Category: Jharkhand Revolts

  • सिद्धु-कान्हु – संथाल विद्रोह के महानायक (1855)

    व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

    • सिद्धु-कान्हु चार भाई थे: सिद्धु, कान्हु, चाँद और भैरो
    • पिता का नाम: चुन्नी माँझी
    • मूल निवासी: भोगना डीह गाँव, बरहेट प्रखंड, संताल परगना
    • जन्म अनुमानित:
      • सिद्धु: 1815
      • कान्हु: 1820
      • चाँद: 1825
      • भैरो: 1835
    • सिद्धु का कद: 6 फीट, शारीरिक रूप से मजबूत और संगठन क्षमता में अपार

    संथाल विद्रोह (हुल) की पृष्ठभूमि

    • 1854 में दामिन-ए-कोह क्षेत्र में संथाल किसानों ने महाजनों के घरों पर हमला किया (बिना लूटपाट)
    • नेतृत्व कर रहे थे:
      • वीर सिंह मांझी (बोरियो)
      • डोमन मांझी (हाटबांधा)
    • व्यापारी, महाजन और जमींदारों की शोषण नीति, बेईमानी, मालगुजारी की नीलामी जैसी घटनाओं से भारी असंतोष फैला
    • सरकार और प्रशासन की उदासीनता भी आंदोलन का कारण बनी

    विद्रोह की शुरुआत और संगठन

    • 1855 में, सिद्धु-कान्हु ने संथालों का नेतृत्व हाथ में लिया
    • चारों भाई ब्रिटिश शासन के अत्याचार, शोषण और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़े
    • आंदोलन का उद्देश्य: स्वराज्य (अपना शासन – “अवुआ राज”)
    • प्रचार किया गया कि कुल देवी-देवता से आदेश मिला है अंग्रेजों को खदेड़ने का
    • सिद्धु ने मौझियों से कहा: साल वृक्ष में कान लगाकर एकजुटता की आवाज सुनो
    • “साल टहनी संदेश” गाँव-गाँव फैलाया गया – यह एक क्रांतिकारी संदेश बन गया

    विद्रोह की घोषणा और प्रारंभिक सफलता

    • 30 जून 1855: भोगनाडीह में माँझियों की सभा
      • नारे दिए गए:
        • “करो या मरो”
        • “अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो”
      • पद बाँटे गए:
        • सिद्धु – राजा
        • कान्हु – मंत्री
        • चाँद – प्रशासक
        • भैरो – सेनापति
    • इसी सभा में “अवुआ राज” (अपना शासन) की घोषणा की गई

    विद्रोह का विस्तार और हिंसक संघर्ष

    • 7 जुलाई 1855: दिग्धी के दारोगा महेश लाल दत्त की हत्या
    • 8 जुलाई: सिद्धु-कान्हु का दल पाकुड़ पहुँचा, वहाँ के राजा अपने परिवार समेत भाग निकले
    • संथालों ने पाकुड़ से महेशपुर होते हुए राजमहल तक हमला किया
    • 10 जुलाई 1855: मेजर एफ.डब्लू. डारफ के नेतृत्व में भेजी गई अंग्रेजी सेना की टुकड़ी को संथालों ने पराजित किया
    • अंग्रेजी समर्थक सरदारों और जमींदारों को भी निशाना बनाया गया
    • अंबर (पाकुड़) परगना का राजमहल कब्जे में लिया गया
    • संथाल विद्रोही मुर्शिदाबाद की ओर बढ़ने लगे

    दमन और शहादत

    • अंग्रेजों की कड़ी जवाबी कार्रवाई से सैकड़ों संथाल विद्रोही मारे गए
    • 10 नवम्बर 1855: क्षेत्र में “मार्शल लॉ” लागू कर दिया गया (2 जनवरी 1856 तक)
    • भागलपुर में विशेष मार्शल लॉ लगाया गया और गिरफ्तारी हेतु पुरस्कार घोषित हुए
    • बरहैट की लड़ाई में चाँद और भैरो शहीद हो गए
    • फरवरी 1856:
      • कान्हु को उपरबंदा (जामताड़ा के उत्तर) से गिरफ्तार किया गया
      • सिद्धु को बरहैट से गिरफ्तार किया गया
    • 26 जुलाई 1856:
      • सिद्धु को बरहैट, और
      • कान्हु को भोगनाडीह में फांसी दी गई

    विरासत

    • सिद्धु-कान्हु ने झारखंड और संथाल परगना में पहली बार संगठित जनविद्रोह खड़ा किया
    • उनके नेतृत्व में हुआ आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम जनजातीय क्रांति – संथाल हुल (1855) के नाम से इतिहास में अमर है
    • उनका बलिदान आदिवासी अस्मिता, स्वाभिमान और स्वराज्य की प्रेरणा का प्रतीक है
  • पाण्डेय गणपत राय – झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी (1809–1858)

    प्रारंभिक जीवन

    • जन्म: 17 जनवरी 1809
    • जन्म स्थान: भौरो ग्राम, लोहरदगा (वर्तमान में भंडरा प्रखंड, झारखंड में स्थित)
    • जातीय पृष्ठभूमि: कायस्थ
    • बचपन: चाचा सदासिव राय के साथ बिताया, जो छोटानागपुर के महाराजा के दीवान थे और पालकोट में रहते थे
    • शिक्षा: उच्च शिक्षा प्राप्त की, अरबी और फारसी भाषाओं में दक्षता प्राप्त की

    पारिवारिक जीवन

    • पहला विवाह: 15 वर्ष की आयु में हुआ, पर संतान नहीं हुई
    • दूसरा विवाह: 1837 में पलामू में हुआ
    • दूसरी पत्नी से: 2 पुत्र और 3 पुत्रियाँ थीं

    राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन

    • चाचा की मृत्यु के बाद, छोटानागपुर के महाराजा के दीवान बने
    • कार्यकुशलता और प्रशासनिक निपुणता से राजा को प्रभावित किया
    • ब्रिटिश हस्तक्षेप: छोटानागपुर के 59वें महाराज जगन्नाथ शाहदेव के उत्तराधिकार विवाद में अंग्रेजों की प्रिवी कौंसिल ने नागवंशी राजा के खिलाफ निर्णय दिया
    • अंग्रेजों ने एडम ह्यूम को छोटानागपुर राज्य का प्रबंधक नियुक्त किया
    • इस अन्यायपूर्ण हस्तक्षेप से उनके मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न हुई

    1857 की क्रांति में भूमिका

    • अगस्त 1857: डोरंडा छावनी में अंग्रेजी सेना की टुकड़ी ने बगावत की
    • पाण्डेय गणपत राय ने ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के साथ मिलकर विद्रोह का नेतृत्व किया
    • विद्रोही सैनिकों ने:
      • विश्वनाथ शाहदेव को राजा और
      • गणपत राय को सेनापति घोषित किया

    विद्रोही गतिविधियाँ

    • विद्रोहियों ने:
      • राँची की कचहरी को जलाया
      • ट्रेजरी लूटी
      • अंग्रेजों के मकानों पर हमला किया
      • राँची जेल को तोड़कर 300 कैदियों को मुक्त कराया

    संपर्क और रणनीति

    • विद्रोह को व्यापक रूप देने के लिए, वालुमाथ, चतरा होते हुए कुँवर सिंह से मिलने की योजना बनाई गई
    • यात्रा के दौरान 2 अक्टूबर 1857 को अंग्रेजी सेना ने उन्हें घेर लिया, जिससे उन्हें भागना पड़ा

    गिरफ्तारी और विश्वासघात

    • आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए लोहरदगा में समर्थन जुटाने का प्रयास किया
    • वहाँ के जमींदार महेश साही ने विश्वासघात किया
    • उन्हें कोठरी में बंद कर अंग्रेजों को सूचना दे दी
    • कैप्टन नेशन ने उन्हें गिरफ्तार किया और राँची लाकर मुकदमा चलाया गया

    फांसी और बलिदान

    • 16 अप्रैल 1858: उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई
    • 21 अप्रैल 1858: उन्हें राँची के उसी कदम्ब वृक्ष से फाँसी दी गई जहाँ ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को दी गई थी (वर्तमान राँची जिला स्कूल के गेट के पास)

    विरासत

    • पाण्डेय गणपत राय को झारखंड के संगठित विद्रोह का प्रथम सेनापति माना जाता है
    • उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ साहस, संगठन और रणनीति का परिचय दिया
    • उनका नाम झारखंड के स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों में सदा के लिए अमर है

  • बुधु भगत (1792–1832)

    बुधु भगत – कोल विद्रोह के महान जननायक (1792–1832)

    • पूरा नाम: बुधु भगत
    • जन्म: 17 फरवरी 1792, सिलागाई गाँव, चान्हों प्रखंड, राँची जिला, झारखंड
    • जाति: उराँव (Oraon)
    • स्थान: कोयल नदी के तट पर बसा हुआ गाँव

    व्यक्तित्व और प्रारंभिक जीवन

    • बचपन से ही तीरंदाजी और तलवारबाजी में रुचि
    • ग्रामीणों में लोकप्रियता — उन्हें एक दैविक शक्ति सम्पन्न जननायक माना जाने लगा
    • निडर, वीर और नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण
    • अंग्रेजों और जमींदारों के शोषण के विरुद्ध प्रतिरोध का चेहरा

    कोल विद्रोह का नेतृत्व

    • बुधु भगत ने कोल विद्रोह (Kol Rebellion) का नेतृत्व किया
    • यह विद्रोह ब्रिटिश शासन और उनके समर्थक ज़मींदारों के खिलाफ था
    • उन्होंने आदिवासियों को संगठित किया और जंगलों में गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई
    • सैनिक कार्रवाई के दौरान, अंग्रेजों पर तीरों की वर्षा की जाती थी

    मुख्य संघर्ष

    • 1832 में, अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए सेना भेजी
    • पिठौरिया, बुण्डू, तमाड़ जैसे स्थानों पर अंग्रेजों और विद्रोहियों के बीच भीषण युद्ध हुआ
    • बुधु भगत लंबे समय तक पकड़ से बाहर रहे

    शहादत

    • 13 फरवरी 1832 को, कप्तान इम्पे की अगुवाई में अंग्रेजी सेना ने सिलागाई पर हमला किया
    • अंग्रेजों के गोला-बारूद के सामने आदिवासी तीरों की ताकत कम पड़ गई
    • 14 फरवरी 1832 को, बुधु भगत वीरगति को प्राप्त हुए
    • अंग्रेजों ने बुधु भगत, उनके भाई और भतीजों के कटे हुए सिरों को शिविर में प्रदर्शित कर ग्रामीणों में दहशत फैलाने का प्रयास किया

    इतिहास में स्थान

    • बुधु भगत को माना जाता है – प्रथम जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम का महानायक
    • उनका उद्देश्य सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि अंग्रेजों को हटाकर स्वशासन की स्थापना था
    • यहां तक कि अंग्रेज अफसर भी उनकी संगठन क्षमता और उद्देश्य को मान्यता देते थे

  • तिलका माँझी (1750–1785)

    तिलका माँझी – झारखण्ड के पहले स्वतंत्रता सेनानी (1780–1785)

    • पूरा नाम: तिलका माँझी (जिन्हें जाबरा पहाड़िया के नाम से भी जाना जाता है)
    • जन्म: 11 फरवरी 1750, तिलकपुर गाँव, सुलतानगंज थाना, भागलपुर जिला
    • जाति: संताल (सांथाल) जनजाति
    • पिता का नाम: सुंदरा मुर्मू

    व्यक्तित्व और कौशल

    • तीरंदाजी और जंगली जानवरों के शिकार में माहिर
    • दूरदर्शी, मिलनसार, कर्मठ और देशभक्त
    • एक कुशल योद्धा, जिन्होंने अपने साहस और नेतृत्व से पहचान बनाई
    • अंग्रेजी शोषण के खिलाफ पहले विद्रोहियों में से एक

    अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष

    • तिलका माँझी ने संतालों को जागरूक किया:
      • अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियों के बारे में
      • फूट डालो और राज करो की नीति से सावधान किया
    • मुगल शासन में संतालों की स्वतन्त्रता थी, जिसे अंग्रेजों ने खत्म कर दिया

    विद्रोह के कारण

    • अंग्रेजी कर नीति के खिलाफ आवाज़ उठाई — पहाड़ियों से कर नहीं लिया जाता था, पर अन्य लोगों से लिया जाता था
    • इस भेदभावपूर्ण नीति के कारण सभी वर्ग तिलका माँझी के नेतृत्व में एकजुट हो गए

    प्रारंभिक संघर्ष

    • 1771 में वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल का मिलिट्री गवर्नर नियुक्त किया गया
    • 1773 में अगस्टस क्लीवलैंड को राजमहल क्षेत्र का अधीक्षक बनाया गया
    • 1779 तक, क्लीवलैंड ने 47 पहाड़िया सरदारों को अंग्रेजों का समर्थक बना लिया
    • फिर भी जन असंतोष बढ़ता गया और तिलका माँझी ने विद्रोह का नेतृत्व किया

    संथाल विद्रोह की शुरुआत

    • 1781 में, तिलका माँझी के नेतृत्व में संथाल विद्रोह प्रारंभ हुआ
    • भागलपुर के पास वनचरीजोर नामक स्थान से आंदोलन शुरू किया गया
    • गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाकर अंग्रेजों को कठिनाई में डाल दिया

    मुख्य घटना

    • 13 जनवरी 1784 को, तिलका माँझी ने तीर मारकर अगस्टस क्लीवलैंड की हत्या कर दी
    • यह घटना जनजातीय प्रतिरोध का प्रतीक बन गई

    गिरफ्तारी और बलिदान

    • अंग्रेजों ने बड़ा हमला किया, पर तिलका माँझी पहाड़ों में छिपकर लड़ते रहे
    • अंततः सरदार जौराह ने उन्हें धोखे से पकड़वा दिया
    • तिलका माँझी को पकड़कर अत्यंत क्रूरता से फांसी दे दी गई
    • वे जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले शहीद माने जाते हैं

  • “Freedom Fighters of Jharkhand”

    1. Tilka Manjhi (1750–1785)

    • Place of Birth: Tilakpur, Bhagalpur (present-day Bihar)
    • Tribe: Santhal
    • Father’s Name: Sundara Murmu

    Major Contributions:

    • Considered the first tribal freedom fighter of India.
    • Led the Santhal Rebellion in 1781.
    • Killed British officer Augustus Cleveland with an arrow (13 January 1784).
    • Adopted guerrilla warfare tactics to outsmart the British.

    Sacrifice:

    • Arrested due to betrayal by Paharia chieftain Jaurah.
    • In May 1785, tied to four horses, dragged, and hanged from a banyan tree in Bhagalpur.

    2. Budhu Bhagat (1792–1832)

    • Place of Birth: Silagai village, Lohardaga (Jharkhand)
    • Tribe: Oraon
    • Father’s Name: Heru Bhagat

    Major Contributions:

    • Led a mass rebellion against the British and landlords in 1831–1832.
    • Spread public awareness village to village.
    • Expertly used guerrilla warfare.

    Sacrifice:

    • In 1832, the British surrounded Budhu Bhagat’s house.
    • He and his two sons fought bravely but were martyred.

    3. Pandey Ganpat Rai (1809–1858)

    • Place of Birth: Chatra, Jharkhand
    • Father’s Name: Raja Jugal Kishore Singh
    • Position: Nagvanshi King and Diwan of Chatra

    Major Contributions:

    • Played an active role in the 1857 freedom struggle.
    • United kings and the public against the British.
    • Established alliances with Tatya Tope, Nana Sahib, and Kunwar Singh.

    Sacrifice:

    • Captured by the British.
    • Hanged in an open field in Chatra on 21 April 1858.
    • His last words were: “Victory to Mother India!”

    4. Sidho-Kanho Murmu (1815–1855)

    • Place of Birth: Bhognadih village, Sahibganj (Jharkhand)
    • Tribe: Santhal
    • Father’s Name: Marang Bhagat

    Major Contributions:

    • On 30 June 1855, led the “Santhal Rebellion” (Hul Movement) with over 10,000 Santhals.
    • Gave the slogan against oppression: “Abua Raj Ete Janawar Nay” (We want our own rule, not that of beasts).
    • The rebellion spread across Sahibganj, Dumka, Pakur, and Godda.

    Sacrifice:

    • Killed deceitfully by the British army in 1855.

    5. Thakur Vishwanath Shahdeo (1817–1858)

    • Place of Birth: Badlatoli, Ranchi (Jharkhand)
    • Father’s Name: Thakur Chaitanya Shah
    • Position: Nagvanshi King of Ranchi

    Major Contributions:

    • Active leader in the 1857 revolution.
    • Organized freedom forces against the British.
    • Allied with Pandey Ganpat Rai, Nandaraj, and Murlidhar.
    • Uprooted British administration in Ranchi, Lohardaga, and Chatra.

    Sacrifice:

    • Hanged at Ranchi jail ground on 16 April 1858.

    6. Sheikh Bhikhari

    • Diwan and associate of Tikait Umrao Singh.
    • Actively participated in the 1857 freedom struggle.
    • Played a major strategic role against the British.
    • After the revolution, his property was seized and his family forced to flee.

    7. Birsa Munda (1875–1900)

    • Birth: 15 November 1875, Ulihatu, Khunti
    • Famous Name: Dharti Aaba

    Education & Conversion:

    • Early life full of struggle due to poverty.
    • Converted to Christianity on 7 May 1886 (Chaibasa Lutheran Mission).
    • Later disillusioned with missionary policies and returned to Hindu and tribal values.

    Movement:

    • Goal: Restoration of traditional tribal life and culture.
    • Initiated rebellion against Christian missionaries and British.
    • Arrested in 1895, sentenced to two years of rigorous imprisonment.
    • After release, reorganized the movement.
    • Arrested again in 1900; died in Ranchi jail on 9 June 1900.

    8. Tikait Umrao Singh

    • Birth: Khatanga, Ormanjhi (some sources mention Ganga Patar)
    • Skilled horseman and swordsman.
    • Led the rebellion in the 1857 uprising along with Sheikh Bhikhari.
    • Blocked the Chutupalu valley route to stop the British.
    • Hanged with Sheikh Bhikhari on 8 January 1858.
    • Zamindari of 12 villages was confiscated.

    9. Nilamber–Pitamber (Brave Brothers of Palamu)

    • Belonged to the Chero-Kharwar community of Palamu.
    • Rebelled against the British in 1857.
    • Attacked Chainpur, Sahpur, and Lesliganj.
    • Later took refuge in Manika forest and launched another rebellion.
    • Colonel Dalton arrested them under pretense of a feast and executed them.
    • Their property was confiscated.

    10. Telanga Khadia (1806–1880)

    • Birth: Sisai Murge village
    • Father: Duiya Khadia (treasurer of the Chotanagpur king)

    Struggle and Sacrifice:

    • Illiterate but skilled organizer and warrior.
    • Inspired by Kol Rebellion (1831–32), began guerrilla warfare against the British.
    • Mobilized the entire Khadia region.
    • British made several attempts to catch him but failed.
    • Shot dead by a traitor in Sisai on 23 April 1880.

    11. Singi Dai (Heroine of Rohtas Fort)

    • Princess of the Oraon community.
    • Formed a women’s army and repelled Mughal invasions three times.
    • Fought alongside her companion Kailee Dai.
    • Symbol of bravery: Oraon women tattoo three lines in her memory.

    12. Gaya Munda (Ulgulan Warrior, Atkedih)

    • Rebelled against the British with his entire family.
    • On 5 January 1900, a constable arrived at Atkedih to arrest him during an Ulgulan meeting.
    • His son Sambhar Munda shot an arrow at the constable.
    • On 6 January 1900, Deputy Commissioner Streetfield surrounded their home.
    • Women attacked the soldiers with sticks.
    • Gaya Munda declared: “This is my home. The Deputy Commissioner has no right to enter. If he does, we will kill him!”
    • The Deputy Commissioner set the house on fire, forcing the family out.

    Punishment:

    • Son hanged.
    • Elder son Doka Munda sentenced to life imprisonment.
    • Wife Maki Dai: 2 years in jail.
    • Daughters-in-law and daughters: 3 months imprisonment.
    • Son Jaymasih exiled.
    • 348 Mundas were tried in court.

    Bindrai Manki and Suiya Munda (Kol Rebellion, 1832)

    • Led the rebellion in Singhbhum, Palamu, and Torpa regions.
    • Major allies: Sagar Manki, Sugga Manki, Mohan Manki, etc.
    • British forced the rebels to surrender.
    • On 19 April 1832, Bindrai and Suiya Munda surrendered.
    • British had to promise security and peace in return.

    Poto Sardar (Kolhan Rebellion, 1837)

    • ‘Ho’ tribal leader who fought for independence.
    • Rebelled against British atrocities and the ‘Wilkinson Rule’.
    • Planned the rebellion by sending arrows to village chiefs.
    • 17 November 1837: Captain Armstrong’s army attacked.
    • 8 December 1837: Poto Sardar arrested.
    • 1 January 1838: Poto, Naro, and Badai were hanged.
    • 2 January 1838: Modu and Pandua were also executed.

    Rudan Munda and Konta Munda (Tamar Rebellion, 1819–1821)

    • Led a rebellion in Tamar region against the British in 1819.
    • Key leaders: Daulat Rai Munda, Shankar Manki, Chandan Singh, Bhadra Munda, etc.
    • 31 August 1819: Attacked Pituchara.
    • Reward announced for Rudan Munda; caught and died in jail.
    • 1821: Konta Munda gathered warriors from Singhbhum.
    • Raja Govind Shahi placed ₹200 bounty on his head.
    • Died in jail after arrest; rebellion ended.

    Fetel Singh Kharwar (Tribal Leader, Garhwa–Palamu)

    • Birth: 7 May 1885, Bahahara village, Garhwa
    • Father: Lagan Singh, village chief of Panchayat Chatta
    • Uneducated but deeply aware of forest rights.
    • Influenced by Gandhiji, fought for forest land rights.
    • 1958: Protest escalated against forest department encroachment.
    • 12 January 1958: Clash with police; supporter Kumbhakaran killed.
    • Arrested, fell ill in jail, later released for good conduct.
    • Died on 31 December 1975. His memorial is still in Bahahara village.

  • “झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी”

    1. तिलका माँझी (1750–1785)

    जन्म स्थान: तिलकपुर, भागलपुर (वर्तमान बिहार)
    जाति: संताल
    पिता का नाम: सुंदरा मुर्मू

    मुख्य योगदान:

    • भारत के पहले आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं।
    • 1781 में संताल विद्रोह का नेतृत्व किया।
    • ब्रिटिश अधिकारी ऑगस्टस क्लीवलैंड को तीर से मार गिराया (13 जनवरी 1784)।
    • उन्होंने गुरिल्ला युद्ध नीति अपनाकर ब्रिटिशों को छकाया।

    बलिदान:

    • पहाड़िया सरदार जौराह की गद्दारी से गिरफ्तार हुए।
    • मई 1785 में चार घोड़ों से बाँधकर घसीटे गए और भागलपुर के एक बरगद के पेड़ से फाँसी दी गई।

    2. बुधु भगत (1792–1832)

    जन्म स्थान: सिलागाई गाँव, लोहरदगा (झारखंड)
    जाति: उराँव
    पिता का नाम: हेरू भगत

    मुख्य योगदान:

    • 1831–1832 में ब्रिटिश और जमींदारों के खिलाफ जन विद्रोह का नेतृत्व किया।
    • गाँव-गाँव में जनजागरण फैलाया।
    • गुरिल्ला युद्ध का कुशल प्रयोग किया।

    बलिदान:

    • 1832 में अंग्रेजों ने बुधु भगत के घर को घेर लिया।
    • उन्होंने और उनके दो बेटों ने साहसपूर्वक युद्ध किया, पर अंततः शहीद हो गए।

    3. पाण्डेय गणपत राय (1809–1858)

    जन्म स्थान: चतरा, झारखंड
    पिता का नाम: राजा जुगल किशोर सिंह
    पद: नागवंशी राजा व चतरा के दीवान

    मुख्य योगदान:

    • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई।
    • अंग्रेजों से विरुद्ध राजाओं और जनता को संगठित किया।
    • तांत्या टोपे, नाना साहिब और कुंवर सिंह से सहयोग स्थापित किया।

    बलिदान:

    • अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार किए गए।
    • 21 अप्रैल 1858 को चतरा में खुले मैदान में फाँसी दी गई।
    • उनके अंतिम शब्द थे: “भारत माता की जय!”

    4. सिद्धू-कान्हू मुर्मू (1815–1855)

    जन्म स्थान: भोगनाडीह गाँव, साहिबगंज (झारखंड)
    जाति: संताल
    पिता का नाम: मरांग भगत

    मुख्य योगदान:

    • 30 जून 1855 को 10,000 से अधिक संतालों के साथ “संताल विद्रोह” (हुल आंदोलन) का नेतृत्व किया।
    • अंग्रेजों, साहूकारों और महाजनों के अत्याचार के विरुद्ध “अबुआ राज एते जनावर नाय” (अपना राज लाएँगे, जानवरों का नहीं) का नारा दिया।
    • विद्रोह ने साहिबगंज, दुमका, पाकुड़, गोड्डा तक प्रभाव फैलाया।

    बलिदान:

    • 1855 में अंग्रेजी सेना ने धोखे से उन्हें घेर कर मार दिया।

    5. ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव (1817–1858)

    जन्म स्थान: बड़लाटोली, रांची (झारखंड)
    पिता का नाम: ठाकुर चैतन्य शाह
    पद: रांची के नागवंशी राजा

    मुख्य योगदान:

    • 1857 की क्रांति में सक्रिय नेता थे।
    • अंग्रेजों के खिलाफ मुक्ति सेनाओं को संगठित किया।
    • पाण्डेय गणपत राय, नंदराज और मुरलीधर से गठबंधन किया।
    • रांची, लोहरदगा, चतरा में ब्रिटिश प्रशासन को उखाड़ फेंका।

    बलिदान:

    • 16 अप्रैल 1858 को रांची के जेल मैदान में फाँसी दी गई।

    6. शेख भिखारी

    • टिकैत उमराव सिंह के दीवान और सहयोगी।
    • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी।
    • अंग्रेजों के विरुद्ध रणनीतिक सहयोग में प्रमुख भूमिका।
    • स्वतंत्रता संग्राम के बाद सम्पत्ति जब्त और परिवार को पलायन करना पड़ा।

    7. बिरसा मुण्डा (1875 – 1900)

    जन्म: 15 नवम्बर 1875, उलिहातू, खूंटी
    प्रसिद्ध नाम: धरती आबा

    शिक्षा व धर्मांतरण:

    • गरीबी के कारण शुरुआती जीवन संघर्षपूर्ण।
    • 7 मई 1886 को ईसाई धर्म में धर्मांतरण (चाईबासा लूथरन मिशन)।
    • बाद में ईसाई मिशनरियों की नीतियों से असंतुष्ट होकर हिन्दू और आदिवासी मूल्यों की ओर लौटे।

    आंदोलन:

    • लक्ष्य: पारंपरिक जनजातीय जीवन और संस्कृति की पुनर्स्थापना।
    • ईसाई मिशनरियों व अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह की शुरुआत।
    • 1895 में गिरफ्तारी व दो वर्ष की सश्रम कारावास।
    • जेल से रिहा होने के बाद फिर आंदोलन को संगठित किया।
    • 1900 में गिरफ्तार; राँची जेल में 9 जून 1900 को मृत्यु।

    8. टिकैत उमराव सिंह

    • जन्म: खटंगा, ओरमांझी (कुछ मतों में गंगा पातर)
    • कुशल घुड़सवार व तलवारबाज।
    • 1857 की क्रांति में शेख भिखारी के साथ मिलकर विद्रोह का नेतृत्व।
    • चुटुपालू घाटी मार्ग अवरुद्ध कर अंग्रेजों को रोका।
    • 8 जनवरी 1858 को शेख भिखारी के साथ फाँसी दी गई।
    • 12 गाँवों की ज़मींदारी जब्त की गई।

    9. नीलांबर-पीतांबर (पलामू के वीर भाई)

    • पलामू के चेरो-खरवार समुदाय से।
    • 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
    • चैनपुर, साहपुर, लेस्लीगंज पर आक्रमण।
    • बाद में मनिका के जंगल में शरण ली और पुनः विद्रोह छेड़ा।
    • कर्नल डाल्टन ने भोज के बहाने गिरफ्तार कर फाँसी दी।
    • उनकी सम्पत्ति जब्त कर ली गई।

    10. तेलंगा खड़िया (1806 – 1880)

    जन्म: सिसई मुर्गे गाँव
    पिता: दुइया खड़िया (छोटानागपुर महाराज के भंडारी)

    संघर्ष और बलिदान:

    • अनपढ़ लेकिन कुशल संगठक और योद्धा।
    • कोल विद्रोह (1831–32) से प्रेरणा लेकर अंग्रेजों के खिलाफ छापामार युद्ध शुरू किया।
    • पूरे खड़िया क्षेत्र को गोलबंद किया।
    • अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ने कई प्रयास किए लेकिन असफल रहे।
    • 23 अप्रैल 1880 को सिसई में एक देशद्रोही द्वारा गोली मारकर हत्या।

    11. सिनगी दई (रोहतास गढ़ की वीरांगना)

    • उरांव समुदाय की राजकुमारी।
    • नारी सेना गठित कर मुगल आक्रमण को तीन बार रोका।
    • सहेली कैली दई के साथ युद्ध में मोर्चा संभाला।
    • वीरता की प्रतीक: उरांव महिलाएं उनकी याद में तीन रेखाएं गुदवाती हैं।

    12. गया मुण्डा (उलगुलान सेनानी, एटकेडीह)

    • गया मुण्डा ने अपने पूरे परिवार के साथ अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
    • 5 जनवरी 1900 को खूँटी थाना का कांस्टेबल उन्हें पकड़ने एटकेडीह पहुँचा, जहाँ उलगुलान की बैठक चल रही थी।
    • गया मुण्डा के बेटे सांभर मुण्डा ने सिपाही पर तीर चला दिया।
    • 6 जनवरी 1900 को उपायुक्त स्ट्रीटफील्ड ने एटकेडीह में गया मुण्डा के घर को घेर लिया।
    • महिलाओं ने सिपाही पर लाठी से वार कर दिया।
    • गया मुण्डा का जवाब: “यह घर मेरा है, उपायुक्त को घुसने का अधिकार नहीं है। घुसे तो मार डालेंगे!”
    • उपायुक्त ने घर में आग लगवा दी, जिससे पूरा परिवार बाहर निकला।
    • दंड:
      • बेटे को फाँसी
      • बड़े बेटे डोका मुण्डा को आजीवन कारावास
      • पत्नी माकी दई को 2 साल की कैद
      • बहुएं और बेटियाँ: 3 महीने की कैद
      • बेटे जयमसीह को देश निकाला
      • कुल 348 मुण्डाओं पर मुकदमा चला

    बिंदराई मानकी और सुइया मुण्डा (कोल विद्रोह, 1832)

    • सिंहभूम, पलामू और तोरपा क्षेत्र में विद्रोह का नेतृत्व किया।
    • प्रमुख सहयोगी: सागर मानकी, सुग्गा मानकी, मोहन मानकी आदि।
    • अंग्रेजों ने विद्रोहियों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
    • 19 अप्रैल 1832: बिंदराई और सुइया मुण्डा ने आत्मसमर्पण किया।
    • अंग्रेजों को उनके आत्मसमर्पण के बदले सुरक्षा और शांति बनाए रखने का आश्वासन लेना पड़ा।

    पोटो सरदार (कोल्हान विद्रोह, 1837)

    • ‘हो’ आदिवासी नेता जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी।
    • अंग्रेजों के अत्याचार और ‘विल्किन्सन रूल’ के विरोध में विद्रोह।
    • विद्रोह की योजना: ग्राम प्रमुखों को तीर भेजकर आमंत्रण।
    • 17 नवम्बर 1837: कैप्टन आर्मस्ट्रांग की सेना ने हमला किया।
    • 8 दिसम्बर 1837: पोटो सरदार गिरफ्तार।
    • 1 जनवरी 1838: पोटो, नारो और बड़ाय को फाँसी दी गई।
    • 2 जनवरी 1838: मोड़ो और पंडुआ को भी फाँसी।

    रूदन मुण्डा और कोन्ता मुण्डा (तमाड़ विद्रोह, 1819-1821)

    • 1819 में अंग्रेजों के खिलाफ तमाड़ क्षेत्र में विद्रोह।
    • प्रमुख नेता: दौलत राय मुण्डा, शंकर मानकी, चंदन सिंह, भद्रा मुण्डा आदि।
    • 31 अगस्त 1819: पिटुचाड़ा में हमला।
    • रूदन मुण्डा को पकड़ने के लिए इनाम घोषित हुआ और वह पकड़े जाने के बाद जेल में मारे गए।
    • 1821: कोन्ता मुण्डा ने सिंहभूम के लड़ाकों को एकत्र किया।
    • राजा गोविन्द शाही ने उस पर ₹200 का इनाम रखा।
    • गिरफ्तारी के बाद जेल में मौत, विद्रोह का अंत हुआ।

    फेटल सिंह खरवार (जनजातीय नेता, गढ़वा–पलामू)

    • जन्म: 7 मई 1885, बहाहारा गाँव, गढ़वा।
    • पिता: लगन सिंह, पंचायत चट्टा के मुखिया।
    • पढ़ाई नहीं कर सके पर जल-जंगल-जमीन की गहरी समझ।
    • गाँधीजी के प्रभाव में आए और वन अधिकारों की लड़ाई लड़ी।
    • 1958: वन विभाग के कब्जे के खिलाफ संघर्ष उग्र हुआ।
    • 12 जनवरी 1958: पुलिस से भिड़ंत, एक समर्थक कुम्भकरण की मृत्यु।
    • गिरफ्तारी के बाद जेल में स्वास्थ्य बिगड़ा, बाद में अच्छे आचरण के कारण रिहा हुए।
    • 31 दिसम्बर 1975: उनका निधन। समाधि आज भी बहाहारा गाँव में स्थित है।

  • “Major Tribal Rebellions of Jharkhand: A Detailed Analysis of History, Causes and Impacts”

    Etymology and Meaning of the Word “Sadan”

    • Derived from ‘sad’, meaning:
      • To sit, reside, or assemble.
    • Other associated meanings:
      • Sadya – immediate, new, fresh.
      • Sad – good, true.
    • Sadans are considered:
      • The first settlers of Jharkhand.
      • New residents who made the land their home.
    • Associated with Shivpriya (Naag Priya) land, where Naga caste is dominant.

    Socio-Cultural Aspects of the Sadan Community

    • Worship places called Sarna, located in open spaces like:
      • Mahadev Manda, Devi Gudi.
    • Temples were constructed later due to external influences.
    • Cultural values based on equality and cooperation:
      • Sahiya-Madait (cooperative systems).
    • Marriage customs:
      • Bride price (Daali Daam) instead of dowry.
      • Entire village participates in the marriage of a daughter.

    Relationship Between Sadans and Tribal Communities

    • Sadans were present before the arrival of major tribes (Munda, Oraon, Kharia, etc.).
    • Primitive Sadan groups include:
      • Naga, Asur, Sarak tribes.
    • Coexistence with incoming tribal communities.
    • Over time, a fusion of languages, songs, music, and cultures occurred.

    Classification of Sadans

    1. Ancient Original Sadans – Indigenous residents of Jharkhand.
    2. Medieval Settlers – Brought by kings from other states; ~75% assimilated as Jharkhandi.
    3. Newcomers – Traders and professionals; ~50% Jharkhandi cultural influence.
    4. Recent Migrants – Arrived post-1932; weak Jharkhandi identity.

    Major Scheduled Tribes of Jharkhand (As per Census 2011)

    S.No.TribeDistrict / DivisionPopulationPercentageLanguage
    1SantalSanthal Pargana27,54,72331.86%Santali
    2OraonRanchi17,16,61819.85%Kurukh
    3MundaRanchi12,29,22114.21%Mundari
    4HoSinghbhum9,28,28910.73%Ho
    5KharwarPalamu2,48,9742.87%Kharwari

    Language and Culture of Sadans

    • Sadani language (now called Nagpuri) was once the official language under the Nagvanshi rule.
    • Despite dialectical differences, a shared cultural sentiment prevails.
    • Folk dances include:
      • Fagua, Thadiya, Umkach, Uidhra, Jhumar, etc.

    Economic and Social Contributions

    • Significant role in:
      • Agriculture, metalwork (iron-copper), craftsmanship, and trade.
    • Traditional systems like:
      • Madhait Pratha – collective labor.
      • Interest-free loan system – strengthened the rural economy.

    Current Status of Sadans in Jharkhand

    • Important figures in the freedom struggle:
      • Pandey Ganpat Rai, Nilambar-Pitambar, etc.
    • After independence:
      • Decline in political voice.
      • Marginalisation after Jharkhand was declared a tribal state by the Bhuria Committee.

    Major Sadan-Associated Tribes

    • Birjhia, Cheek Baraik, Godait, Karmali, Lohra, Mahli, Kisan, Asur, etc.

    Highlights of Major Tribes in Jharkhand

    Oraon

    • Occupation: Farming; now also in industry and services.
    • Literacy (2011):
      • Total: 67%
      • Male: 72.9%
      • Female: 52.4%
    • Religion: Traditional and Christian (due to missionary influence).

    Munda

    • Race: Australoid
    • Language: Mundari (Austro-Asiatic)
    • Population (2011): 12,29,221
    • Residence: 89.6% rural
    • Key traditions:
      • Chief: Hatumunda
      • Council: Padha, led by Padha Raja
      • Deity: Singbonga
    • Marriage rules:
      • No intra-tribe or same-gotra marriage.
      • Widow remarriage allowed.
    • Literacy (2011): 62.6%

    Kharwar

    • Regions: Palamu, Latehar, Garhwa, Lohardaga, Ranchi.
    • Family: Patriarchal.
    • Marriage: Inter-gotra mandatory; child marriage exists.
    • Occupation: Agriculture, hunting, labor.
    • Literacy (2011): 56.4%

    Kharia

    • Subgroups: Hill, Dhelki, Doodh Kharia
    • Population (2011): 1,96,135
    • Village governance: Padha and Doklo Sohor
    • Chief: Pradhan
    • Marriage: Gotra system, but intra-gotra allowed.
    • Literacy: 65.9%

    Vedia

    • Origin: Possibly related to Kurmi or Munda.
    • Residence: Hazaribagh, Ramgarh, Singhbhum.
    • Marriage: Endogamy prohibited; bride price system.
    • Literacy: 58%

    Bhumij

    • Origin: Subgroup of Munda.
    • Region: Ranchi, Hazaribagh, Dhanbad, Singhbhum.
    • Marriage: No same-gotra or inter-caste marriage.
    • Population (2011): 2,09,448

    Big Tribe

    • Region: Singhbhum
    • Population (2011): 3,464
    • Occupation: Forest products, labor.

    Lohara

    • Clan: Descendants of Asur.
    • Traditional work: Iron smelting.
    • Population (2011): 2,16,226
    • Literacy: 56.2%

    Mahli

    • Clan: Dravidian
    • Occupation: Bamboo and wood products.
    • Sub-castes: Bamboo Mahli, Silkhi Mahli, Tanti Mahli.
    • Literacy (2011): 152,663 literate

    Table 7.4 – Population of Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTG)

    S.No.NamePopulation (2001)Population (2011)Literacy Rate (%)
    1Birhor7,51410,72634.5
    2Parhiya20,78625,58533.1
    3Mal Pahadia1,15,0931,35,79739.6
    4Sambar6,0049,68833.7
    5Sauria Pahadia31,05046,22239.7
    6Hill Kharia1,64,0221,96,13565.9
    7Korba27,17735,60637.9
    8Asur10,34722,45946.9
    9Birjia5,3656,27650.2

    PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups)

    • Key PVTGs:
      • Mal Pahadia, Parhiya, Savar/Sanwar, Birjia, Birhor, Asur.
    • Prominent populations:
      • Mal Pahadia: 1,35,797
      • Hill Kharia: 1,96,135

    Scheduled Tribe Population Distribution (in Percentage)

    DistrictPercentage (%)
    Koderma0.96%
    Garhwa15.54%
    Palamu9.34%
    Chatra12.13%
    Giridih9.74%
    Deoghar7.02%
    Hazaribagh7.02%
    Ramgarh21.19%
    Bokaro12.4%
    Dhanbad1.66%
    Sahebganj28.41%

    Tribal Language, Festivals, Dance, Music, and Painting

    SubjectDescription
    LanguagesSantali, Mundari, Kurukh, Khortha, Nagpuriya, Sadri, Kharia, Pachparganiya, Ho, Malto, Karmali, Hindi, Urdu, Bengali
    FestivalsSarhul, Karma, Sohrai, Badna, Eid, Christmas, Holi, Dussehra
    Folk DancesAkhariya, Domkach, Jhumar, Fagua, Pawas
    Musical InstrumentsMandar, Dhol, Dhak, Dhamsa, Flute, Kartal, Shehnai etc.
    PaintingsSantali Wall Paintings, Oraon Wall Paintings

    Additional Information

    • Region: Santhal Pargana
    • Population (2011): 32,786
    • Literacy Rate: 55.5%
    • Marriage Tradition: Exogamous (outside the same clan)
    • Death Rites: Burial tradition

  • झारखंड के प्रमुख जनजातीय विद्रोह

    सदान शब्द की व्युत्पत्ति और अर्थ

    • ‘सद’ से बना, जिसका अर्थ होता है: बैठना, निवास करना, सभा
    • अन्य अर्थों में ‘सद्यः’ = तुरंत, नया, ताज़ा; ‘सद’ = अच्छा, सत्य।
    • सदान वे हैं जिन्होंने सबसे पहले झारखंड को अपना घर बनाया, या नए निवासियों के रूप में बसे।
    • सदान शिवप्रिय (नाग प्रिय) भूमि से जुड़े रहे हैं, इसलिए झारखंड में नाग जाति प्रमुख है।

    सदान समुदाय के सामाजिक-सांस्कृतिक पक्ष

    • खुले स्थानों पर पूजा स्थल (सरना) जैसे महादेव मांडा, देवी गुड़ी
    • मंदिरों का निर्माण बाद में बाहरी प्रभाव के कारण हुआ।
    • सदानों में सहिया-मदइत जैसी समता और सहयोग पर आधारित संस्कृतियाँ हैं।
    • विवाह में कन्या मूल्य (डाली दाम) लिया जाता है, दहेज प्रथा नहीं
    • पूरा गांव बेटी के विवाह में सहभागी होता है।

    सदानों और आदिवासियों का संबंध

    • आदिवासियों (मुण्डा, उरांव, खड़िया आदि) के आगमन से पूर्व सदान झारखंड में थे।
    • आदिम सदान = नाग, असुर, सराक जातियाँ।
    • मुण्डाओं के आगमन के बाद भी सदान और आदिवासी सहअस्तित्व में रहे।
    • दोनों समुदायों की भाषाएँ, गीत-संगीत, संस्कृतियाँ घुलमिल गईं।

    सदान वर्गीकरण

    सदानों को चार बड़े वर्गों में बाँटा गया:

    1. प्राचीन मूल सदान: झारखंड के आदि निवासी।
    2. मध्यकालीन लाए गए लोग: (राजाओं द्वारा अन्य राज्यों से बसाए गए) – 75% तक झारखंडी बन गए।
    3. नवागंतुक: (खुद आकर बसे व्यापारी, नौकरी पेशा) – 50% झारखंडी प्रभाव।
    4. हाल के प्रवासी: (1932 के बाद आए), झारखंडी पहचान कमजोर।

    सदानों की भाषा और संस्कृति

    • सदानी भाषा, जिसे आज नागपुरी कहा जाता है, नागवंशी शासनकाल में राजभाषा रही।
    • विभिन्न बोलियों में हल्का भेद होते हुए भी सांस्कृतिक भावना एक।
    • सदानी नृत्य: फगुआ, ठड़िया, उमकच, उइधरा, झूमर आदि।

    आर्थिक और सामाजिक योगदान

    • सदानों ने कृषि, लोहा-तांबा कार्य, वस्तु निर्माण, व्यापार इत्यादि में प्रमुख भूमिका निभाई।
    • मदइत प्रथा (सामूहिक श्रम) और ब्याज रहित उधार प्रथा का झारखंड के आर्थिक ताने-बाने में बड़ा योगदान रहा।

    झारखंड में सदानों की स्थिति आज

    • स्वतंत्रता संग्राम में सदानों की बड़ी भूमिका रही (जैसे पाण्डे गणपत राय, नीलाम्बर-पीताम्बर)।
    • आजादी के बाद सदानों की राजनीतिक आवाज कमजोर होती गई।
    • भूरिया कमेटी आदि द्वारा जनजातीय प्रदेश घोषित होने से सदान हाशिए पर चले गए।

    सदानों की प्रमुख जनजातियाँ

    • बिरझिया, चीक बड़ाईक, गोड़ाईत, करमाली, लोहरा, महली, किसान, असुर आदि।

    झारखण्ड: एक सम्पूर्ण अध्ययन

    3. प्रमुख जनजातियाँ

    उराँव (Uraon)

    • मूल कार्य: स्थायी कृषक, अब उद्योगों और अन्य कार्यों में भी सक्रिय।
    • साक्षरता (2011):
      • कुल: 67.0%
      • पुरुष: 72.9%
      • स्त्री: 52.4%
    • विद्यालय जाने वाले बच्चे (5-14 वर्ष): 55%
    • स्नातक प्रतिशत: 5.9% (अन्य जनजातियों में सर्वाधिक)
    • धर्म:
      • पारम्परिक धर्मावलम्बी
      • मिशनरियों के प्रभाव से कुछ ने ईसाई धर्म अपनाया।

    मुण्डा (Munda)

    • वर्ग: ऑस्ट्रोलायड प्रजाति
    • भाषा: मुण्डारी (आस्ट्रो-एशियाटिक परिवार से संबंधित)
    • संख्या:
      • 2001: 10,49,767
      • 2011: 12,29,221
    • निवास:
      • ग्रामीण: 89.6%
      • शहरी: 10.84%
    • इतिहास:
      • आर्यों द्वारा खदेड़े जाने के बाद पूर्वांचल होते हुए छोटानागपुर पहुँचे।
      • प्रमुख केन्द्र: सुतियाम्बेगढ़ (पिठौरिया के समीप)
    • समाज व्यवस्था:
      • गाँव प्रमुख: हातुमुण्डा
      • पंचायत: पड़हा (प्रमुख को ‘पड़हा राजा’ कहा जाता है)
    • धर्म: सिंगबोंगा (प्रमुख देवता)
    • विवाह:
      • जनजाति से बाहर विवाह निषेध
      • एक ही गोत्र में विवाह वर्जित
      • विधवा/परित्यक्ता पुनर्विवाह मान्य
    • साक्षरता (2011):
      • कुल: 62.6%
      • पुरुष: 72.9%
      • स्त्री: 52.4%
    • त्योहार: सरहुल, करमा, मंडा, जितिया, दीपावली, सोहराई, दशहरा आदि।

    खरवार (Kharwar)

    • निवास क्षेत्र: पलामू, लातेहार, गढ़वा, लोहरदगा, राँची।
    • विवाह परंपरा:
      • असगोत्र विवाह अनिवार्य।
      • बाल विवाह प्रचलित।
    • परिवार: पितृसत्तात्मक
    • व्यवसाय: कृषि, शिकार, मजदूरी, नौकरी।
    • पंचायत:
      • ‘बैठकी’ (ग्राम पंचायत)
      • ‘छाटा’ (कई गाँवों का समूह)
    • धर्म: सरहुल, कर्मा पर्व मनाते हैं।
    • साक्षरता (2011):
      • कुल: 56.4%
      • पुरुष: 68.2%
      • स्त्री: 44.2%

    खड़िया (Kharia)

    • उपभेद:
      • हिल खड़िया (सिमडेगा, मयूरभंज)
      • ढेलकी खड़िया (राँची, हजारीबाग)
      • दूध खड़िया (गुमला, सिंसाई)
    • जनसंख्या (2011): 1,96,135
      • ग्रामीण: 1,80,179
      • शहरी: 15,956
    • इतिहास: रोहतास और पटना क्षेत्र के पुराने निवासी।
    • विवाह:
      • गोत्र आधारित, परंतु एक गोत्र में विवाह वर्जित नहीं।
      • एक पत्नी प्रथा प्रचलित।
    • साक्षरता: 65.9%
    • पंचायती व्यवस्था:
      • ‘पड़हा’ और ‘डोकलो सोहोर’ प्रणाली
      • ग्राम प्रमुख: ‘प्रधान’
    • धर्म और पर्व: सरहुल (जंकोर), धानबुनी, बंदई (पशु पूजा)

    वेदिया (Vedia)

    • मूल: कुछ विद्वानों के अनुसार कुरमी के भाई, कुछ के अनुसार मुण्डा वंशज।
    • निवास: हजारीबाग (बरकाकाना), रामगढ़, सिंहभूम, संथाल परगना।
    • विवाह परंपरा:
      • सगोत्र विवाह वर्जित।
      • वर पक्ष वधु मूल्य अदा करता है।
    • साक्षरता: 58%
    • त्योहार: दशहरा, छठ, दीपावली, मकर संक्रांति, सरहुल, करमा।
    • मृत्यु संस्कार: दाह-संस्कार एवं अस्थि विसर्जन (मुख्यतः सोनधारा, कुंदरू)

    भूमिज (Bhumij)

    • मूल: मुण्डा जनजाति की शाखा।
    • निवास क्षेत्र: राँची, हजारीबाग, धनबाद, सिंहभूम।
    • भाषा: मुण्डारी पर बंगला और हिन्दी का प्रभाव।
    • संख्या (2011): 2,09,448
      • ग्रामीण: 1,93,945
      • शहरी: 15,903
    • विवाह परंपरा:
      • एक ही गोत्र में विवाह वर्जित।
      • अन्य जाति से विवाह महा-अपराध माने जाते हैं।
    • सामाजिक दंड: सामाजिक बहिष्कार।

    अतिरिक्त आँकड़े (2011 जनगणना से)

    क्र. सं.जनजातिपुरुषमहिलाग्रामीणशहरीकुल
    1असुर11,47310,98621,3511,10822,459
    2बँगा1,8291,7533,4391433,582
    3बंजारा242245219268487
    25मुण्डा6,15,0226,15,04210,96,0641,33,15712,29,221
    26उराँव8,55,2108,61,40814,72,5902,44,02817,16,618
    28संताल13,71,16813,83,55526,09,0661,45,65727,54,723

    झारखंड के आदिवासी

    सारणी 7.3 – अनुसूचित जनजाति की विवरणी

    श्रेणीकुल अनुसूचित जनजातिसंथालउराँवकुण्डाहोखरवारलोहराभूमिजखड़िया
    लिंग अनुपात100310091007100110219649779961019
    साक्षरता (%)57.150.867.062.654.056.456.256.765.9
    मुख्य कामगार (%)46.239.653.353.347.233.049.838.953.0
    सीमांत कामगार (%)53.860.446.746.852.867.050.261.147.0

    विवाह प्रथाएँ और सामाजिक व्यवस्था

    • अधिकतर जनजातियों में बर्हिगोत्र विवाह स्वीकृत है जबकि अंतर्गोत्रीय विवाह वर्जित है।
    • हो जनजाति में विभिन्न प्रकार के विवाह प्रचलित हैं जैसे ओदी विवाह, दिकू आंढो, राजी खुशी विवाह, अनादर प्रथा।
    • विधवा और विधुर पुनर्विवाह की छूट है।
    • महिलाएँ पारिवारिक आय में योगदान देती हैं और व्यय पर उनका नियंत्रण होता है।

    हो जनजाति के प्रमुख गोत्र

    आंगारिया, बोदरा, बारला, बाकरी, मुडरी बोदरा, हाईवुरु बोदरा, दोराई बुरू, हेम्बरोग, चम्पीया, तामसोय, कुन्तीया, सिंकु, जोजो, सुरका आदि।

    धार्मिक विश्वास

    • सूर्य, चन्द्रमा, नदी, पहाड़ प्रमुख देवता।
    • सिंगबोंगा प्रमुख भगवान।
    • त्योहार: माधो वाहा, डमरी, होरो, जोमनारा, कोलोम, बतौली, दीपावली, दशहरा, चैत पर्व।

    विभिन्न जनजातियाँ

    12. गोंड

    • द्रविड़ शाखा की जनजाति।
    • क्षेत्र: राँची, पलामू, सिंहभूम।
    • जनसंख्या (2011): 53,676।
    • साक्षरता: 59.8%।
    • पंचायत व्यवस्था प्रचलित है।
    • प्रमुख देवता: बूढ़ा देव।
    • दाह संस्कार अधिक प्रचलित।

    13. गोराईत

    • प्रोटो-आस्ट्रोलॉयड समूह के सदस्य।
    • क्षेत्र: पलामू और राँची।
    • जनसंख्या (2011): 4973।
    • साक्षरता: 62%।
    • समाज पितृप्रधान।
    • संपत्ति उत्तराधिकार नियम मौजूद।

    अन्य प्रमुख जनजातियाँ

    14. करमाली

    • मुण्डा जनजाति की शाखा।
    • प्रमुख क्षेत्र: राँची, सिंहभूम, हजारीबाग।
    • जनसंख्या (2011): 64,154।
    • साक्षरता: 62.4%।
    • विवाह: गोत्र के बाहर।

    15. किसान

    • क्षेत्र: राँची और पलामू के जंगल।
    • जनसंख्या: 37,265।
    • भाषा: मुण्डारी, सदानी।
    • विवाह में बाल विवाह वर्जित।
    • साक्षरता: 49.5%।

    आदिवासी भाषा, त्योहार, नृत्य, संगीत और चित्रकला

    विषयविवरण
    भाषाएँसंताली, मुंडारी, कुड़ुख, खोरठा, नागपुरिया, सादरी, खड़िया, पचपरगनिया, हो, मालतो, करमाली, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला
    त्योहारसरहुल, कर्मा, सोहराई, बदना, ईद, क्रिसमस, होली, दशहरा
    लोकनृत्यएकहरिया, डोमकच, झुमर, फगुवा, पावस
    वाद्ययंत्रमांदर, ढोल, ढाक, धमसा, बांसुरी, करताल, शहनाई आदि
    चित्रकलासंताली भित्तिचित्र, उरांव भित्तिचित्र
    • क्षेत्र: संताल परगना।
    • जनसंख्या (2011): 32,786।
    • साक्षरता: 55.5%।
    • विवाह: असगोत्रीय।
    • मृत्यु संस्कार: दफन प्रथा।

    अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वितरण (प्रतिशत)

    जिलाप्रतिशत
    कोडरमा0.96
    गढ़वा15.54
    पलामू9.34
    चतरा12.13
    गिरिडीह9.74
    देवघर7.02
    हजारीबाग7.02
    रामगढ़21.19
    बोकारो12.4
    धनबाद1.66
    साहिबगंज28.41

    (स्रोत: जनगणना 2011)

    सारणी 7.4 – विशेष रूप से कमजोर जनजाति (PVTG) की जनसंख्या

    क्रमनाम2001 की जनसंख्या2011 की जनसंख्यासाक्षरता (%)
    1बिरहोर7,51410,72634.5
    2परहिया20,78625,58533.1
    3मालपहाड़िया1,15,0931,35,79739.6
    4संबर6,0049,68833.7
    5सौरिया पहाड़िया31,05046,22239.7
    6हिल खड़िया1,64,0221,96,13565.9
    7कोरबा27,17735,60637.9
    8असुर10,34722,45946.9
    9बिरजिया5,3656,27650.2

    17. बड़ी

    • क्षेत्र: सिंहभूम।
    • जनसंख्या (2011): 3,464।
    • भाषा: हिन्दी, कुरमाली, बंगाली।
    • पेशा: वनोत्पाद संग्रहण, मजदूरी।

    18. लोहरा

    • वंश: असुर वंशज।
    • पारम्परिक पेशा: लोहे का काम।
    • जनसंख्या (2011): 2,16,226।
    • साक्षरता: 56.2%।
    • मृत्यु संस्कार: दफन या दाह संस्कार।

    19. महली

    • वंश: द्रविड़।
    • प्रमुख पेशा: बांस और लकड़ी के उत्पाद।
    • उपजातियाँ: बाँस महली, सिलखी महली, ताँती महली आदि।
    • साक्षरता: 152,663 (2011 जनगणना)।

    झारखंड के प्रमुख अनुसूचित जनजातियाँ (जनगणना 2011 के अनुसार):

    क्र.सं.जनजातिजिला / प्रमंडलजनसंख्याप्रतिशतभाषा
    1संतालसंतालपरगना27,54,72331.86%संताली
    2उराँवराँची17,16,61819.85%कुड़ुख
    3मुण्डाराँची12,29,22114.21%मुंडारी
    4होसिंहभूम9,28,28910.73%हो
    5खरवारपलामू2,48,9742.87%खरवारी

    (नोट: कुल 32 प्रमुख जनजातियाँ और उपजनजातियाँ बताई गई हैं।)

    पीवीटीजी (Particularly Vulnerable Tribal Groups):

    • माल पहाड़िया, परहिया, सावरा/सांवर, बिरजिया, बिरहोर, असुर आदि।
    • इनमें से माल पहाड़िया (1,35,797) और हिल खड़िया (1,96,135) की जनसंख्या प्रमुख है।

    जनजातीय साक्षरता दर (महत्वपूर्ण बिंदु):

    • उराँव: 67.8% (पुरुष साक्षरता सबसे अधिक)
    • खड़िया: 65.9%
    • संताल: 50.8%
    • सबसे कम साक्षरता: पहाड़िया (33.1%)
    • स्त्री साक्षरता सबसे कम: सावर (24%)

    जनजातीय धर्म:

    • हिन्दू धर्म: 39.8%
    • स्वतंत्र धार्मिक परंपराएँ (सरना आदि): 45.1%
    • ईसाई धर्म: 14.5%
    • मुस्लिम धर्म: 0.4%

    अनुसूचित जातियाँ (जनगणना 2011):

    • कुल जनसंख्या: 39,85,544 (12.08% राज्य की जनसंख्या का)
    • प्रमुख जातियाँ:
      • चमार (10,08,507)
      • भुइयां (8,48,151)
      • दुसाध (4,24,330)

    जिलावार जनजातीय प्रतिशत (चयनित):

    जिलाजनजातीय प्रतिशत
    खूंटी73.3%
    गुमला68.9%
    पश्चिमी सिंहभूम67.3%
    सिमडेगा70.8%
    लोहरदगा56.9%

    कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

    • माल पहाड़िया और परहिया खेती, मजदूरी और बाँस उत्पादों से अपनी आजीविका चलाते हैं।
    • संवर (सावर) और हिल खड़िया में विवाह, मृत्युकर्म आदि में विशिष्ट परंपराएँ प्रचलित हैं।
    • कोल जनजाति का परंपरागत व्यवसाय लोहा गलाना था, जो अब लगभग समाप्त हो चुका है।
    • अधिकतर जनजातियाँ सरना धर्म के अनुयायी हैं और सिंगबोंगा (प्रकृति देवता) की पूजा करते हैं।