
- झुग्गी पुनर्वास हेतु केंद्र सरकार की ओर से ₹1 लाख तक सहायता।
- 100 सदस्यों वाले आवास सहकारी समिति को रियायती सरकारी भूमि पर कॉलोनी बनाने की अनुमति।
- EWS (₹3 लाख वार्षिक आय): 300 वर्ग फुट का घर
- LIG (₹3–6 लाख आय): 600 वर्ग फुट का घर
- घर की अधिकतम कीमत: ₹1200 प्रति वर्ग फुट (शहरी क्षेत्र में)
- ₹6 लाख तक 15 साल के लिए 6.5% ब्याज पर हाउसिंग लोन
- निर्माण अनुदान:
- केंद्र से ₹1.5 लाख
- राज्य से ₹75,000
- लॉटरी प्रणाली के माध्यम से आवंटन।
झारखंड की प्रमुख औद्योगिक नीतियाँ: विस्तृत अवलोकन
झारखंड, भारत का खनिज संपन्न राज्य, विकास, रोजगार, निर्यात और निवेश को बढ़ावा देने हेतु अनेक अग्रगामी क्षेत्रीय औद्योगिक नीतियाँ लागू कर चुका है। नीचे कुछ प्रमुख नीतियों का उद्देश्य, रणनीति और प्रोत्साहन दिए गए हैं:
🔌 झारखंड इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (EDM) नीति – 2016
उद्देश्य:
- इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाना – राष्ट्रीय व वैश्विक मांगों के अनुसार।
- कच्चे माल और उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना।
- 2020 तक $2 बिलियन का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात लक्ष्य।
- अगले 10 वर्षों में कम से कम 50 ईलेक्ट्रॉनिक्स इकाइयाँ स्थापित करना।
- इस उद्योग के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु पर्याप्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उत्पादन।
सरकारी रणनीति:
- ESDM इनोवेशन हब – रांची, जमशेदपुर और धनबाद में 200 एकड़ भूमि पर विकसित होंगे।
- स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करने वाली कंपनियों को वित्तीय अनुदान।
- निवेशकों को आवश्यकता अनुसार भूमि उपलब्ध कराना।
- सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था।
सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन:
- कुल पूंजी लागत पर 20% पूंजी सब्सिडी (सीमित राशि तक)।
- सभी ESDM इकाइयों को 5 वर्षों तक आयकर में छूट।
- स्टाम्प ड्यूटी, ट्रांसफर ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क में छूट।
- आयातित कच्चे माल पर 50% वैट राहत।
- सौर ऊर्जा संयंत्रों को 10 वर्षों तक बिजली कर में छूट।
- घरेलू सौर छत सिस्टम के लिए बिजली कर में छूट।
झारखंड बीपीओ/बीपीएम नीति – 2016
दृष्टि (Vision)
झारखंड को बीपीओ और बीपीएम सेवाओं के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में विकसित करना ताकि नए रोजगार के अवसर सृजित हो सकें।
नीति के उद्देश्य (Policy Objectives)
- 2021 तक सभी जिलों में समर्थित बीपीओ/बीपीएम इकाइयों के माध्यम से 15,000 लोगों को रोजगार प्रदान करना।
- सभी जिलों में शहरी और ग्रामीण बीपीओ/बीपीएम प्रतिष्ठानों को बढ़ावा देना।
- छोटे शहरों में आईटी और आईटीईएस सेक्टर को बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से प्रोत्साहित करना।
रणनीतिक समर्थन और प्रोत्साहन (Strategic Support & Incentives)
- भूमि लागत पुनर्भुगतान
झारखंड के निवासी कर्मचारियों या जिन्होंने झारखंड में कक्षा 10 के बाद शिक्षा पूरी की है, उन्हें ₹30,000 की पुनर्भुगतान।
वैधता:- A-प्रकार के शहरों में 5 वर्ष
- B-प्रकार के शहरों में 7 वर्ष
- C-प्रकार के शहरों में 9 वर्ष
- पूंजी प्रोत्साहन (Capital Incentives)
प्रति सीट अधिकतम ₹1,00,000 की सब्सिडी, जो समय के साथ पुनर्भुगतान की जाएगी। - परिचालन प्रोत्साहन (Operational Incentives)
प्रति सीट प्रति वर्ष ₹15,000 तक का किराया या लीज़ पर पुनर्भुगतान तीन वर्षों तक:- पहले वर्ष में 100%
- दूसरे वर्ष में 75%
- तीसरे वर्ष में 50%
- अतिरिक्त प्रोत्साहन (Additional Incentives)
- टेलीकॉम लागत का 50% पुनर्भुगतान 3 वर्षों तक (₹30,000/सीट/वर्ष तक)।
- इंटरनेट ब्रॉडबैंड लागत का 50% पुनर्भुगतान (₹40,000/सीट तक)।
- 15% सोलर ऊर्जा लागत पुनर्भुगतान।
- तीन वर्षों तक बिजली शुल्क पुनर्भुगतान।
- प्रति व्यक्ति तीन महीने तक प्रशिक्षण लागत ₹4,000 प्रति माह पुनर्भुगतान।
- राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए ₹2 लाख सहायता।
- तीन वर्षों तक प्रत्येक बीपीओ/बीपीएम कर्मचारी के लिए ₹500 का ईपीएफ योगदान।
- पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों के लिए ₹10,000 समर्थन।
- दिव्यांग कर्मचारियों के लिए प्रति कर्मचारी अतिरिक्त ₹500।
झारखंड खाद्य प्रसंस्करण नीति – 2015
प्राथमिक लक्ष्य
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा देना, बुनियादी संरचना विकसित करना, निवेश को प्रोत्साहित करना, बाज़ार नेटवर्क का विस्तार करना, और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
मुख्य उद्देश्य
- प्रसंस्करण स्तर बढ़ाना, अपशिष्ट कम करना, किसानों की आय बढ़ाना, और निर्यात को प्रोत्साहित करना।
- लघु वन उत्पादों और हर्बल उद्योगों को प्रोत्साहित कर आदिवासी आय में वृद्धि करना।
- नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए वित्तीय सहायता देना और मौजूदा इकाइयों को उन्नत बनाना।
- उत्पादकों और निर्माताओं को बाज़ार प्रणाली से जोड़ना।
- उत्पादन से लेकर उपभोग तक खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और पहुँच सुनिश्चित करना।
- मांस और मछली की दुकानों के लिए बेहतर स्वास्थ्य मानक सुनिश्चित करने हेतु बुनियादी ढांचा सुधारना।
ध्यान केंद्रित क्षेत्र
पूंजी निवेश, बुनियादी ढांचे का विकास, कौशल विकास और प्रशिक्षण, तकनीकी और वित्तीय सहायता, और व्यापार-अनुकूल वातावरण का निर्माण।
झारखंड निर्यात नीति – 2015
प्राथमिक लक्ष्य
2019 तक झारखंड के निर्यात का भारत के कुल निर्यात में हिस्सा 2% तक बढ़ाना।
मुख्य विशेषताएँ
- निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरल, कुशल और उत्तरदायी प्रणाली लागू करना।
- पारंपरिक निर्यात जैसे खनिज आधारित उत्पाद, हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना।
- मौसमी फलों, सब्जियों, और फूलों के निर्यात के लिए ठंडी श्रृंखला (कोल्ड चेन) लॉजिस्टिक्स स्थापित करना।
- मौजूदा निर्यात इकाइयों को आवश्यक सहायता प्रदान करना।
- गुणवत्ता और पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ संरेखित करना।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार भागीदारी को बढ़ावा देना।
- निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- निर्यात जागरूकता कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित करना।
कार्यान्वयन उपाय
- एकल-खिड़की मंजूरी प्रणाली।
- निर्यात डेटा विश्लेषण प्रणाली।
- ई-गवर्नेंस।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी।
- अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम।
झारखंड फिल्म नीति – 2015
लक्ष्य
फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करना, लोक कला को बढ़ावा देना, और झारखंड की स्थानीय भाषाओं में फिल्म निर्माण को समर्थन देना।
संस्थागत समर्थन
- झारखंड फिल्म विकास निगम की स्थापना।
- राज्य फिल्म विकास परिषद का निर्माण।
फिल्म नीति की मुख्य बातें
- सगीत नाटक अकादमी से विकसित होकर एक राज्य फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान की स्थापना।
- फिल्म सिटी का निर्माण और इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन।
- झारखंड की लोक संस्कृति पर आधारित फिल्मों को बढ़ावा देना।
- फिल्म संबंधी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए आसान शर्तों पर ऋण।
- फिल्म सिटी के लिए औद्योगिक दरों पर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।
- कम बजट की फिल्म बनाने के लिए उपकरण किराये पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
मल्टीप्लेक्स निर्माण के लिए सब्सिडी:
- पहले वर्ष में 100%
- दूसरे व तीसरे वर्ष में 75%
- चौथे व पांचवें वर्ष में 50%
अन्य प्रावधान:
- बंद सिनेमा हॉलों का पुनरुद्धार और छोटे सिनेमा हॉलों का समर्थन।
- सौर ऊर्जा चालित सिनेमा हॉलों को कुल निवेश का 50% सब्सिडी।
- एयर कंडीशनिंग आदि सुविधाओं के लिए टिकट में ₹6 और ₹3 अतिरिक्त चार्ज।
- राज्य में 50% शूटिंग करने वाली फिल्मों को 50% मनोरंजन कर छूट।
- 75% शूटिंग करने वाली फिल्मों को 75% मनोरंजन कर छूट।
- सिनेमा हॉलों में कैप्टिव पावर प्लांट जनरेटर लगाने पर तीन वर्षों के लिए बिजली कर छूट।
- 75% राज्य में बनी फिल्मों को ₹2 प्रति टिकट के अधिभार से वित्तीय सहायता।
- क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को 50% और हिंदी व अन्य भाषा की फिल्मों को 25% सब्सिडी।
- इस हेतु प्रति वर्ष ₹10 करोड़ अनुदान।
- झारखंड के पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने वाली फिल्मों को ₹50 लाख तक की सब्सिडी।
- फिल्म महोत्सव, पुरस्कार और फिल्म सोसाइटी को मजबूत करने के लिए आयोजन।
झारखंड इंडस्ट्रियल पार्क नीति – 2015
- झारखंड के निवासियों के लिए रोजगार सृजन के उद्देश्य से लागू।
- नीति अधिसूचना की तारीख से 5 वर्ष तक वैध।
- छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट, 1908 की धारा 49 के अनुसार, उद्योग पार्क की स्थापना के लिए उपायुक्त की मंजूरी अनिवार्य।
- स्थापना के तरीके: निजी क्षेत्र, संयुक्त उद्यम, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP)।
- उद्योग पार्क कम से कम 50 एकड़ क्षेत्र में विकसित होंगे और उनमें न्यूनतम 15 औद्योगिक इकाइयां होंगी।
- विशेष उद्योग पार्कों के लिए कम से कम 10 एकड़ और 5 औद्योगिक इकाइयाँ आवश्यक।
- निजी निवेशकों को अपनी जमीन स्वयं व्यवस्थित करनी होगी, यदि राज्य की जमीन उपलब्ध हो तो कुल भूमि का 35% अधिकतम 30 वर्ष के लिए आवंटित।
- भूमि उपयोग: 60% औद्योगिक इकाइयों के लिए, 40% एमएसएमई के लिए।
- कुल भूमि का 40% हरित क्षेत्र या अवसंरचना के रूप में विकसित करना होगा।
- अवसंरचना के लिए वित्तीय सहायता:
- नियमित पार्क के लिए परियोजना लागत का 50% या ₹10 करोड़ तक।
- विशेष उद्योग पार्क के लिए परियोजना लागत का 50% या ₹7 करोड़ तक।
- सहायता 10 वर्षों तक उपलब्ध, 5 वर्षों के बाद नवीनीकरण।
- मंजूरी के 3 वर्षों के अंदर पार्क पूरा करना अनिवार्य।
- असफलता पर कैबिनेट की मंजूरी से सरकार अधिग्रहण कर सकती है।
झारखंड ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कॉम्पोनेंट नीति – 2015
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा टू-व्हीलर निर्माता।
- झारखंड, विशेष रूप से जमशेदपुर–आदित्यपुर, एक महत्वपूर्ण ऑटो क्लस्टर।
- नीति का उद्देश्य:
- पूर्वी भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कॉम्पोनेंट निर्माण का केंद्र बनाना।
- 2020 तक 50,000 अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित करना।
- मेगा ऑटो परियोजनाओं को आकर्षित करना और नए ऑटो क्लस्टर बनाना।
- मौजूदा ऑटो क्लस्टर को मजबूत करना।
- टियर-1, टियर-2, टियर-3 ऑटो कॉम्पोनेंट निर्माताओं को प्रोत्साहित करना।
- इस उद्योग से जुड़ी अवसंरचनात्मक कमियों को चिन्हित कर समाधान।
- पीपीपी मोड में कौशल विकास को प्रोत्साहित करना।
झारखंड सिंगल विंडो क्लियरेंस अधिनियम – 2015
उद्देश्य:
- औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना और व्यापार में आसानी लाना।
- लाइसेंस और अनुमोदनों के लिए त्वरित मंजूरी।
- निवेश-अनुकूल वातावरण बनाना।
- नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
संरचना:
- शासन समिति का गठन:
- अध्यक्ष: मुख्यमंत्री
- सदस्य: उद्योग, वित्त, राजस्व एवं भूमिसुधार मंत्री, मुख्य सचिव
- सदस्य सचिव: उद्योग सचिव
- कर्तव्य: रणनीतिक योजना और अनुमोदनों के सरलीकरण का मार्गदर्शन।
- उच्च स्तरीय समिति: मुख्य सचिव के नेतृत्व में निगरानी।
- सिंगल विंडो क्लियरेंस समिति: उद्योग के प्रधान सचिव के अधीन।
- जिला कार्यकारी समिति: उपायुक्त के अधीन।
- जिला नोडल एजेंसियां: उद्यमियों को मार्गदर्शन और सहायता।
झारखंड खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति – 2015
- कृषि आधारित संभावनाओं को भुनाने और कृषि समुदायों को समर्थन देने के लिए।
- झारखंड की आधे से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर।
- कृषि के लिए अनुकूल जलवायु और उद्योग विकास की संभावनाएं।
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र रोजगार और आय सृजन का प्रमुख साधन।
लक्ष्य:
- नए रोजगार अवसर सृजित करना।
- अन्य राज्यों को खाद्य आपूर्ति।
- राज्य के लिए अतिरिक्त आय उत्पन्न करना।
मुख्य प्रावधान:
- संयंत्र, मशीनरी और सिविल कार्यों की कुल लागत पर 35% सब्सिडी।
- सामान्य क्षेत्रों में ₹500 लाख अधिकतम।
- एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना (ITDP) क्षेत्रों में 45%।
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक प्रसंस्करण/संग्रह केंद्रों के लिए:
- सामान्य क्षेत्रों में 50% सब्सिडी।
- ITDP क्षेत्रों में 75%।
- अधिकतम ₹2.5 करोड़ सहायता।
- कोल्ड स्टोरेज, वैल्यू एडिशन, और संरक्षण अवसंरचना:
- सामान्य क्षेत्रों में 35% (₹7 करोड़ तक)।
- ITDP क्षेत्रों में 50%।
- मांस और मछली की दुकानों की स्थापना/आधुनिकीकरण:
- सामान्य क्षेत्रों में 50% (₹5 लाख तक)।
- ITDP क्षेत्रों में 75%।
- विशेष क्षेत्र:
- गरhwa और पलामू में दल प्रसंस्करण इकाई।
- लतेहार में टमाटर प्रसंस्करण इकाई।
झारखंड फ़ॉडर प्रसंस्करण उद्योग नीति – 2015
लक्ष्य:
- पशुपालन (मांस, डेयरी, सूअर पालन, पोल्ट्री, बकरी पालन, मछली पालन) को बढ़ावा देना।
- गुणवत्ता वाला चारा उपलब्ध कराना।
- कृषि उप-उत्पादों का उपयोग।
- किसानों की आय बढ़ाना।
मुख्य विशेषताएं:
- संयंत्र, मशीनरी, और सिविल कार्यों पर 35% सब्सिडी (₹500 लाख तक) सामान्य क्षेत्रों में।
- ITDP क्षेत्रों में 45% सब्सिडी (₹500 लाख तक)।
झारखंड सौर ऊर्जा नीति – 2015
लक्ष्य:
- जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना।
- अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना।
- 2020 तक 2,650 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन।
वर्ष | पीवी संयंत्र (MW) | रूफटॉप सोलर (MW) | सोलर थर्मल (MW) | कुल (MW) |
---|---|---|---|---|
2015-16 | 100 | 25 | 5 | 130 |
2016-17 | 250 | 50 | 10 | 310 |
2017-18 | 500 | 100 | 10 | 610 |
2018-19 | 500 | 125 | 10 | 635 |
2019-20 | 750 | 200 | 15 | 965 |
कुल | 2100 | 500 | 50 | 2650 |
मुख्य प्रावधान:
- निर्जन या बंजर भूमि पर सौर पार्कों को बढ़ावा।
- झारखंड अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (JREDA) को नोडल एजेंसी नियुक्त।
- 53 सरकारी भवनों में रूफटॉप सौर संयंत्र स्थापित।
- सौर परियोजनाओं के लिए 10 वर्ष बिजली शुल्क में छूट।
- सौर संयंत्रों को उद्योग मान्यता और प्रोत्साहन।
- रूफटॉप सिस्टम लगाने वाले आवासीय उपभोक्ताओं के लिए वाणिज्यिक प्रोत्साहन।
- सौर उपकरणों पर वैट छूट।
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रदूषण मंजूरी में छूट।
झारखंड पर्यटन नीति – 2015
लक्ष्य:
- पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार और राजस्व सृजित करना।
- लोक संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक स्थलों का विकास।
- स्थानीय समुदायों को भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना।
- पर्यटन बुनियादी ढांचे का विकास।
प्रमुख उपाय:
- पर्यटन स्थलों के आस-पास आवास और सुविधाओं का विकास।
- स्थानीय हस्तशिल्प और संस्कृति को बढ़ावा।
- पर्यावरण संरक्षण के साथ पर्यटन।
- प्रशिक्षण और कौशल विकास।
- निवेश प्रोत्साहन।
झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम – 2015
(राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अनुरूप 25 सितंबर 2015 से लागू)
मुख्य विशेषताएं और लाभ:
- 2.33 करोड़ से अधिक लोगों को खाद्य सुरक्षा कवरेज।
- अंत्योदय योजना के तहत 37 लाख से अधिक लाभार्थी:
- प्रति परिवार महीने में 35 किलो अनाज।
- प्राथमिकता वाले परिवारों के लिए:
- प्रति व्यक्ति महीने में 5 किलो अनाज।
- चावल और गेहूं की कीमत केवल ₹1 प्रति किलो।
- लाभार्थी चयन: SECC 2011 के आधार पर।
- 65 वर्ष से अधिक आयु के बीपीएल व्यक्तियों को मुफ्त में 10 किलो अनाज प्रति माह।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए:
- आंगनवाड़ी केंद्रों पर मुफ्त भोजन।
- ₹6,000 का मातृत्व लाभ।
झारखंड खरीद नीति – 2014
(स्थानीय लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों (MSE) के विकास और सशक्तिकरण हेतु)
नीति के प्रमुख बिंदु:
- राज्य सरकार द्वारा MSE उत्पादों की प्राथमिकता से खरीद।
- MSE को प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य।
- कम से कम 20% खरीद MSE उत्पादों एवं सेवाओं की अनिवार्यता:
- सरकारी विभाग, निगम, एजेंसियां, विकास प्राधिकरण, नगरपालिकाएं, सहकारी समितियां।
- 50% या उससे अधिक राज्य सरकार की हिस्सेदारी वाली कंपनियां।
- 1 अप्रैल 2017 से लागू – कुल खरीद का 20% MSE उत्पाद और सेवा से।
- SC/ST स्वामित्व वाले MSE के लिए 4% उप-आरक्षण।
- विभागों को वार्षिक खरीद रिपोर्ट ऑनलाइन प्रकाशित करनी होगी।
- MSE वस्तुएं अनुबंध प्रणाली में आरक्षित।
- देरी से भुगतान मामलों का समाधान MSMED अधिनियम, 2006 के तहत सुविधा परिषद द्वारा।
झारखंड सेवा का अधिकार अधिनियम – 2011
(समयबद्ध सार्वजनिक सेवा प्रदान करना एवं जवाबदेही सुनिश्चित करना)
अधिनियम के मुख्य प्रावधान:
- अधिनियम के तहत 172 सार्वजनिक सेवाएं शामिल।
- सेवाओं की समयबद्ध उपलब्धता अनिवार्य।
- सेवा में देरी पर अधिकारी के वेतन से ₹500 से ₹5,000 तक जुर्माना कटौती।
झारखंड की प्रमुख नीतियां (भाग I) के बारे में और पढ़ें:-
https://jharkhandexam.in/%e0%a4%9d%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%96-%e0%a4%a8%e0%a5%80%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be/
Leave a Reply