झारखंड की नदी घाटी परियोजनाएं – एक संपूर्ण अवलोकन

झारखंड में नदी घाटी परियोजनाएं बहुउद्देश्यीय प्रकृति की होती हैं, जिनका उद्देश्य सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, विद्युत उत्पादन और मत्स्य पालन जैसे कार्यों को पूरा करना होता है। नीचे झारखंड में संचालित प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है।

बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना क्या है?

  • वे परियोजनाएं जो एक से अधिक उद्देश्य जैसे सिंचाई, जलविद्युत, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल और मत्स्य पालन के लिए बनाई जाती हैं।
  • इन्हें नदियों पर बांध बनाकर निर्मित किया जाता है।
  • ये परियोजनाएं झारखंड के कृषि और औद्योगिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

दामोदर घाटी परियोजना (DVC) – भारत की पहली बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना

  • 1948 में प्रारंभ, यह भारत की प्रथम बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना थी।
  • झारखंड और पश्चिम बंगाल का संयुक्त उपक्रम
  • टेनेसी घाटी परियोजना (अमेरिका) से प्रेरित।
  • दामोदर घाटी निगम (DVC) की स्थापना 7 जुलाई 1948 को हुई, मुख्यालय कोलकाता में है।

DVC के अंतर्गत प्रमुख आधारभूत संरचना:

  • 8 बड़े बांध
  • 1 बैराज – दुर्गापुर बैराज
  • 6 जलविद्युत संयंत्र – तिलैया, मैथन, बाल पहाड़ी, पंचेत, बेरमो, कोनार
  • 3 ताप विद्युत संयंत्र – बोकारो, चंद्रपुरा, दुर्गापुर

महत्वपूर्ण बांध एवं संबंधित नदियाँ:

बांध का नामनदीजिलाजलग्रहण क्षेत्र (वर्ग किमी)उद्घाटन तिथि
तिलैयाबराकरकोडरमा98421 फरवरी 1953
कोनारकोनारहजारीबाग99715 अक्टूबर 1955
मैथनबराकरधनबाद629327 सितंबर 1957
पंचेतदामोदरधनबाद1096606 दिसंबर 1959

अन्य बांध:

  • बाल पहाड़ी बांध – बराकर नदी पर
  • बेरमो एवं पंचेत बांध – दामोदर नदी पर
  • बोकारो बांध – बोकारो नदी पर (जो दामोदर की सहायक नदी है)

विद्युत उत्पादन क्षमता:

  • ताप विद्युत उत्पादन: 2000 मेगावाट
  • जल विद्युत उत्पादन: 147.2 मेगावाट
  • कुल विद्युत उत्पादन क्षमता: 2147.2 मेगावाट

सिंचाई:

  • यह परियोजना लगभग 8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करती है।

स्वर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना – वर्ल्ड बैंक समर्थित

  • झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा का संयुक्त परियोजना
  • 1982-83 में आरंभ।
  • विश्व बैंक द्वारा समर्थित

प्रमुख बांध एवं स्थल:

बांध का नामनदीजिलावर्ष
गेतलसूद बांधस्वर्णरेखारांची1971
चांडिल बांधस्वर्णरेखासरायकेला-खरसावां1982
इच्छा बांधखरखाईसरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम1983 (प्रदर्शन के कारण कार्य रुका)
गलूडीह बांधस्वर्णरेखापूर्वी सिंहभूम1983
गाजिया बांधखरखाईपूर्वी सिंहभूम
पालना बांधस्वर्णरेखासरायकेला-खरसावांप्रस्तावित

जलविद्युत उत्पादन:

  • 130 मेगावाट बिजली उत्पादनहुण्डरू जलप्रपात के पास।

पर्यावरणीय चिंता:

  • स्वर्णरेखा नदी के पास स्थित यूरेनियम खदानेंनरवापहाड़, तुरामडीह, बघजाता
  • इनसे निकलने वाला रेडियोधर्मी कचरा नदी को प्रदूषित करता है, जिससे गंभीर जल प्रदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है।

मयूराक्षी परियोजना – कनाडा सहायता प्राप्त बांध 🇨🇦

  • झारखंड और पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना
  • मयूराक्षी नदी पर निर्माण।
  • 1955 में मसांजोर बांध (जिसे कनाडा बांध भी कहा जाता है) दुमका के पास मसांजोर में बना।
  • तिलपारा बैराज भी इस नदी पर बनाया गया।

उत्तर कोयल परियोजना – रुकी हुई लेकिन महत्वपूर्ण

  • उत्तर कोयल नदी पर प्रस्तावित, 1972 में आरंभ
  • बांध और पावर हाउस का निर्माण लातेहार जिले के कुटकू में।

उद्देश्य:

  • झारखंड के गढ़वा और पलामू जिलों में सिंचाई।
  • बिहार के गया और औरंगाबाद जिलों में जल आपूर्ति।
  • विद्युत उत्पादन का भी प्रस्ताव।

कोयल-कारो परियोजना – विरोध के कारण बंद

  • प्रस्तावित थी दक्षिण कोयल और उसकी सहायक कारो नदी पर।
  • 2003 में जन विरोध और भूमि विस्थापन के कारण रद्द कर दी गई।

परीक्षा केंद्रित महत्वपूर्ण तथ्य (झारखंड परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं):

  • DVC (1948)भारत की पहली बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना।
  • चांडिल बांधस्वर्णरेखा परियोजना का हिस्सा, परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है।
  • मसांजोर बांध (1955)कनाडा की सहायता से बना, मयूराक्षी नदी पर।
  • DVC की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता – 2147.2 मेगावाट।
  • स्वर्णरेखा यूरेनियम प्रदूषण मुद्दारेडियोधर्मी प्रदूषण की बड़ी चिंता।
  • कोयल-कारो परियोजना2003 में जनविरोध के कारण रद्द।
  • इच्छा बांधस्थानीय विरोध के कारण निर्माण कार्य रुका।

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